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स्वतंत्रता सेनानी की फुनकू दास की जयंती पर शामिल हुए नेता प्रतिपक्ष - विकासनगर हिंदी समाचार

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी फूनकू स्मारक समिति कालसी द्वारा फूनकू की जयंती पर उनको याद किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

Vikasnagar
स्वतंत्रता सेनानी की फुनकू दास की जयंती
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Published : Aug 10, 2021, 8:22 PM IST

Updated : Aug 17, 2021, 12:35 PM IST

विकासनगर: स्वतंत्रता संग्राम वीर फुनकू स्मारक समिति कालसी की ओर से वीर सेनानी फुनकू की जयंती मनाई गई, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी शामिल हुए. प्रीतम सिंह ने वीर सेनानी फुनकू की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया. इस मौके पर प्रीतम ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों को भी सम्मानित किया.

वीर फुनकू का परिचय

स्वतंत्रा सेनानी वीर फुनकू दास जौनसार बावर के गांव पंजिया कालसी, जिला देहरादून के रहने वाले थे. उनका जन्म 10 अगस्त 1910 में हुआ था. उनके पिता का नाम स्वर्गीय मेंढकू दास और माता का नाम कुशाली देवी था. जब देश में स्वतंत्रता को लेकर आंदोलन चल रहा था, तो एक वीर ने एक देश की आजादी की लड़ाई में भाग लिया. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु फुनकू को काफी स्नेह करते थे. स्वतंत्रता संग्राम में वीर फुनकू का अहम योगदान रहा है. पंडित जवाहरलाल नेहरू और महावीर त्यागी के साथ ये देहरादून एवं बरेली जेल में रहे.

स्वतंत्रता सेनानी की फुनकू दास की जयंती

ये भी पढ़ें: 20 अगस्त को जेपी नड्डा का उत्तराखंड दौरा, चुनावी रणनीति को लेकर करेंगे 8 बैठक

फुनकू बहुत स्वाभिमानी और साहसी व्यक्ति थे. जब जेलर ने उन्हें सजा स्वरूप रस्सी बनाने का काम दिया तो उन्होंने जेलर को आंखें दिखाते हुए माचिस जलाकर उसमें आग लगा दी, जिससे जेल परिसर में हड़कंप मच गया. शोर सुनकर सारे सिपाही इकट्ठे हो गए और उन्हें पकड़ लिया गया. पकड़े जान के बाद फुनकू को 12 कोड़ों की सजा दी गई. हर कोड़े पर उनके मुंह से भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय का उद्घोष ही निकलता रहा लेकिन उन्होंने अपने आन और मान को नहीं डिगने दिया.

ये भी पढ़ें: First Test में ही भूकंप ALERT एप फेल!, दो घंटे तक रहा 'अनजान'

वहीं, न्यायालय उप जिला मजिस्ट्रेट चकराता द्वारा धारा 34 /38 के तहत वीर फुनकू को 3 महीने की सजा और 25 जुर्माने की सजा सुनाई गई. जुर्माना ना देने पर उनको 1 महीने की अतिरिक्त सजा दी गई. वे देहरादून जेल से 19 जुलाई 1941 को रिहा हुए. वीर फुनकू ऐसे योद्धा थे जिन्होंने कभी झुकना और हार मानना नहीं सीखा था.

इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए देशभर में आजादी के मतवालों ने इस संग्राम में अपनी आहुति दी है, तो वहीं देश की आजादी के लिए वीर सेनानी फुनकू दास ने भी जो अदम्य साहस का परिचय दिया, उनके उस संग्राम को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. ऐसे वीर योद्धा को मैं सच्चे दिल से श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं.

विकासनगर: स्वतंत्रता संग्राम वीर फुनकू स्मारक समिति कालसी की ओर से वीर सेनानी फुनकू की जयंती मनाई गई, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी शामिल हुए. प्रीतम सिंह ने वीर सेनानी फुनकू की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया. इस मौके पर प्रीतम ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों को भी सम्मानित किया.

वीर फुनकू का परिचय

स्वतंत्रा सेनानी वीर फुनकू दास जौनसार बावर के गांव पंजिया कालसी, जिला देहरादून के रहने वाले थे. उनका जन्म 10 अगस्त 1910 में हुआ था. उनके पिता का नाम स्वर्गीय मेंढकू दास और माता का नाम कुशाली देवी था. जब देश में स्वतंत्रता को लेकर आंदोलन चल रहा था, तो एक वीर ने एक देश की आजादी की लड़ाई में भाग लिया. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु फुनकू को काफी स्नेह करते थे. स्वतंत्रता संग्राम में वीर फुनकू का अहम योगदान रहा है. पंडित जवाहरलाल नेहरू और महावीर त्यागी के साथ ये देहरादून एवं बरेली जेल में रहे.

स्वतंत्रता सेनानी की फुनकू दास की जयंती

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फुनकू बहुत स्वाभिमानी और साहसी व्यक्ति थे. जब जेलर ने उन्हें सजा स्वरूप रस्सी बनाने का काम दिया तो उन्होंने जेलर को आंखें दिखाते हुए माचिस जलाकर उसमें आग लगा दी, जिससे जेल परिसर में हड़कंप मच गया. शोर सुनकर सारे सिपाही इकट्ठे हो गए और उन्हें पकड़ लिया गया. पकड़े जान के बाद फुनकू को 12 कोड़ों की सजा दी गई. हर कोड़े पर उनके मुंह से भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय का उद्घोष ही निकलता रहा लेकिन उन्होंने अपने आन और मान को नहीं डिगने दिया.

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वहीं, न्यायालय उप जिला मजिस्ट्रेट चकराता द्वारा धारा 34 /38 के तहत वीर फुनकू को 3 महीने की सजा और 25 जुर्माने की सजा सुनाई गई. जुर्माना ना देने पर उनको 1 महीने की अतिरिक्त सजा दी गई. वे देहरादून जेल से 19 जुलाई 1941 को रिहा हुए. वीर फुनकू ऐसे योद्धा थे जिन्होंने कभी झुकना और हार मानना नहीं सीखा था.

इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए देशभर में आजादी के मतवालों ने इस संग्राम में अपनी आहुति दी है, तो वहीं देश की आजादी के लिए वीर सेनानी फुनकू दास ने भी जो अदम्य साहस का परिचय दिया, उनके उस संग्राम को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. ऐसे वीर योद्धा को मैं सच्चे दिल से श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं.

Last Updated : Aug 17, 2021, 12:35 PM IST
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