देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में नए प्रमुख वन संरक्षक के पद पर राजीव भरतरी के कमान संभालने के बाद सोमवार को वन मंत्री हरक सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों की पहली बैठक ली. इस बैठक में वन्यजीव पार्कों के सीमांकन से लेकर विभाग में प्रमोशन और लालढांग-चिल्लर खाल मार्ग के निर्माण तक पर कई निर्णय लिए गए.
उत्तराखंड में राजाजी नेशनल पार्क से लेकर केदारनाथ वन्य जीव विहार तक में कई ऐसे गांव हैं, जो वन अधिनियम के चलते मुश्किलों में हैं. यही नहीं विकास कार्यों पर भी इसका बेहद ज्यादा असर पड़ता रहा है. ऐसे में राज्य सरकार राजाजी नेशनल पार्क और केदारनाथ वन्य जीव विहार समेत दूसरे कुछ सेंचुरी में सीमांकन को लेकर प्रयास कर रहा है. प्रदेश सरकार की तरफ से भारत सरकार को इसके पहले भी सीमांकन से जुड़ा प्रस्ताव भेजा गया था. हालांकि कुछ गांव को छोड़कर अब तक अधिकतर में गजट नोटिफिकेशन नहीं हुआ है. ऐसे में वन मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान एक बार फिर भारत सरकार को सीमांकन को लेकर प्रस्ताव भेजे जाने पर सहमति बनी.
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बता दें कि नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड और एनटीसीए की गाइडलाइन के लिहाज से सीमांकन नहीं होने पर 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र को बफर जोन यानी संवेदनशील जोन में माना जाता है. जिस कारण इस क्षेत्र में न केवल रहने वाले लोग प्रभावित होते हैं, बल्कि विकास कार्यो को भी नहीं किया जा सकता. इसीलिए अब उन क्षेत्रों में सीमांकन की कोशिश की जा रही है.
हरक सिंह रावत ने कहा कि बैठक में कर्मचारियों के प्रमोशन में तेजी लाने के निर्देश भी दिए गए हैं. साथ ही लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग के लिए कार्यदाई संस्था पीडब्ल्यूडी को बनाया गया है. साथी 710 मीटर एलिवेटर मार्ग बनाए जाने के लिए तेजी लाने के भी निर्देश दिए गए हैं. इसमें शासन और सरकार के स्तर पर स्वीकृति के बाद इस काम को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा.
हरक सिंह रावत ने कहा कि दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में फील्ड कर्मचारियों की दिक्कतें आ रही है और ऐसा इनके स्टेट का डर के कारण हो रहा है. ऐसे में प्रयास किया जाएगा कि यदि नियमावली को बदलने के बाद इनका डिवीजन का डर कम किया जाए ताकि फील्ड कर्मचारियों की प्रवृत्ति क्षेत्रों में कमी ना रहे.