मसूरीः उत्तराखंड में हरेला पर्व को लेकर तैयारी जोरों पर है. हरेला पर्व के तहत उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में दो करोड़ पौधे रोपे जाने हैं. मसूरी में भी वन विभाग ने पौधरोपण को लेकर पूरी तैयार कर ली है. जिसे लेकर डीएफओ कहकशां नसीम ने एक बैठक आयोजित की. बैठक में हरेला पर्व को लेकर कार्य योजना बनाई गई. जिसके तहत मसूरी के विभिन्न क्षेत्रों में नगर पालिका प्रशासन के सहयोग से अलग-अलग प्रजाति के करीब एक हजार पौधे रोपे जाएंगे.
बता दें कि हर साल 16 जुलाई को उत्तराखंड में हरेला पर्व मनाया जाता है. हरेला एक पारंपरिक त्योहार है, लेकिन अब इस त्योहार के मौके पर बड़े स्तर पर पौधरोपण किया जाने लगा है. जुलाई के पहले पखवाड़े से ही प्रदेशभर में पौधरोपण किया जाता है. मसूरी में भी इसकी तैयारियों पूरी कर ली गई है. डीएफओ कहकशां नसीम ने बताया कि पूरे प्रदेश में हरेला पर्व के तहत विभिन्न प्रजातियों के करोड़ों पौधे रोपे जाएंगे. मसूरी में भी विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रजातियों पौधे लगाए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की महत्वकांक्षी योजना रिस्पना नदी को ऋषिपर्ण बनाने को लेकर विभाग के साथ अन्य संस्था लगातार काम कर रही है. रिस्पना नदी के आसपास के प्राकृतिक सूत्रों को भी चिह्नित किया जा रहा है. जिससे नदी के स्वरूप को दोबारा से लौटाया जा सके. उन्होंने कहा कि रिस्पना नदी का जलस्तर बीते कुछ समय से बढ़ा है.
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वहीं, उन्होंने लोगों से भी सहयोग की अपील करते हुए कहा कि बिना जन सहभागिता के कोई भी योजना कामयाब नहीं होती. ऐसे में बढ़-चढ़कर पौधरोपण कार्यक्रम में हिस्सा लें. साथ ही उन्होंने भू-माफिया को बिना अनुमति के कोई भी पेड़ को नष्ट और षड्यंत्र के तहत न काटने की चेतावनी दी. कोई भी व्यक्ति पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाएगा तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
अधिशासी अधिकारी आशुतोष सती ने बताया कि कई सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर हरेला पर्व मनाया जाएगा. इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा. जबकि, सीमित लोग ही हरेला पर्व में शिरकत करेंगे. उन्होंने कहा कि हरेला के तहत लगाए जाने वाले पौधों आज फल-फूल रहे हैं. करीब 80% पौधे जीवित हैं, जो कि एक अच्छा संकेत हैं. वन है तो पानी है और पानी है तो जीवन है. बिना वनों के जीवन असंभव है. इसलिए वनों को संरक्षित करने के लिए सभी को आगे आना चाहिए.