देहरादूनः प्रदेश के कई स्थानों पर संचालित हो रही जनबंधन निधि कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगा है. कंपनी में आरडी, पीएफ, डीडीएस और एसआईएस योजना के नाम पर लोगों को करोड़ों का चूना लगाकर संचालक फरार हो गए हैं. पुलिस ने कंपनी के कानूनी सलाहकार अरविंद कुमार डंगवाल की तहरीर पर संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. साथ ही पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है.
पुलिस को तहरीर देते हुए जनबंधन निधि कंपनी के कानूनी सलाहकार अरविंद कुमार डंगवाल ने बताया कि आरोपी संचालक की देशभर में 56 शाखाएं हैं. ये शाखाएं उत्तराखंड के अलावा यूपी, दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी हैं. तहरीर के मुताबिक संजीत यादव और विमल यादव ने जुलाई 2016 में जनबंधन निधि के नाम से कंपनी सबसे पहले हाथीबड़कला के कनॉट पैलेस में खोली थी.
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जिसके बाद धीरे-धीरे 2017 में शहर के कई हिस्सों जीएमएस रोड, सहस्त्रधारा, रायपुर, तपोवन, शास्त्रीनगर, नेहरूग्राम, मोहब्बेवाला, प्रेमनगर, सुधोवाला, सेलाकुई, उत्तरकाशी और बड़कोट में ऑफिस खोले गए. कंपनी की योजना के अनुसार आरडी, एफडी, डीडीएस और एमआईएस के तहत लोगों से रकम जमा कराई जाती थी. साथ ही कंपनी की ओर से लोगों को रकम वापसी के लिए चेक दिए जाते थे.
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जून में लोगों को कंपनी से मिले चेक बाउंस हो गए. जिसके बाद पीड़ित जब कंपनी के ऑफिस पहुंचे तो संचालक फरार हो चुके थे. जिसके बाद उन्हें ठगी का एहसास हुआ. कंपनी के कानूनी सलाहकार अरविंद कुमार डंगवाल ने भी संचालकों की बातों में आकर कंपनी की योजना में रुपये जमा कराए थे.
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सीओ डालनवाला जया बलूनी ने बताया कि कुछ लोगों ने 2016 में जनबंधन निधि के नाम से कंपनी खोली थी. डालनवाला क्षेत्र में साल 2017 में एक ऑफिस खोला था. इस योजना के तहत कंपनी के संचालक लोगों से आरडी, एफडी, डीडीएस और एमआईएस के नाम से किस्तों पर रुपये लिया करते थे.
मामले पर कई लोगों ने तहरीर दी थी. जांच में पाया गया कि कंपनी ने कई लोगों से करीब एक करोड़ रुपये की ठगी की है. साथ ही बताया कि मामले में विवेचना जारी है.