देहरादून: गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाला प्रस्तावित कंडी मार्ग बिना प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बिना बनती नहीं दिखाई दे रही है. कोर्ट से लेकर तमाम वन्यजीव और पर्यावरणीय संस्थाएं इस मार्ग के खिलाफ निर्देश दे चुकी हैं. ऐसे में उत्तराखंड के वन मंत्री का मानना है कि बिना प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के इस सड़क का बनना अब मुमकिन नहीं है.
भाजपा सरकार की प्राथमिकता में रहा कंडी मार्ग तमाम तकनीकी अड़चनों के चलते आगे नहीं बढ़ पा रहा है. हालांकि, पहले चरण के तहत लालढांग-चिल्लर खाल मार्ग को लेकर सरकार प्रयासरत है. लेकिन कंडी मार्ग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इसका बनना फिलहाल मुश्किल लग रहा है. खास बात ये है कि कंडी मार्ग के निर्माण की जरूरतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बताया जा चुका है. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी राज्य की इस जरुरत से परिचित हैं.
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बता दें कि पूर्व में गढ़वाल से कुमाऊं जाने के लिए कंडी मार्ग का ही उपयोग किया जाता था, लेकिन क्षेत्र में राजाजी रिजर्व पार्क पड़ने के कारण इसे आवाजाही के लिए रोक दिया गया. फिलहाल प्रदेशवासियों को कुमाऊं जाने के लिए उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद, नगीना से होकर जाना पड़ता है. वन मंत्री हरक सिंह रावत के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी प्रदेशवासियों की इस दिक्कत से रूबरू करा दिया गया है और अब प्रधानमंत्री का हस्तक्षेप ही इस मार्ग को बनवा सकता है.