देहरादून: उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में अनुकूल माहौल के चलते पक्षियों की करीब 600 प्रजातियां यहां पर मौजूद हैं. मगर राष्ट्रीय पार्क में कठिन नियमों के चलते बर्ड लवर इन मनमोहक पक्षियों का दीदार आसानी से नहीं कर पाते. बर्ड वॉचरों की इसी परेशानी को दूर करने के लिए अब उत्तराखंड वन विभाग प्रदेश में पक्षियों के मनमोहक संसार का दीदार करने के लिए वन पंचायतों में कार्य योजना तैयार कर रहा है.
कॉर्बेट नेशनल पार्क में यूं तो बाघों और वन्यजीवों का दीदार करने के लिए हजारों पर्यटक हर साल पहुंचते हैं, लेकिन इसमें बहुतायत संख्या में ऐसे पर्यटक भी होते हैं जो यहां मौजूद विभिन्न प्रजाति की पक्षियों को देखने के लिए पहुंचते हैं. हालांकि, समय के साथ-साथ कॉर्बेट नेशनल पार्क में वन्यजीव अधिनियम के कठिन नियमों के चलते अब पर्यटकों के लिए पक्षियों का करीब से दीदार करना मुश्किल हो गया है.
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कॉर्बेट नेशनल पार्क में विभिन्न पक्षियों की करीब 600 प्रजातियां पाई जाती हैं. वन विभाग ने बर्ड लवर की इन्हीं परेशानियों का हल निकालते हुए कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे वन पंचायतों में पक्षियों के दीदार को लेकर इस क्षेत्र को विकसित करने की कार्ययोजना बनानी शुरू कर दी है. इस दिशा में प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने डीएफओ रामनगर को इसकी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं. अब तक तय किए गए प्लान के तहत जायका परियोजना से इस योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा.
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कॉर्बेट नेशनल पार्क से लगे पौड़ी जिले के समीप मंदाल घाटी में स्थित 7 वन पंचायतों के करीब 8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी बड़ी संख्या में होने की बात कही जा रही है. इसमें तीन तरफ कॉर्बेट नेशनल पार्क है जबकि इसके बीच में स्थित वन पंचायत जंगल में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी मौजूद हैं. खास बात यह है कि यहां पर रिजर्व फॉरेस्ट की कठिन पाबंदियों से हटकर पर्यटक पैदल भी पक्षियों का दीदार कर पाएंगे. यहां पर हाथियों की मौजूदगी भी कम है. इसमें स्थानीय ग्रामीणों और वन पंचायत सदस्यों की भी मदद ली जाएगी. यहां की जानकारी के साथ बेहतर गाइड के रूप में लोगों को प्रशिक्षित भी किया जा सकेगा. ईको टूरिज्म के लिए बेहतरीन स्थल माने जाने वाले इन जगहों पर को बाकी पंचायतों में ईको टूरिज्म के रूप में मॉडल के रूप में स्थापित किया जा सकेगा.