देहरादून : प्रदेश में 27 मई से मॉनसून दस्तक देने जा रहा है. मॉनसून की दस्तक के साथ ही शुरू हो जाती है खरीफ की फसल की बुवाई. इस बार लॉकडाउन ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी हैं. किसानों को बुवाई करने के लिए मुख्य रूप से बीज और खाद की जरूरत होती है लेकिन उनकी जेब खाली है. ऐसे में किसानों के लिए इस सीजन में क्या है राज्य सरकार की रणनीति ? क्या हमेशा ऋण पर ही किसानों को निर्भर रहना पड़ेगा ? देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
उत्तराखंड राज्य में करीब 8.87 लाख किसानों की मुख्य आय कृषि है. ऐसे में राज्य सरकार अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने के लिए कई बड़े कदम उठा रही है, लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ भी देखने को नहीं मिला है. मॉनसून का सीजन शुरू होते ही खरीफ की फसल की बुवाई शुरू हो जाएगी. ऐसे में राज्य सरकार किसानों को बीज और खाद उपलब्ध कराने को लेकर दावा कर रही है कि उनकी व्यवस्थाएं पूरी तरह मुकम्मल हैं.
किसानों की समस्या
किसानों का कहना है कि इस सीजन बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है. हालांकि, गेहूं की कटाई हो गई है किसान अभी तक अपना गेहूं बेच नहीं पाए हैं और खरीफ की फसल की बुवाई शुरू होने वाली है. ऐसे में किसानों का कहना है कि अगर उनको गेहूं के दाम अच्छे मिल जाते हैं, तो बैंकों से लोन नहीं लेना पड़ेगा. क्योंकि, बैंकों से लोन लेने के बाद उन्हें तमाम दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ी चिंता बैंकों के लोन को चुकाने की रहती है.
सरकार ने बढ़ाई गेहूं खरीद की तारीख
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते प्रदेश में गेहूं की खरीद को राज्य सरकार 15 दिन आगे पहले ही बढ़ा चुकी है. ऐसे में अब गेहूं की खरीद 15 अप्रैल से 30 जून तक होगी. लेकिन लगातार लॉकडाउन के चलते अब गेहूं की बिक्री में किसानों को काफी दिक्कतें आ रही हैं. इस बार राज्य सरकार ने गेहूं खरीदने का लक्ष्य 2 लाख मीट्रिक टन रखा है.
किसानों की आय को दोगुना करने को लेकर प्रदेश सरकार का कदम
- राज्य सरकार ने घोषित किया गेहूं खरीद का समर्थन मूल्य.
- साल 2020-21 के लिए घोषित समर्थन मूल्य ₹1925.
- पिछले साल के मुकाबले ₹65 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी.
- पिछले साल ₹1860 प्रति क्विंटल था गेहूं खरीद का समर्थन मूल्य.
रबी की फसल पर निर्भर होती है खरीफ की फसल
वहीं, विशेषज्ञों की मानें तो खरीफ की फसल रबी की फसल पर काफी निर्भर करती है, क्योंकि जब किसान रबी की फसल को अच्छे दामों में बेच देता है या फिर राज्य सरकार रबी की फसल पर उन्हें अच्छे दाम देती है, तभी किसानों के जेब में पैसे होते हैं. लिहाजा, राज्य सरकारों को मुख्य रूप से फोकस करना चाहिए कि किसानों की फसल को अच्छे दाम मिल सकें. क्योंकि किसान को फसल के दाम अच्छे मिलेंगे तो फिर उन्हें ऋण की नौबत नहीं आएगी.
किसानों को बीज पर 75 फीसदी तक दी जा रही है छूट
वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि किसानों की जरूरत को देखते हुए सरकार ने बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज में 50 फीसदी की सब्सिडी को बढ़ाकर 75% फीसदी तक कर दिया है. राज्य सरकार ने किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए समिति का गठन किया है. समिति के द्वारा लगातार किसानों की दिक्कतों से संबंधित रिपोर्ट बनाई जा रही है, ऐसे में रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद किसानों को और बेहतर लाभ होगा.
राज्य सरकार ने किसानों को दी सहूलियत
उन्होंने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उनके स्थानीय उत्पादों को अच्छी कीमतों में खरीदा गया है. यही नहीं किसानों की फसलों को मंडी परिषद के माध्यम से भी खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बिचौलियों को खत्म करने के लिए ही यह निर्णय लिया गया है, ताकि किसानों को उनकी फसल का दाम मिल सके. आर्थिक पैकेज में ई-टेंडरिंग पर भी जोर दिया गया है, जिससे किसान खुले बाजार में अपने उत्पाद को बेच सकें.