देहरादून: हरिद्वार में सरकारी भूमि को खुर्द बुर्द करने के पुराने मामले पर आखिरकार विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. बड़ी बात यह है कि तत्कालीन एसडीएम समेत दूसरे कुछ अधिकारियों के नाम भी इस मामले में लिए जा रहे हैं. 10 सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों समेत 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. इस प्रकरण को लेकर विजिलेंस के एसपी धीरेंद्र गुंज्याल ने ईटीवी भारत से बात कर इसकी पुष्टि भी की है.
विजिलेंस के रडार पर रिटायर्ड पीसीएस अधिकारी: दरअसल मामला काफी पुराना है और तभी से विजिलेंस प्रकरण को लेकर जांच कर रही थी. जिसमें कई अहम सुराग मिलने के बाद विजिलेंस की टीम ने इस पर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है. खबर है कि इस मामले में धारा 420, 467, 468, 471, 218 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ साठगांठ कर षड्यंत्र के तहत सरकारी जमीन को खुर्द-बुर्द करने का आरोप है. बताया जा रहा है कि इस मामले में एक रिटायर्ड पीसीएस अधिकारी के साथ मौजूदा PCS अधिकारी भी विजिलेंस की रडार पर हैं.
सरकारी जमीन (शत्रु संपत्ति) को खुर्द बुर्द करने के मामले में 10 लोक सेवकों यानी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारी के साथ ही 18 अधिवक्ताओं और भूमाफियाओं के खिलाफ मामला पंजीकृत हुआ है. शासन के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज किया गया है. ये पूरा मामला सन 2016 का हरिद्वार के ज्वालापुर का है. इस घोटाले में खुली जांच में सरकारी जमीन को खुर्द बुर्द करने के लिए षड्यंत्र कर कूटरचित दस्तावेज तैयार किए गए थे. तत्कालीन उपजिलाधिकारी, तत्कालीन लेखपाल, तत्कालीन कानूनगो समेत कई लोगों के नाम FIR में दर्ज किए गए हैं. मुकदमा दर्ज होने के बाद पीसीएस अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. उन्होंने शासन के सम्मुख आपत्ति जताई है.
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खबर सामने आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप: सूत्र बताते हैं कि उस दौरान एसडीएम और तहसीलदार पद के अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लाया गया है, जबकि यह खबर सामने आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया है. इस मामले को लेकर विजिलेंस के अधिकारियों से ईटीवी भारत ने बात की, लेकिन उन्होंने इस पर विस्तृत जानकारी देने से मना कर दिया. बताया जा रहा है कि प्रकरण में कुछ बड़े अधिकारियों का नाम होने के कारण फिलहाल विजिलेंस संभाल कर कदम आगे बढ़ा रही है.
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