देहरादून: कोरोना काल में रेस्टोरेंट संचालकों के लिए फूड डिलीवरी कंपनियां संजीवनी साबित हुईं है. पिछले साल हुए लॉकडाउन या फिर इस वर्ष कोरोना कर्फ्यू में जब सड़कों पर सन्नाटा पसरा था. रेस्टोरेंट और दुकानों में ताले जड़े हुए थे, तब फूड डिलीवरी कंपनियों ने लोगों की डिमांड पर उनको फूड पहुंचाया है. ऐसे में ऐसा हम नहीं खुद शहर के तमाम रेस्टोरेंट संचालकों का कहना है.
दरअसल, इन फूड डिलीवरी कंपनियों के सहारे शहर के तमाम रेस्टोरेंट संचालकों का व्यापार उस दौर में भी चलता रहा, जब पूरा शहर बंद था. देहरादून के एक रेस्टोरेंट संचालक अरविंद पुंडीर बताते हैं कि अगर फूड डिलीवरी कंपनियों का सहारा नहीं होता, तो शायद रेस्टोरेंट संचालकों को भारी आर्थिक नुकसान से गुजरना पड़ता लेकिन कोविड कर्फ्यू में भी इन फूड डिलीवरी कंपनियों के सहारे उनकी रोजी रोटी चलती है.
रेस्टोरेंट संचालक ये भी मानते हैं कि कोरोना से पहले उनको इन कंपनियों पर उतना भरोसा नहीं था लेकिन जब इन कंपनियों ने उनकी डूबती नैया को बचाया. कोरोना कर्फ्यू में जब उन्हें बड़े आर्थिक नुकसान का खतरा सता रहा था, तब ये कंपनियां उनके लिए बड़ा सहारा साबित हुईं हैं.
वहीं, देहरादून के एक जाने-माने रेस्टोरेंट संचालक सचिन नारंग का भी यही मानना है कि होम फूड डिलीवरी कंपनियों के माध्यम से रेस्टोरेंट संचालकों को संजीवनी मिली है. अगर यह कंपनियां नहीं होती तो रेस्टोरेंट्स सेक्टर को बहुत बड़े आर्थिक नुकसान के दौर से गुजरना पड़ता, जिससे उबर पाने में कई साल लग जाते. इन होम फूड डिलीवरी कम्पनियों के माध्यम से उनके रेस्टोरेंट को प्रतिदिन 100 से ऊपर ज्यादा आइटम्स की डिमांड आती थी, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.
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ईटीवी भारत ने जब फूड डिलीवरी ब्वॉय से बात की, तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकारा की लॉकडाउन और कोविड कर्फ्यू में अचानक की होम फूड डिलीवरी की डिमांड काफी बढ़ गई थी. जहां सामान्य दिनों वह प्रतिदिन 10 से 12 घरों में फूड डिलीवरी करते थे, वहीं कोरोना कर्फ्यू में यह डिमांड बढ़कर 18 से 20 तक पहुंच गई.
इस बढ़ती डिमांड को देखते हुए कंपनियों को डिलीवरी ब्वॉयज की संख्या बढ़ानी पड़ी, लेकिन अब जब एक बार फिर जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है, तो इस डिमांड में गिरावट देखने मिल रही है. हालांकि, अभी भी लोग रेस्टोरेंट जाने की बजाय घर पर ही फूड डिलीवरी कराने को सुरक्षित मान रहे हैं.