देहरादूनः ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में बीते कुछ सालों से सत्ताधारी दल संवैधानिक लोकतंत्र की दिशा में चलने की बजाय तानाशाही रास्ता अपना रहे हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि किसी विधायक को गैरसैंण में ठंड लगती है तो उसे उत्तराखंड का विधायक होने का कोई हक नहीं है.
केंद्र और प्रदेश सरकार पर तंज कसते हुए हरीश रावत ने कहा कि बीते कुछ सालों से सत्ताधारी दल जो भी रवैया अपना रही है, वह तानाशाही को दर्शाती है. इस राजनीति में लोकतंत्र की सभी मर्यादाएं भुला दी गई हैं. वर्तमान में सत्ताधारी दल जिसकी लाठी उसकी भैंस और मोदी है तो सब मुमकिन है कि सोच के साथ आगे बढ़ रही है.
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वहीं, राज्य सरकार द्वारा गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान ठंड का हवाला देने के मामले पर हरदा ने जमकर निशाना साधा है. हरदा का कहना है कि जिन विधायकों से गैरसैण की ठंड बर्दाश्त नहीं हो रही है, उन्हें विधायकी से इस्तीफा दे देना चाहिए. ये पहाड़ी गांव-घरों में रह रहे बुजुर्गों का अपमान है. आज भी कई लोगों के पास तन ढकने के लिए कपड़ा नहीं है. उनके रहने के लिए मकान नहीं है, वो लोग भी संघर्ष कर अपने जीवन और राज्य को आगे बढ़ा रहे हैं.
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हरदा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के 88 साल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी शिमला में रहते हैं. जब देश के अन्य पहाड़ी प्रदेशों के मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में रह सकते हैं तो फिर उत्तराखंड के जनप्रतिनिधि क्यों नहीं?
बता दें कि, आगामी 4 दिसंबर से शीतकालीन विधानसभा सत्र आयोजित होनी है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा था कि ये सत्र गैरसैंण में आयोजित होगी, लेकिन सरकार ने विधायकों को ठंड लगने का हवाला दिया है. इतना ही नहीं कड़ाके की ठंड को देखते हुए इस बार सत्र देहरादून विधानभवन में आयोजित किया जा रहा है. जिस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं.