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गेहूं की ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए FCI का बड़ा फैसला, तय की अपर लिमिट

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Published : Jul 9, 2023, 6:31 PM IST

Updated : Jul 10, 2023, 3:56 PM IST

गेहूं की ब्लैक मार्केटिंग को रोकने के लिए FCI का बड़ा फैसला लिया है. इसके लिए FCI ने गेहूं खरीद पर अपर लिमिट तय कर दी है. गेहूं खरीद की इस लिमिट को 100 मीट्रिक टन कर दिया गया है. इसके जरिये उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में गेहूं आपूर्ति पर फोकस किया जा रहा है.

black marketing of wheat
गेहूं की ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए FCI का बड़ा फैसला
गेहूं की ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए FCI का बड़ा फैसला

देहरादून: गेहूं खरीद कर स्टॉक करने और गेहूं के दाम अस्थिर करने वाले पर शिकंजा कसते हुए फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं खरीद की लिमिट को 100 मीट्रिक टन सीमित कर दी है. वहीं, इस प्रक्रिया के तहत FCI ने उत्तराखंड में अब तक 6 हजार मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया है. जिसमें सीमांत इलाकों पर गेहूं आपूर्ति पर फोकस किया जा रहा है.

फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में गेहूं आपूर्ति को बनाए रखने साथ ही गेहूं के मार्केट में मूल्य को स्थिर बनाए रखने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम लेकर आया है. जिसके तहत बाजार में गेहूं खरीद की अप्पर लिमिट को 100 मीट्रिक टन सीमित किया है. एफसीआई की इस स्कीम के तहत अब तक उत्तराखंड में 6000 मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया जा चुका है. जिसमें से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और सिमली जैसे इलाकों में भी लगातार गेहूं की आपूर्ति की जा रही है.

पढ़ें- उत्तराखंड में गेहूं खरीद की अवधि 27 मई तक बढ़ी, एक साल हर महीने मिलेगा 20 किलो राशन

गेहूं की ब्लैक मार्केटिंग: फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के उत्तराखंड जनरल मैनेजर राजेश सिंह ने बताया बाजार में गेहूं के होल्डिंग करने वालों पर एफसीआई ने नकेल कसी है. पहले गेहूं खरीद को लेकर के कोई लिमिट ना होने की वजह से बाजार के बड़े व्यवसाय फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की नीलामी में ज्यादा मात्रा में गेहूं की खरीद करते थे. उसका भंडारण कर बाजार में गेहूं की आपूर्ति का संतुलन बिगड़ने की कोशिश करते थे. ऐसे में बाजार में गेहूं के मूल्य में भी स्थिरता आती थी. उसके बाद इस तरह के व्यवसाय मुनाफा कमाने के लिए गेहूं का भंडारण किया करते थे, लेकिन, अब फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया ने अपनी नई स्कीम के तहत गेहूं खरीद की अपर लिमिट को तय कर दिया. जिसके बाद किसी भी व्यवसाई को 100 मrट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदने की अनुमति नहीं है. इस स्कीम के बाद बाजार में मौजूद छोटे व्यवसायियों को भी गेहूं खरीद प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलता है. बाजार में गेहूं की आपूर्ति का संतुलन बना रहता है.

पढ़ें- खटीमा में किसानों ने की सरकारी मूल्य पर गेहूं खरीद शुरू करने की मांग

उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में गेहूं आपूर्ति पर फोकस: उत्तराखंड एफसीआई में जनरल मैनेजर राजेश सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि ओपन मार्केट सेल स्कीम का सबसे बड़ा उद्देश्य बाजार में चावल और गेहूं की उपलब्धता को बनाए रखना है. उन्होंने बताया इस स्कीम के तहत सप्लाईसाइड को बढ़ाकर प्राइस स्टेबलाइजेशन पर केंद्रित किया जाता है. उन्होंने बताया इस नई स्कीम के तहत उत्तराखंड में अब तक दो बड़े टेंडर हो चुके हैं. पहला 28 जून को टेंडर हुआ था. जिसमें 1500 मीट्रिक टन गेहूं की सप्लाई की गई. दूसरा टेंडर 5 जुलाई को खोला गया. जिसमें 2600 मीट्रिक टन गेहूं की सप्लाई की गई. इन दोनों टेंडर में 40 व्यवसायियों ने भाग लिया. उन्होंने बताया इस स्कीम के तहत अब सभी लोगों को बराबर मात्रा में गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है. खासतौर से इस बार सीमांत इलाकों में गेहूं सप्लाई को लेकर के एफसीआई का पूरा फोकस है. उन्होंने बताया पिथौरागढ़ से मिली जैसे उनके भंडार ग्रहों से इस बार अच्छी लिफ्टिंग की गई है.

गेहूं की ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए FCI का बड़ा फैसला

देहरादून: गेहूं खरीद कर स्टॉक करने और गेहूं के दाम अस्थिर करने वाले पर शिकंजा कसते हुए फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं खरीद की लिमिट को 100 मीट्रिक टन सीमित कर दी है. वहीं, इस प्रक्रिया के तहत FCI ने उत्तराखंड में अब तक 6 हजार मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया है. जिसमें सीमांत इलाकों पर गेहूं आपूर्ति पर फोकस किया जा रहा है.

फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में गेहूं आपूर्ति को बनाए रखने साथ ही गेहूं के मार्केट में मूल्य को स्थिर बनाए रखने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम लेकर आया है. जिसके तहत बाजार में गेहूं खरीद की अप्पर लिमिट को 100 मीट्रिक टन सीमित किया है. एफसीआई की इस स्कीम के तहत अब तक उत्तराखंड में 6000 मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया जा चुका है. जिसमें से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और सिमली जैसे इलाकों में भी लगातार गेहूं की आपूर्ति की जा रही है.

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गेहूं की ब्लैक मार्केटिंग: फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के उत्तराखंड जनरल मैनेजर राजेश सिंह ने बताया बाजार में गेहूं के होल्डिंग करने वालों पर एफसीआई ने नकेल कसी है. पहले गेहूं खरीद को लेकर के कोई लिमिट ना होने की वजह से बाजार के बड़े व्यवसाय फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की नीलामी में ज्यादा मात्रा में गेहूं की खरीद करते थे. उसका भंडारण कर बाजार में गेहूं की आपूर्ति का संतुलन बिगड़ने की कोशिश करते थे. ऐसे में बाजार में गेहूं के मूल्य में भी स्थिरता आती थी. उसके बाद इस तरह के व्यवसाय मुनाफा कमाने के लिए गेहूं का भंडारण किया करते थे, लेकिन, अब फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया ने अपनी नई स्कीम के तहत गेहूं खरीद की अपर लिमिट को तय कर दिया. जिसके बाद किसी भी व्यवसाई को 100 मrट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदने की अनुमति नहीं है. इस स्कीम के बाद बाजार में मौजूद छोटे व्यवसायियों को भी गेहूं खरीद प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलता है. बाजार में गेहूं की आपूर्ति का संतुलन बना रहता है.

पढ़ें- खटीमा में किसानों ने की सरकारी मूल्य पर गेहूं खरीद शुरू करने की मांग

उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में गेहूं आपूर्ति पर फोकस: उत्तराखंड एफसीआई में जनरल मैनेजर राजेश सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि ओपन मार्केट सेल स्कीम का सबसे बड़ा उद्देश्य बाजार में चावल और गेहूं की उपलब्धता को बनाए रखना है. उन्होंने बताया इस स्कीम के तहत सप्लाईसाइड को बढ़ाकर प्राइस स्टेबलाइजेशन पर केंद्रित किया जाता है. उन्होंने बताया इस नई स्कीम के तहत उत्तराखंड में अब तक दो बड़े टेंडर हो चुके हैं. पहला 28 जून को टेंडर हुआ था. जिसमें 1500 मीट्रिक टन गेहूं की सप्लाई की गई. दूसरा टेंडर 5 जुलाई को खोला गया. जिसमें 2600 मीट्रिक टन गेहूं की सप्लाई की गई. इन दोनों टेंडर में 40 व्यवसायियों ने भाग लिया. उन्होंने बताया इस स्कीम के तहत अब सभी लोगों को बराबर मात्रा में गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है. खासतौर से इस बार सीमांत इलाकों में गेहूं सप्लाई को लेकर के एफसीआई का पूरा फोकस है. उन्होंने बताया पिथौरागढ़ से मिली जैसे उनके भंडार ग्रहों से इस बार अच्छी लिफ्टिंग की गई है.

Last Updated : Jul 10, 2023, 3:56 PM IST
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