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हरदा के गैरसैंण दौरे ने बीजेपी की बढ़ाई बेचैनी, बता रही वर्चस्व की लड़ाई

गैरसैंण एक बार फिर चर्चाओं में है, लेकिन इस बार सुर्खियों में आने की वजह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का गैरसैंण दौरा है. हरदा आगामी 9 अगस्त को गैरसैंण जाने वाले हैं.

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गैरसैंण को लेकर गरमाने लगी राजनीति
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Published : Aug 5, 2020, 12:33 PM IST

Updated : Aug 5, 2020, 3:37 PM IST

देहरादून: गैरसैंण को लेकर एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति गरमाने लगी है. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण का दौरा कर वहां हो रहे कामकाज का जायजा लेने की बात कही है, जिसके बाद से ही फिर से गैरसैंण सुर्खियों में है.

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि वो 9 अगस्त को गैरसैंण का दौरा इसलिये करने जा रहे हैं, ताकि देख सकें कि ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद प्रदेश सरकार ने गैरसैंण में अबतक कितने कार्य पूरे करवाए हैं. हरीश रावत के मुताबिक, उनके कार्यकाल के दौरान गैरसैंण स्थित विधानसभा के समीप बनाने वाले सचिवालय के लिए 57 लाख की धनराशि जारी की गई थी. अब वो जानना चाहते हैं कि उसके बाद अबतक वहां कितना कामकाज पूरा हुआ है. 15 सितंबर तक ग्रीष्मकाल रहेगा, लिहाजा वहां की स्थिति जानने का ये अच्छा समय है.

हरदा के गैरसैंण दौरे ने बीजेपी की बढ़ाई बेचैनी

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय में कोरोना की दस्तक, महिला कॉन्स्टेबल पॉजिटिव

वहीं, इस मामले पर सरकार और भाजपा संगठन अलग-अलग तर्क दे रहे हैं. एक ओर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि हरीश रावत को जरूर गैरसैंण जाकर वहां के काम का आकलन करना चाहिए क्योंकि भाजपा ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. तो वहीं भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन इसे हरीश रावत का मीडिया स्टंट बता रहे हैं. उनके अनुसार हरीश रावत अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर भूमि पूजन आज, अलर्ट पर देहरादून पुलिस

उधर, राजनीतिक जानकार भागीरथ शर्मा बताते हैं कि गैरसैंण हमेशा से ही राजनीति का केंद्र रहा है. राजनीतिक रूप से ये मामला काफी संवेदनशील है. यही वजह है कि विपक्ष, सत्ता पक्ष को लेकर तमाम तरह की बातें करती है, लेकिन सरकार को जगाने के बहाने या अपने जनाधार को बचाने की कवायद में जुटी है. यही वजह है कि जन भावनाओं से जुड़े इस मुद्दे को फिर से जागृत करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नया दांव चल रहे हैं.

देहरादून: गैरसैंण को लेकर एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति गरमाने लगी है. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण का दौरा कर वहां हो रहे कामकाज का जायजा लेने की बात कही है, जिसके बाद से ही फिर से गैरसैंण सुर्खियों में है.

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि वो 9 अगस्त को गैरसैंण का दौरा इसलिये करने जा रहे हैं, ताकि देख सकें कि ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद प्रदेश सरकार ने गैरसैंण में अबतक कितने कार्य पूरे करवाए हैं. हरीश रावत के मुताबिक, उनके कार्यकाल के दौरान गैरसैंण स्थित विधानसभा के समीप बनाने वाले सचिवालय के लिए 57 लाख की धनराशि जारी की गई थी. अब वो जानना चाहते हैं कि उसके बाद अबतक वहां कितना कामकाज पूरा हुआ है. 15 सितंबर तक ग्रीष्मकाल रहेगा, लिहाजा वहां की स्थिति जानने का ये अच्छा समय है.

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वहीं, इस मामले पर सरकार और भाजपा संगठन अलग-अलग तर्क दे रहे हैं. एक ओर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि हरीश रावत को जरूर गैरसैंण जाकर वहां के काम का आकलन करना चाहिए क्योंकि भाजपा ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. तो वहीं भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन इसे हरीश रावत का मीडिया स्टंट बता रहे हैं. उनके अनुसार हरीश रावत अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.

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उधर, राजनीतिक जानकार भागीरथ शर्मा बताते हैं कि गैरसैंण हमेशा से ही राजनीति का केंद्र रहा है. राजनीतिक रूप से ये मामला काफी संवेदनशील है. यही वजह है कि विपक्ष, सत्ता पक्ष को लेकर तमाम तरह की बातें करती है, लेकिन सरकार को जगाने के बहाने या अपने जनाधार को बचाने की कवायद में जुटी है. यही वजह है कि जन भावनाओं से जुड़े इस मुद्दे को फिर से जागृत करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नया दांव चल रहे हैं.

Last Updated : Aug 5, 2020, 3:37 PM IST
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