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पंचायत जनाधिकार मंच ने किया उपवास, पंचायत एक्ट में हुए फेरबदल का किया विरोध

पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखंड के बैनर तले मंगलवार को एक सांकेतिक उपवास का आयोजन किया गया. मौके पर जोत सिंह ने भजापा से निकाले गए सभी 40 लोगों को पंचायत जनाधिकार मंच में शामिल होने का न्योता भी दिया.

सांकेतिक उपवास का आयोजन.
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Published : Oct 1, 2019, 7:03 PM IST

ऋषिकेश : पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखंड के बैनर तले मंगलवार को एक सांकेतिक उपवास का आयोजन किया गया. यह आयोजन त्रिवेणी घाट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्तंभ के समक्ष किया गया. जिसका उद्देश्य पंचायती एक्ट में हुए फेरबदल का विरोध है.

सांकेतिक उपवास का आयोजन.

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इस मौके पर जोत सिंह बिष्ट ने बीजेपी से निष्कासित लोगों को पंचायत जनाधिकार मंच में शामिल होने का न्योता भी दिया. जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पंचायतों के लिए जो संशोधित कानून बनाया है, उसके कारण कई हजार लोग क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायत के सदस्य के पदों पर चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं.

यह भी पढ़ें-रावण बने BJP विधायक के बिगड़े बोल, सीता माता पर की अमर्यादित टिप्पणी

जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि उत्तराखंड देश का अकेला राज्य बन गया है जिस में एक ही संस्था में चुनाव में दो नियम से कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ हम लोग हाइकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग पैरवी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें-शिवलिंग हिमशिखर की परिक्रमा कर लौटा दल, जल्द मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर शुरू की जाएगी यात्रा

उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि निकट भविष्य में इन दोनों याचिकाओं पर उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन जिन 12 जिलों में पंचायतों के चुनाव चल रहे हैं वहां के वोटरों को भी फैसला करने का अधिकार मिला है.

यह भी पढ़ें-पंचायत चुनावः आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन, प्रत्याशी नियमों को कर रहे दरकिनार​​​​​​​

इस अवसर पर बिष्ट ने कहा कि मतदाताओं को प्रतिनिधि का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस उपवास कार्यक्रम के माध्यम से वे सभी मतदाता भाइयों व बहनों से अपील करते हैं कि पंचायतों को कमजोर करने वाली सरकार को करारा जवाब देने के लिए दलगत भावना से ऊपर उठकर मतदान करें.

ऋषिकेश : पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखंड के बैनर तले मंगलवार को एक सांकेतिक उपवास का आयोजन किया गया. यह आयोजन त्रिवेणी घाट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्तंभ के समक्ष किया गया. जिसका उद्देश्य पंचायती एक्ट में हुए फेरबदल का विरोध है.

सांकेतिक उपवास का आयोजन.

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इस मौके पर जोत सिंह बिष्ट ने बीजेपी से निष्कासित लोगों को पंचायत जनाधिकार मंच में शामिल होने का न्योता भी दिया. जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पंचायतों के लिए जो संशोधित कानून बनाया है, उसके कारण कई हजार लोग क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायत के सदस्य के पदों पर चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं.

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जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि उत्तराखंड देश का अकेला राज्य बन गया है जिस में एक ही संस्था में चुनाव में दो नियम से कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ हम लोग हाइकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग पैरवी कर रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि निकट भविष्य में इन दोनों याचिकाओं पर उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन जिन 12 जिलों में पंचायतों के चुनाव चल रहे हैं वहां के वोटरों को भी फैसला करने का अधिकार मिला है.

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इस अवसर पर बिष्ट ने कहा कि मतदाताओं को प्रतिनिधि का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस उपवास कार्यक्रम के माध्यम से वे सभी मतदाता भाइयों व बहनों से अपील करते हैं कि पंचायतों को कमजोर करने वाली सरकार को करारा जवाब देने के लिए दलगत भावना से ऊपर उठकर मतदान करें.

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ऋषिकेश--पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखंड के बैनर तले आज 1 अक्टूबर को मंच के संस्थापक संयोजक जोत सिंह बिष्ट के नेतृत्व में एक सांकेतिक उपवास का आयोजन तीर्थनगरी ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्तंभ के समक्ष किया गया,संयोजक जोत सिंह ने भजापा से निकाले गए सभी 40 लोगों को पंचायत जनाधिकार मंच में शामिल होने का न्योता भी दिया।


Body:वी/ओ--जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पंचायतों के लिए जो संशोधित कानून बनाया है उसके कारण कई हजार लोग क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायत के सदस्य के पदों पर चुनाव लड़ने से बंचित हो गये हैं। उत्तराखंड देश का अकेला राज्य बन गया है जिस में एक ही संस्था में चुनाव में दो नियम से कराए जा रहे हैं। इस काले कानून के खिलाफ हम लोग हाइकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग पैरवी कर रहे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि निकट भविष्य में इन दोनों याचिका पर हमको न्याय मिलेगा। लेकिन जिन 12 जिलों में पंचायतों के चुनाव चल रहे हैं वहाँ के मतदाताओं को भी फैसला करने का अधिकार मिला है।


Conclusion:वी/ओ-- मतदाता को इस समय 5 साल के लिए अपनी ग्रामीण सरकार के प्रतिनिधि का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए। इस उपवास कार्यक्रम के माध्यम से हम सभी मतदाता भाइयों व बहनों से अपील करते हैं कि पंचायतों को कमजोर करने वाली सरकार को करारा जवाब देने के लिए दलगत भावना से ऊपर उठकर मतदान करते हुए अपने अपने क्षेत्र से योग्य प्रतिनिधि चुनकर भेजें।


बाईट--जोत सिंह बिष्ट(पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखण्ड, संयोजक)

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