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विश्व कैंसर दिवसः दून अस्पताल में हर दिन चार मरीज होते हैं भर्ती - देहरादून न्यूज

विश्व कैंसर दिवस पर राजधानी देहरादून के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. दून अस्पताल में हर दिन तीन से चार कैंसर पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं.

विश्व कैंसर दिवस
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Published : Feb 4, 2020, 7:13 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में भी कैंसर अपने पांव जमाने लगा है. ऐसे में विश्व कैंसर दिवस को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाता रहा है. कैंसर मरीजों को लेकर अकेले राजधानी देहरादून में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. राजधानी में हर दिन तीन से चार कैंसर के मरीज अकेले दून अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें से 50 प्रतिशत मरीजों का इलाज दून अस्पताल में किया जाता है. मेडिकल विशेषज्ञ का भी मानना है कि कैंसर के मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.

2014 में नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम ऑफ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, करीब 28 लाख बीस हजार एक सौ उन्नासी में से चार लाख 91 हजार पांच सौ अट्ठानब्बे लोगों की मौत कैंसर से हुई है. उत्तराखंड की बात करें तो राज्य में अमूमन एक साल में औसतन 14 हजार केस में से दो हजार 400 कैंसर पीड़ितों की मौत हो गई है.

देहरादून के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज में देखा जाए तो केवल छह माह में 719 मरीज ओपीडी में आए. हर महीने 120 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. जबकि 182 मरीजों की कीमोथेरेपी भी हो चुकी है. 196 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं.

पढ़ेंः दून अस्पतालः नई और पुरानी बिल्डिंग के बीच फंसे मरीज, इलाज के लिए लगा रहे 'दौड़'

अब बात की जाए सरकारी मशीनरी की तो सरकारी मशीनरी कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में नाकामयाब रही है. इसका सबसे पहला और बड़ा कारण है दून मेडिकल कॉलेज में रेडियोथेरेपी मशीन का न होना. इससे कैंसर के मरीजों पर हर दिन भारी पड़ता है और उन्हें बाहरी इलाज को मजबूर होना पड़ता है. हालांकि दून मेडिकल कॉलेज के एमएस केके टम्टा का कहना है कि उनके द्वारा शासन को पत्र भी भेजा गया है कि जल्द ही शासन रेडियो थेरेपी की मशीन को मरीजों के लिए उपलब्ध कराएं.

पढ़ेंः उत्तराखंडः केमिकल डिजास्टर को लेकर मॉक एक्सरसाइज, बचाव और राहत की दी गई जानकारी

कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिऐ भले ही भारत सरकार और राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही हों. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि मात्र देहरादून में ही कैंसर के चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं तो उत्तराखंड राज्य के अलग-अलग जिलों में कैंसर की क्या स्थिति होगी?

देहरादूनः उत्तराखंड में भी कैंसर अपने पांव जमाने लगा है. ऐसे में विश्व कैंसर दिवस को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाता रहा है. कैंसर मरीजों को लेकर अकेले राजधानी देहरादून में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. राजधानी में हर दिन तीन से चार कैंसर के मरीज अकेले दून अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें से 50 प्रतिशत मरीजों का इलाज दून अस्पताल में किया जाता है. मेडिकल विशेषज्ञ का भी मानना है कि कैंसर के मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.

2014 में नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम ऑफ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, करीब 28 लाख बीस हजार एक सौ उन्नासी में से चार लाख 91 हजार पांच सौ अट्ठानब्बे लोगों की मौत कैंसर से हुई है. उत्तराखंड की बात करें तो राज्य में अमूमन एक साल में औसतन 14 हजार केस में से दो हजार 400 कैंसर पीड़ितों की मौत हो गई है.

देहरादून के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज में देखा जाए तो केवल छह माह में 719 मरीज ओपीडी में आए. हर महीने 120 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. जबकि 182 मरीजों की कीमोथेरेपी भी हो चुकी है. 196 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं.

पढ़ेंः दून अस्पतालः नई और पुरानी बिल्डिंग के बीच फंसे मरीज, इलाज के लिए लगा रहे 'दौड़'

अब बात की जाए सरकारी मशीनरी की तो सरकारी मशीनरी कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में नाकामयाब रही है. इसका सबसे पहला और बड़ा कारण है दून मेडिकल कॉलेज में रेडियोथेरेपी मशीन का न होना. इससे कैंसर के मरीजों पर हर दिन भारी पड़ता है और उन्हें बाहरी इलाज को मजबूर होना पड़ता है. हालांकि दून मेडिकल कॉलेज के एमएस केके टम्टा का कहना है कि उनके द्वारा शासन को पत्र भी भेजा गया है कि जल्द ही शासन रेडियो थेरेपी की मशीन को मरीजों के लिए उपलब्ध कराएं.

पढ़ेंः उत्तराखंडः केमिकल डिजास्टर को लेकर मॉक एक्सरसाइज, बचाव और राहत की दी गई जानकारी

कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिऐ भले ही भारत सरकार और राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही हों. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि मात्र देहरादून में ही कैंसर के चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं तो उत्तराखंड राज्य के अलग-अलग जिलों में कैंसर की क्या स्थिति होगी?

Intro:विश्व कैंसर दिवस आज पूरे देश में जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वंही अगर बात राजधानी देहरादून की करे तो विश्व कैंसर दिवस के मौके पर अके ले ही राजधानी देहरादून में चौकाने वाले मामले सामने आ रहे है!हर दिन तीन से चार कैंसर के मरीज अकेले दून अस्पताल में पहुंच रहे हैं।जिनका 50 प्रतिशत ईलाज दून अस्पताल में किया जाता है!एमएस का भी मानना है की कैंसर के मरीजों का लगातार ग्राफ बढ रहा है!Body:देश भर के साथ ही उत्तराखंड राज्य में भी कैंसर अपने पांव जमाने लगा है। 2014 में नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम ऑफ़  इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च यानि कि आईसीएमआर ने बताया कि लगभग 28 लाख बीस हजार एक सौ उन्नासी में चार लाख 91 हजार पांच सौ अट्ठानब्बे  लोगों की मौत कैंसर से हुई है। वहीं  उत्तराखंड की बात करे तो राज्य मे अमुमन एक साल में 14 हजार केस में से 2 हजार 400 कैंसर पीडितों की मौत हो गई है। देहरादून के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून  में देखा जाए तो केवल 6 माह में 719 पेसेंट ओपीडी में आए हर महीने 120 लोग ओपीडी मे आ रहे है जबकि 182 लोगों की अस्पताल मे कीमोथेरेपी भी हो चुकी है तो 196 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती है और पाया जा रहा है कि हर दिन तीन से चार कैंसर के मरीज अकेले दून अस्पताल में पहुंच रहे हैं। जिनका 50 प्रतिशत ईलाज दून अस्पताल में किया जाता है!

 बाइट-डॉ ललित मोहन—— असिसटैंट प्रोफेसर,रेडिएशन  विभाग

 वंही अगर बात सरकारी मशीनरी की.करे तो सरकारी मशीनरी कैंसर जैसी बीमारियों से लडने मे  ना कामियाब रही है कारण कि दून  मेडिकल कॉलेज में रेडियो थरेपी की मशीन नही है जिससे कैंसर के  मरीजों पर हर दिन भारी पड़ रही है हालांकि दून मेडिकल कॉलेज के एमएस के के टम्टा ने कहा कि उनकें द्वारा शासन को पत्र भी भेजा गया है कि जल्द ही शासन रेडियो थरेपी की मशीन को मरीजों के लिए उपलब्ध कराऐ आपको यह भी बतादे कि रेडियो थरेपी मशीन की करोडो की लागत से आनी है साथ ही ही टम्टा ने भी माना है कि कैंसर के मरीजों का लगातार ग्राफ बढ रहा है!

बाइट-के के टम्टा एम एस दून मेडिकल कॉलेज देहरादूनConclusion:कैंसर जैसी बीमारियों से लडने के लिऐ भले ही भारत सरकार और राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही हो लेकिन सोचने वाली बात यह है कि मात्र देहरादून मे ही कैंसर के चौकाने वाले मामले सामने आ रहे है तो उत्तराखंड राज्य के अलग अलग जिलों में कैंसर की क्या स्थिति होगी यह सोचने वाली बात है!
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