देहरादून: देश में खाद्यान्न उपलब्धता को लेकर महत्वपूर्ण इकाई भारतीय खाद्य निगम इन दिनों कर्मचारियों के विरोध को झेल रहे हैं. उत्तर भारत के 9 राज्यों में कर्मचारियों का चल रहा यह विरोध, प्रबंधन में भ्रष्टाचार और बेवजह किए जा रहे तबादलों को लेकर है. इसी सिलसिले में निगम की दो महत्वपूर्ण यूनियनों ने अपनी 7 सूत्रीय मांगों को निगम प्रबंधन के सामने रखा है.
भारतीय खाद्य निगम में कर्मचारियों की नारेबाजी प्रबंधन के लिए परेशानी बन गई है. देश में 14 बड़ी राष्ट्रीय योजनाओं को निगम के माध्यम से संचालित किया जा रहा है. ऐसे में अपनी 7 सूत्रीय मांगों के साथ विरोध में जुटे कर्मचारियों ने आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बनाया है. कर्मचारी संगठनों की तरफ से फिलहाल एक दिन का धरना देकर प्रबंधन को आगाह करने की कोशिश की गई. इसी सिलसिले में उत्तर भारत में 9 राज्यों में हो रहे इस विरोध का स्वरूप देहरादून स्थित भारतीय खाद्य निगम के कार्यालय में भी देखने को भी मिला.यहां कर्मचारी संगठनों के बैनर तले कर्मचारियों ने प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की. साथ ही विभिन्न मांगों के जल्द से जल्द पूरा किए जाने की मांग प्रबंधन से की.
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बता दें कर्मचारी संगठनों की तरफ से सात सूत्रीय मांगों को रखा गया, जिसमें विभागीय अधिकारी को ही कार्यकारी निदेशक उत्तर बनाने की मांग रखी गई. इसके अलावा बेवजह हो रहे कर्मचारियों के स्थानांतरण को भी तुरंत रोके जाने की बात भी कही गई. इसी तरह की कुल 7 मांगों को रखा गया है.
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एफसीआई एग्जीक्यूटिव स्टाफ यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह राणा ने बताया पहले ही भारतीय खाद्य निगम में 40% स्टाफ के साथ कर्मचारी दिन रात काम में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा निगम में करीब 60% स्टाफ की कमी है. इसके बावजूद भी कोरोनाकाल से लेकर सामान्य परिस्थितियों में भी कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं. इस सब के बावजूद प्रबंधन की तरफ से 2500 से करीब 228 लोगों के बेवजह ट्रांसफर कर दिया गया. कर्मचारी संगठन इन तबादलों का विरोध करता है. वो फौरन इन आदेशों को वापस लिए जाने की मांग करता है.