देहरादून: कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण सभी कारोबार बुरी तरह प्रभावित हैं. देश-दुनिया के साथ कोरोना का बुरा असर फूड और ट्रैवल इंडस्ट्री पर भी पड़ा है. असल में जब इकोनॉमी बेहतर होती है तो, लोग फूड और बेवरेज पर अच्छा खर्च करते हैं. इसके अलावा कोरोना की वजह से जो डर का माहौल बना है, उसमें लोग बाहर खाना भी कम कर रहे हैं. इन सब वजहों से राजधानी देहरादून के रेस्टोरेंट कारोबारियों की कमर टूट सी गई है.
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रेस्तरां इंडस्ट्री का सालाना टर्नओवर 4 लाख करोड़ रुपए के आसपास का है. इंडस्ट्री से करीब 70 लाख लोग डायरेक्ट रूप से जुड़े हुए हैं. कोरोना की वजह से यह सेक्टर गंभीर संकट से गुजर रहा है और रेस्तरां इंडस्ट्री का राजस्व लगभग जीरो हो गया है.
दरअसल, देश के करीब 90 फीसदी रेस्टोरेंट लीज पर ली हुई जगह में चलते हैं. इनमें करीब 20 फीसदी रेस्टोरेंट विभिन्न मॉल्स से संचालित होते हैं, बाकी शहरों के मुख्य इलाकों की सड़कों पर होते हैं. इन रेस्टोरेंट को अपनी आमदनी का 15 से 30 फीसदी तक किराया देना होता है. मॉल में चलने वाले रेस्टोरेंट को अतिरिक्त 5 से 6 फीसदी का मेंटेनेन्स चार्ज देना होता है. यह मेंटेनेन्स चार्ज कई बार 3 हजार वर्ग फुट के रेस्टोरेंट के लिए 2 से 3 लाख रुपए महीना तक हो जाता है.
70 फीसदी गिरा रेस्टोरेंट कारोबार
कोरोना वायरस ने तेज रफ्तार से भागते देहरादून शहर की रफ्तार धीमी कर दी है. ऐसे में अनलॉक प्रक्रिया के तहत अब शहरों में आज जिंदगी पटरी पर लौटनी शुरू हो गई है. लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच शहर के रेस्टोरेंट कारोबार में 70 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली. देहरादून में ब्लैक पैपर रेस्टोरेंट मालिक भावन अरोड़ा का कहना है कि रेस्टोरेंट में काम में 70 फीसदी तक गिरावट देखी गई है.
किसी तरह से वो अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. रेस्टोरेंट्स जो पर्यटन सीजन में भरे होते थे, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है. ग्राहक खुद की सेफ्टी के चलते रेस्टोरेंट जाने से बच रहे हैं. भावन अरोड़ा ईटीवी भारत को बताते हैं कि दून शहर में मार्च से मई तक बड़ी संख्या में सैलानियों की भीड़ होती थी. बाहर से आए सैलानी पलटन मार्केट से लेकर राजपुर रोड पर खूब खरीदारी करते थे. लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है.
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सैनिटाइजेशन-मास्क की परंपरा
देहरादून के रेस्टोरेंट अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं. कोरोना के खतरे को देखते हुए रेस्टोरेंट संचालकर गाइडलाइन का सख्ती से पालन कर रहे हैं. रेस्टोरेंट में बिना मास्क और सैनिटाइजेशन ग्राहकों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. खाना सर्व करने से लेकर टेबल-कुर्सियों को सैनिटाइज करने तक का ख्याल रखा जा रहा है.
किचन भी हो रहे सैनिटाइज
रेस्टोरेंट्स की रसोइयों में सफाई का सबसे ज्यादा ख्याल रखा जा रहा है. शहर के रेस्टोरेंट संचालकों का कहना है कि संक्रमण आने का खतरा सबसे ज्यादा किचन से ही है. ऐसे में किचन में आने वाली हर एक खाद्य सामग्री को सैनिटाइज किया जा रहा है. किचर में एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर की जगह अन्य विकल्पों से किचन सामग्री को लगातार साफ किया जाता है.
ग्राहकों की सुरक्षा का पूरा ख्याल
रेस्टोरेंट में आने वाले हर एक व्यक्ति की सुरक्षा के लिये गेट पर ही सैनिटाइजेशन और टेंपरेचर मापने का इंतजाम किया गया है. रेस्टोरेंट के अंदर वेटर्स और अन्य कर्मचारियों को मास्क और ग्लब्स पहनकर काम करने को कहा गया है. ग्राहक की टेबल पर परमानेंट मैन्यू नहीं बल्कि कागज का एक टेंपरेरी मैन्यू दिया जा रहा है, जिसे हर बार बदला जा रहा है.
ऑनलाइन डिलीवरी बनी संजीवनी
कोरोना संकट के बीच रेस्टोरेंट संचालकों के लिए अपने कर्मचारियों का मेहनताना निकालना भी एक बड़ा चैलेंज बना है. ऐसे में रेस्टोरेंट मालिकों को सिर्फ ऑनलाइन उम्मीद ही दिख रही है. देहरादून के रेस्टोरेंट संचालक ऑनलाइन फूड डिलीवरी सिस्टम की बदौलत व्यवसाय को बढ़ाने में जुटे हुए हैं और भविष्य में ऑनलाइन बिजनेस को लेकर कई रणनीति बना रहे हैं.