देहरादून: उत्तराखंड में दुग्ध संघ से जुड़ी एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है. दरअसल इन दिनों संघ से जुड़े अधिकारी पशुओं के लिए देहरादून से पिथौरागढ़ के लिए भेजे गए करीब 5000 किलोग्राम हरे मिक्स चारे की खोजबीन में जुटे हैं.
उत्तराखंड दुग्ध विभाग में उस समय हड़कंप मच गया, जब पता चला कि यहां करीब 5 हजार किलोग्राम चारा कहीं गायब हो गया. दरअसल पिथौरागढ़ निवासी अशोक धामी ने इस संदर्भ में जिलाधिकारी से शिकायत की थी. जिसमें उन्होंने चारे को गलत तरीके से उधमसिंह नगर में उतारे जाने का आरोप लगाया. अशोक धामी ने आरोप लगाया कि देहरादून के साइलेज फेडरेशन से करीब 5000 किलोग्राम चारा पिथौरागढ़ के लिए भेजा गया, लेकिन वह पिथौरागढ़ जाने के बजाय उधम सिंह नगर के बाजपुर में ही उतार लिया गया.
मजे की बात यह है कि पिथौरागढ़ दुग्ध संघ की तरफ से इसके भुगतान किए जाने के भी आरोप लगाए गए हैं. मामला सामने आने के बाद ईटीवी भारत ने दुग्ध विभाग के मंत्री सौरभ बहुगुणा से बात की. जिसमें उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है कि पिथौरागढ़ जाने वाला चारा उधमसिंह नगर में उतारा गया है. मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन्हें लगता है कि इस मामले में गड़बड़ी हुई है और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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दरअसल ये पूरा मामला दिसंबर महीने का है. इसी दौरान इसकी शिकायत भी कर दी गई थी. मामले में प्राथमिक रूप से जांच रिपोर्ट भी आ चुकी है. जिसमें गड़बड़ी होने की स्थिति भी दिखाई दे रही है. हालांकि, जांच स्पष्ट न होने के कारण दोबारा से इस पर स्पष्ट जांच के निर्देश दे दिए गए हैं. हालांकि, रिकॉर्ड बताता है कि एक तरफ जहां देहरादून से चारा भेजा गया तो, वही पिथौरागढ़ दुग्ध संघ में भी इस चारे की रिसीविंग दिखाई है.
इस तरह इस रिसीविंग के आधार पर विभाग के अधिकारी चारे के पिथौरागढ़ पहुंचने की आशंका जता रहे हैं. हालांकि, इसमें जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की बात भी कही जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस व्यक्ति की तरफ से इस मामले में शिकायत की गई है, उसी ने समिति के माध्यम से चारे के पिथौरागढ़ पहुंचने की रिसीविंग ली है. अब सवाल उठ रहा है कि यदि रिसीविंग हुई है और पैसा भी भुगतान कर दिया गया है तो, फिर उधम सिंह नगर में चारा उतारे जाने की बात कैसे सामने आई है?
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डेयरी विकास विभाग के संयुक्त निदेशक जयदीप अरोड़ा कहते हैं कि जांच में कई कमियां दिखाई दे रही है. दोबारा जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है. उन्होंने कहा रिकॉर्ड बताते हैं कि चारा पिथौरागढ़ में पहुंचा था, लेकिन भुगतान के दौरान जो प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी वह नहीं अपनाई गई. लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा. फिलहाल जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए.
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि आरोप लगाने वाले व्यक्ति ने ही चारे को पिथौरागढ़ में रिसीव किया है. इस दावे के अनुसार अब सवाल यह उठता है कि क्या महज कागजों में ही चारा पिथौरागढ़ में रिसीव किया गया. क्योंकि शिकायतकर्ता की तरफ से तो कुछ इसी तरह बातें शिकायत में कही गई है. यह चारा सरकार की तरफ से सब्सिडाइज था. लिहाजा इस चारे का महज ₹36000 ही भुगतान होना था, लेकिन इसमें ऐसे कई सवाल है, जिसके जवाब अभी आने बाकी हैं.