मसूरी: वन प्रभाग की उप वन संरक्षक कहकशां नसीम ने बताया कि वन विभाग के अनुसार 15 फरवरी से वनाग्नि सीजन माना जाता है. जिसके हिसाब से मसूरी वन प्रभाग ने तैयारियों के साथ जागरूकता अभियान भी शुरू कर दिया है.
मसूरी वन प्रभाग की उप वनसंरक्षक कहकशां नसीम ने बताया कि वन विभाग 15 फरवरी से वनाग्नि सीजन मानता है. उसके हिसाब से वन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. जिसके तहत जहां ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जागरूकता गोष्ठियां की जा रही हैं. वहीं वनों को आग से बचाने के लिए फायर ब्रेक व फायर कंट्रोल का कार्य शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाता है व निगरानी रखी जाती है. इसके लिए सैटेलाइट के नक्शे को अपने नक्शे से मिलान करने के बाद उस क्षेत्र में वनों को आग से बचाने का कार्य किया जाता हैं.
उन्होंने कहा कि वनों को आग से बचाने के लिए तीन जोन बनाये जाते हैं, जिसमें अति संवेदनशील, संवेदनशील व कम संवेदनशील उसी के आधार पर प्लानिंग बनाकर कार्य किया जाता है. वहीं भुवन पोर्टल व नासा सैटेलाइट के साथ कोआर्डिनेट किया जाता है व उससे जो संदेश मिलते हैं. वह सभी विभागीय अधिकारियों सहित वन कर्मी तक पहुंचाये जाते हैं. ताकि सभी सतर्क रहें। वहीं वन अग्नि सीजन में अतिरिक्त कर्मचारी भी रखे जाते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उनका उपयोग किया जा सके.
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उप वनसंरक्षक कहकशां नसीम ने बताया कि जंगलों को आग से बचाने के लिए जिलाधिकारी के नेतृत्व में कमेटी बनी होती है. जिसकी बैठक में सभी संबंधित विभागों को बुलाया जाता है. वहीं इसमें वनाग्नि से बचाव के लिए होने वाले खर्च का बजट भी पास किया जाता है. वहीं बैठक में फायर प्लान भी बनाया जाता है, जिसके आधार पर कार्य किया जाता है. इसके तहत ही इन दिनों जंगलों में फायर लाइन काटी जा रही है व जहां अतिरिक्त पत्तियां एकत्र हो गई है. उन्हें जलाया जाता है ताकि आग लगने के समय वनों को बचाया जा सके. उन्होंने बताया कि गत वर्ष कोरोना काल में वनों को आग से क्षति नहीं पहुंची लेकिन इस साल आग लगने की घटनाओं को ध्यान में रखकर पूरी तैयारी कर ली गई है.