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उत्तराखंडः वनों को आग से बचाने के लिए अपनाई जा रही ये तरकीब

डोईवाला के थानों रेंज में वनों को आग से बचाने के लिए तैयारी शुरू हो गई है. वन कर्मियों ने फायर लाइन कटिंग शुरू कर दी है. पशु-पक्षियों के लिए जंगल में बनाए गए तालाबों में पानी भरा जा रहा है.

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Published : Apr 23, 2020, 8:29 AM IST

Updated : May 25, 2020, 10:52 AM IST

जंगल में आग
जंगल में आग

डोईवालाः फायर सीजन में आग पर काबू पाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती होता है. हालांकि, उत्तराखंड में बीते 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो गया था, लेकिन लगातार हो रही बारिश के चलते आगजनी की घटनाएं कम ही हैं. अब गर्मी बढ़ने के साथ दावानल का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में वन विभाग के सामने जंगलों को बचाना एक चुनौती होगा. वन विभाग ने जंगलों को बचाने और पशु-पक्षियों के लिए सूखे तालाबों में पानी भर दिया है. डोईवाला के थानों रेंज के जंगलों में वन कर्मियों ने फायर लाइन कटिंग के साथ जंगलों की कॉम्बिंग शुरू कर दी है.

उत्तराखंड में आमतौर पर अप्रैल-मई महीने में दावानल के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं. इस दौरान कई हेक्टेयर वन भूमि आग से खाक हो जाती है. हालांकि अभीतक आगजनी के मामले कम देखने को मिले हैं. वनों को आग से बचाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती होती है. वनों में आग ना लगे और पशु-पक्षियों को जंगल में पीने का पानी मिलता रहे, इसके लिए वन विभाग तैयारियों में जुटा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः पृथ्वी दिवस: उत्तराखंड में लॉकडाउन बना जंगलों के लिए 'संजीवनी'

डोईवाला के थानों रेंज में भी आजकल फायर लाइन कटिंग के साथ पशु-पक्षियों के लिए जंगल में बनाए गए तालाबों में पानी भरा जा रहा है. रेंज अधिकारी उदय नंद गौड़ ने बताया कि गर्मी बढ़नी शुरू हो गई है. जंगलों में आगजनी की घटना ना हो इसके लिए वन विभाग ने अपनी तैयारी कर ली है. उन्होंने बताया कि इस बार लगातार बारिश हो रही है. कुछ दिनों से गर्मी में इजाफा देखने को मिल रहा है.

रेंज अधिकारी ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ साल और चीड़ के पत्ते गिर रहे हैं. पत्तों में आग ना लगे इसकी निगरानी की जा रही है. जंगलों में जो तालाब सूख गए थे, उनमें टैंकरों से पानी भरा जा रहा है. इस बार मौसम में ठंडक और लॉकडाउन के कारण ग्रामीणों की आवाजाही कम हो रही है. इससे भी आगजनी की घटनाएं कम हुई हैं. वन पंचायतों को भी मीटिंग के जरिए जागरूक किया जा रहा है, जिससे आग की घटनाएं ना हों.

डोईवालाः फायर सीजन में आग पर काबू पाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती होता है. हालांकि, उत्तराखंड में बीते 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो गया था, लेकिन लगातार हो रही बारिश के चलते आगजनी की घटनाएं कम ही हैं. अब गर्मी बढ़ने के साथ दावानल का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में वन विभाग के सामने जंगलों को बचाना एक चुनौती होगा. वन विभाग ने जंगलों को बचाने और पशु-पक्षियों के लिए सूखे तालाबों में पानी भर दिया है. डोईवाला के थानों रेंज के जंगलों में वन कर्मियों ने फायर लाइन कटिंग के साथ जंगलों की कॉम्बिंग शुरू कर दी है.

उत्तराखंड में आमतौर पर अप्रैल-मई महीने में दावानल के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं. इस दौरान कई हेक्टेयर वन भूमि आग से खाक हो जाती है. हालांकि अभीतक आगजनी के मामले कम देखने को मिले हैं. वनों को आग से बचाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती होती है. वनों में आग ना लगे और पशु-पक्षियों को जंगल में पीने का पानी मिलता रहे, इसके लिए वन विभाग तैयारियों में जुटा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः पृथ्वी दिवस: उत्तराखंड में लॉकडाउन बना जंगलों के लिए 'संजीवनी'

डोईवाला के थानों रेंज में भी आजकल फायर लाइन कटिंग के साथ पशु-पक्षियों के लिए जंगल में बनाए गए तालाबों में पानी भरा जा रहा है. रेंज अधिकारी उदय नंद गौड़ ने बताया कि गर्मी बढ़नी शुरू हो गई है. जंगलों में आगजनी की घटना ना हो इसके लिए वन विभाग ने अपनी तैयारी कर ली है. उन्होंने बताया कि इस बार लगातार बारिश हो रही है. कुछ दिनों से गर्मी में इजाफा देखने को मिल रहा है.

रेंज अधिकारी ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ साल और चीड़ के पत्ते गिर रहे हैं. पत्तों में आग ना लगे इसकी निगरानी की जा रही है. जंगलों में जो तालाब सूख गए थे, उनमें टैंकरों से पानी भरा जा रहा है. इस बार मौसम में ठंडक और लॉकडाउन के कारण ग्रामीणों की आवाजाही कम हो रही है. इससे भी आगजनी की घटनाएं कम हुई हैं. वन पंचायतों को भी मीटिंग के जरिए जागरूक किया जा रहा है, जिससे आग की घटनाएं ना हों.

Last Updated : May 25, 2020, 10:52 AM IST
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