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नरेंद्र नगर की राजस्व-वन भूमि के विवाद पर मंथन, वनमंत्री ने चिन्हीकरण के लिए अफसरों को दिए 40 दिन - वन मंत्री सुबोध उनियाल

Narendra Nagar land dispute वन मंत्री सुबोध उनियाल ने नरेंद्र नगर शहर के भूमि विवाद पर समीक्षा बैठक की. बैठक में मंत्री ने अधिकारियों को भूमि चिन्हित करने के लिए 40 दिन का समय दिया है.

Forest Minister Subodh Uniyal
वन मंत्री सुबोध उनियाल
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 30, 2023, 10:22 PM IST

Updated : Sep 30, 2023, 10:53 PM IST

नरेंद्र नगर की राजस्व-वन भूमि के विवाद पर मंथन

देहरादूनः उत्तराखंड के वनमंत्री सुबोध उनियाल ने शनिवार को नरेंद्र नगर शहर की बेहद गंभीर समस्या को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान नरेंद्र नगर शहर में राजस्व और वन भूमि क्षेत्र के चिन्हीकरण से संबंधित मामले पर अफसरों से बात की गई और उन्हें 40 दिन के भीतर जमीनों के चिन्हीकरण करने के निर्देश दिए गए.

उत्तराखंड में राजस्व और वन भूमि के चिन्हीकरण का विवाद कोई नई बात नहीं है. शायद इसीलिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करते हुए राज्य भर में इस तरह की विवादित जमीनों पर निर्णय लिए जाने की कोशिश पहले की जा चुकी है. फिलहाल यह समिति अपना काम कर रही हैं. उधर नरेंद्र नगर शहर में भी ऐसी एक गंभीर स्थिति पैदा हो गई है. हालांकि इसमें नियमों के लिहाज से कुछ भिन्नता जरूर दिखाई देती है.

दरअसल, 1949 में टिहरी रियासत को मर्जर एक्ट के तहत भारत में विलीन किया गया था. नरेंद्र नगर में लगभग 323 हेक्टेयर भूमि राजा के नाम और स्थानीय जनता को दी गई थी. साल 1964 में सेटलमेंट को वन विभाग की तरफ से भी स्वीकार कर लिया गया था. इस पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मर्जर एक्ट के अनुसार टिहरी के महाराज की 222 हेक्टेयर निजी भूमि और 101 हेक्टेयर भूमि को डिमार्केशन किया जाना चाहिए, इसके बाद वन विभाग की भूमि का सही आंकलन और चिन्हीकरण किया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः कभी टिहरी के राजा भी थे इस जंगल के मुरीद, कायदे और कानून आज भी हैं यहां की पहचान

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राजस्व भूमि और वन भूमि के बीच हो रहे विवाद का निस्तारण होना बेहद जरूरी है. क्योंकि इसका सीधा प्रभाव आम जनता पर भी पड़ रहा है. यह सरकार की जिम्मेदारी भी है कि मौजूदा विवाद की स्थिति को खत्म करते हुए सही स्थिति सामने लाई जाए और लोगों के हितों का भी ख्याल रखा जाए. इस दौरान वन मंत्री ने 40 दिनों के अंदर अधिकारियों को जमीनों के चिन्हीकरण करने के निर्देश दिए.

नरेंद्र नगर की राजस्व-वन भूमि के विवाद पर मंथन

देहरादूनः उत्तराखंड के वनमंत्री सुबोध उनियाल ने शनिवार को नरेंद्र नगर शहर की बेहद गंभीर समस्या को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान नरेंद्र नगर शहर में राजस्व और वन भूमि क्षेत्र के चिन्हीकरण से संबंधित मामले पर अफसरों से बात की गई और उन्हें 40 दिन के भीतर जमीनों के चिन्हीकरण करने के निर्देश दिए गए.

उत्तराखंड में राजस्व और वन भूमि के चिन्हीकरण का विवाद कोई नई बात नहीं है. शायद इसीलिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करते हुए राज्य भर में इस तरह की विवादित जमीनों पर निर्णय लिए जाने की कोशिश पहले की जा चुकी है. फिलहाल यह समिति अपना काम कर रही हैं. उधर नरेंद्र नगर शहर में भी ऐसी एक गंभीर स्थिति पैदा हो गई है. हालांकि इसमें नियमों के लिहाज से कुछ भिन्नता जरूर दिखाई देती है.

दरअसल, 1949 में टिहरी रियासत को मर्जर एक्ट के तहत भारत में विलीन किया गया था. नरेंद्र नगर में लगभग 323 हेक्टेयर भूमि राजा के नाम और स्थानीय जनता को दी गई थी. साल 1964 में सेटलमेंट को वन विभाग की तरफ से भी स्वीकार कर लिया गया था. इस पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मर्जर एक्ट के अनुसार टिहरी के महाराज की 222 हेक्टेयर निजी भूमि और 101 हेक्टेयर भूमि को डिमार्केशन किया जाना चाहिए, इसके बाद वन विभाग की भूमि का सही आंकलन और चिन्हीकरण किया जा सकता है.
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वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राजस्व भूमि और वन भूमि के बीच हो रहे विवाद का निस्तारण होना बेहद जरूरी है. क्योंकि इसका सीधा प्रभाव आम जनता पर भी पड़ रहा है. यह सरकार की जिम्मेदारी भी है कि मौजूदा विवाद की स्थिति को खत्म करते हुए सही स्थिति सामने लाई जाए और लोगों के हितों का भी ख्याल रखा जाए. इस दौरान वन मंत्री ने 40 दिनों के अंदर अधिकारियों को जमीनों के चिन्हीकरण करने के निर्देश दिए.

Last Updated : Sep 30, 2023, 10:53 PM IST
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