देहरादून: हरिद्वार के जंगलों के पास गांवों में तीन-तीन स्थानीय लोगों को संविदा पर रखा जाएगा. गांव में ऐसी टीम तैनात रहेगी जो वनकर्मियों को मदद करेगी. ये टीम हरिद्वार के अलावा पूरे प्रदेश में बनाई जाएगी. इस गाइड लाइन के लिए राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में अनुमति मिल चुकी है. इच्छुक युवक-युवतियों को विभाग द्वारा परीक्षण और सामग्री दी जाएगी जो वन विभाग और गांव के बीच एक सेतू का काम करेंगे.
कुछ दिन पहले हरिद्वार में वन विभाग ने 17 किमी की सोलर फैंसिंग लगाई गई थी, लेकिन रख-रखाव न होने के कारण ये सोलर फैंस टूट गई और इस कारण हाथियों के गांव में आने से कई समस्या आ गई थी. विभाग इस समय कई योजना संचालित कर रहा है. जिसमे विभिन्न प्रकार की सुरक्षा दीवारें ओर सोलर फैंस आदि लगाई जा रही है. लेकिन जब तक इनके रखरखाव के लिए प्रशिक्षक मैनपावर न हो तब तक इनका उपयोगी रह पाना सम्भव नहीं है. इसलिए निर्णय लिया गया है कि जंगलों से सटे गांव के दो से तीन लोगों को विभाग द्वारा परीक्षण देकर सुरक्षा दीवार और सोलर फैंसिंग के रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाए.
मुख्य वन्यजीव प्रति पालक राजीव भरतरी ने बताया कि उत्तराखंड में कुछ आबादी वाले क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्ष की सम्भावना काफी अधिक है. साथ ही संघर्ष रहित क्षेत्रों के अंदर स्थित गांव हैं. ऐसे में विभाग की योजना ये है कि ऐसे गांव को चिन्हित कर दो से तीन इच्छुक युवक-युवतियों का चयन कर विभाग द्वारा परीक्षण और सामग्री दी जाए. इससे इन युवाओं को कौशल विकास किया जाएगा. ये युवा एक सेतू का काम करके गांववालों और विभाग के बीच में काम करेंगे.
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राजीव भरतरी ने कहा कि इसी प्रकार से हमने एक ऐप भी लॉन्च किया था, जिसमें जो भी हादसा होता है उसमें रिपोर्ट की जा सकती है. लेकिन सिर्फ एक ऐप लॉन्च करना काफी नहीं है. उसकी जानकारी गांववालों तक पहुंचाना भी ज़रूरी है. ऐसे में मैनपावर के साथ ये काम आसानी से किया जा सकता है.