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उत्तराखंड विधानसभा सत्र का पहला दिन, CM धामी ने सदन के पटल पर रखा लेखानुदान बजट

उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा का प्रथम सत्र की कार्यवाही आज से शुरू हो गई है. विधानसभा सत्र राज्यपाल ले. जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ. वहीं, सीएम धामी ने अगले चार महीनों के लिए सदन के पटल पर 21116 करोड़ रुपये का लेखानुदान बजट रखा.

Uttarakhand Legislative Assembly
उत्तराखंड विधानसभा सत्र 2022
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Published : Mar 29, 2022, 7:51 AM IST

Updated : Mar 29, 2022, 4:29 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा का प्रथम सत्र आज से शुरू हो गया है. विधानसभा सत्र राज्यपाल ले. जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ. इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड को भारत सरकार की ओर से सर्वोत्तम फिल्म प्रदेश का सम्मान प्राप्त हुआ. केंद्र ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग को 2020 में मोस्ट प्रोएक्टिव स्टेट घोषित किया है. साथ ही किसानों की आय दोगुनी करने के लिए दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना संचालित हो रही है. इसके अलावा प्रदेश में चारधाम यात्रा के अंतर्गत गंगोत्री और यमुनोत्री के विकास के लिए 246 करोड़ रुपए की वित्त पोषण की कार्यवाही गतिमान है.

राज्यपाल ले. जनरल (से) गुरमीत सिंह ने अपने अभिभाषण में कहा कि पेराई सत्र 2021-22 में गन्ना क्षेत्रफल अट्ठासी हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 2022-23 में एक लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही प्रदेश में वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू की गई है. कोविड काल में लॉकडाउन की अवधि में दस लाख परिवारों को 20 किलो खाद्यान्न प्रति माह दिया गया. वहीं, मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना के अंतर्गत 23 लाख परिवारों को 2 किलो दाल दी जा रही है. राज्य को स्वजल स्वच्छ भारत मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए 2019-20 में 9 पुरस्कार मिले.

उत्तराखंड विधानसभा सत्र का पहला दिन.

बता दें कि आज विधानसभा सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सदन पटल पर अगले चार महीनों के लिए 21116 करोड़ का लेखानुदान बजट रखा. विधानसभा सत्र में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने समेत सरकार के पांच साल के कार्यों पर चर्चा हो सकती है. वहीं विपक्ष सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी जैसे विषयों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.
पढ़ें- मंत्रियों को मिले अफसरों की CR लिखने का मौका: कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज

आज से उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू हो गया है, जो 31 मार्च तक चलेगा. विधानमंडल दल की बैठक में सत्र की तैयारियों पर चर्चा के साथ ही विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले विषयों का जवाब देने की रणनीति तैयार की गई. धामी सरकार की दूसरी पारी का यह पहला विधानसभा सत्र है, जो राज्यपाल के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ.

उत्तराखंड का राज्यपाल बनने के बाद यह उनका पहला अभिभाषण था. सदन में सरकार आगामी चार माह के लिए लेखानुदान प्रस्तुत करेगी. कुछ अध्यादेश भी पटल पर रखे जाएंगे. 31 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण और लेखानुदान पर चर्चा के साथ ही पास भी होना है. सत्र के दौरान विपक्ष की ओर से विभिन्न विषयों पर सरकार को घेरने का प्रयास भी किया जाएगा. इसे देखते हुए सरकार भी अपने तरकश में तीर तैयार करने में जुट गई है, ताकि विपक्ष के हर प्रश्न का सदन में जवाब दिया जा सके.

नेता प्रतिपक्ष का चयन क्यों नहीं: इस बीच ये सवाल भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस की ओर से सदन में उनके प्रतिनिधि का चुनाव अबतक क्यों नहीं किया जा सका है. उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली दफा है जब विधानसभा का सत्र चल रहा है और विपक्ष का कोई प्रतिनिधि सदन में नहीं है. दरअसल, कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर हरीश रावत और प्रीतम सिंह के गुट आमने-सामने हैं, जिसके कारण देरी हो रही है.

हालांकि, एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि एक मजबूत और क्रियात्मक विपक्ष हो, जो सरकार के अच्छे कामों में सरकार का साथ दें और कहीं पर अगर सरकार से कोई कमी रह जाती है तो उसको एक क्रियात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए. इस मामले में पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रहे कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह का कहना है कि, बिना नेता प्रतिपक्ष के भी सदन चल सकता है. नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है. हालांकि, वो ये भी कहते हैं यह सवाल पार्टी हाईकमान से होना चाहिए कि इस पद को लेकर किसी नाम का चयन करने में इतनी देरी क्यों हो रही है? प्रीतम सिंह कहते हैं कि यदि उनको इस बात का अधिकार होता तो वह एक दिन में ही नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह तय कर देते.

देहरादून: उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा का प्रथम सत्र आज से शुरू हो गया है. विधानसभा सत्र राज्यपाल ले. जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ. इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड को भारत सरकार की ओर से सर्वोत्तम फिल्म प्रदेश का सम्मान प्राप्त हुआ. केंद्र ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग को 2020 में मोस्ट प्रोएक्टिव स्टेट घोषित किया है. साथ ही किसानों की आय दोगुनी करने के लिए दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना संचालित हो रही है. इसके अलावा प्रदेश में चारधाम यात्रा के अंतर्गत गंगोत्री और यमुनोत्री के विकास के लिए 246 करोड़ रुपए की वित्त पोषण की कार्यवाही गतिमान है.

राज्यपाल ले. जनरल (से) गुरमीत सिंह ने अपने अभिभाषण में कहा कि पेराई सत्र 2021-22 में गन्ना क्षेत्रफल अट्ठासी हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 2022-23 में एक लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही प्रदेश में वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू की गई है. कोविड काल में लॉकडाउन की अवधि में दस लाख परिवारों को 20 किलो खाद्यान्न प्रति माह दिया गया. वहीं, मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना के अंतर्गत 23 लाख परिवारों को 2 किलो दाल दी जा रही है. राज्य को स्वजल स्वच्छ भारत मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए 2019-20 में 9 पुरस्कार मिले.

उत्तराखंड विधानसभा सत्र का पहला दिन.

बता दें कि आज विधानसभा सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सदन पटल पर अगले चार महीनों के लिए 21116 करोड़ का लेखानुदान बजट रखा. विधानसभा सत्र में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने समेत सरकार के पांच साल के कार्यों पर चर्चा हो सकती है. वहीं विपक्ष सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी जैसे विषयों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.
पढ़ें- मंत्रियों को मिले अफसरों की CR लिखने का मौका: कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज

आज से उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू हो गया है, जो 31 मार्च तक चलेगा. विधानमंडल दल की बैठक में सत्र की तैयारियों पर चर्चा के साथ ही विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले विषयों का जवाब देने की रणनीति तैयार की गई. धामी सरकार की दूसरी पारी का यह पहला विधानसभा सत्र है, जो राज्यपाल के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ.

उत्तराखंड का राज्यपाल बनने के बाद यह उनका पहला अभिभाषण था. सदन में सरकार आगामी चार माह के लिए लेखानुदान प्रस्तुत करेगी. कुछ अध्यादेश भी पटल पर रखे जाएंगे. 31 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण और लेखानुदान पर चर्चा के साथ ही पास भी होना है. सत्र के दौरान विपक्ष की ओर से विभिन्न विषयों पर सरकार को घेरने का प्रयास भी किया जाएगा. इसे देखते हुए सरकार भी अपने तरकश में तीर तैयार करने में जुट गई है, ताकि विपक्ष के हर प्रश्न का सदन में जवाब दिया जा सके.

नेता प्रतिपक्ष का चयन क्यों नहीं: इस बीच ये सवाल भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस की ओर से सदन में उनके प्रतिनिधि का चुनाव अबतक क्यों नहीं किया जा सका है. उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली दफा है जब विधानसभा का सत्र चल रहा है और विपक्ष का कोई प्रतिनिधि सदन में नहीं है. दरअसल, कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर हरीश रावत और प्रीतम सिंह के गुट आमने-सामने हैं, जिसके कारण देरी हो रही है.

हालांकि, एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि एक मजबूत और क्रियात्मक विपक्ष हो, जो सरकार के अच्छे कामों में सरकार का साथ दें और कहीं पर अगर सरकार से कोई कमी रह जाती है तो उसको एक क्रियात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए. इस मामले में पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रहे कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह का कहना है कि, बिना नेता प्रतिपक्ष के भी सदन चल सकता है. नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है. हालांकि, वो ये भी कहते हैं यह सवाल पार्टी हाईकमान से होना चाहिए कि इस पद को लेकर किसी नाम का चयन करने में इतनी देरी क्यों हो रही है? प्रीतम सिंह कहते हैं कि यदि उनको इस बात का अधिकार होता तो वह एक दिन में ही नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह तय कर देते.

Last Updated : Mar 29, 2022, 4:29 PM IST
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