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महोत्सव में हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड के सेबों का दबदबा, किसान हुए उत्साहित

उत्तराखंड में किसानों को फायदा पहुंचाने और सेब उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर स्थिति में लाने के लिए देहरादून में पहली बार अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव का आयोजन किया गया है. इस महोत्सव में किसानों को सेब उत्पादन और उनकी किस्मों के बारे में बारीकी से जानकारी भी दी गई.

International Apple Festival Dehradun
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Published : Sep 25, 2021, 7:28 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 8:07 PM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून के रेंजर्स ग्राउंड में विभिन्न किस्मों के सेब इन दिनों किसानों को भी आकर्षित कर रहे हैं. यहां देश में उत्पादित होने वाले सेबों से लेकर चीन और दूसरे देशों के सेब भी मौजूद हैं. इस सबके बावजूद सबसे ज्यादा आकर्षण किसानों में भारत के ही सेबों को लेकर दिख रहा है.

अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव पर प्रदर्शित की गई सेबों की कई किस्में किसानों को लुभा रही हैं. उद्यान विभाग का यह पहला प्रयास है. लिहाजा उम्मीदों के अनुसार विदेशों के सेबों की बहुत ज्यादा किस्मों को नहीं लाया जा सका है. बावजूद इसके सेबों की कई वैरायटी से किसान उत्साहित दिखे.

किसानों को लुभा रही हैं सेबों की कई किस्में

पढ़ें- देहरादून में शुरू हुआ पहला अंतरराष्ट्रीय एप्पल फेस्टिवल, CM धामी बोले- उत्पादन बढ़ेगा

शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव का दूसरा दिन था. इस मौके पर कार्यक्रम स्थल पर किसानों ने पहुंचकर उत्पादन को लेकर जानकारियां लीं. साथ ही उन्नत पौधों के लिए जरूरी बातों को भी जाना. सबसे पहले जानिए कि महोत्सव में मुख्य रूप से सेबों की कौन-कौन सी किस्में मौजूद थी. रेड डिलीशियस, रॉयल डिलीशियस रेड गोल्ड, रिच-ए-रेड, गोल्डन डिलीशियस, ऑरगन स्पर, रेड चीफ, रेड फ्यूजी, गेल गाला, राइमर, ग्रैनी स्मिथ, सिल्वर स्पर, रेड वेलॉक्सस्टार, क्रीमसनसुपर, चीफवांस और डिलीशियस मौजूद थे.

महोत्सव में खास बात यह है कि एक तरफ सेबों की प्रदर्शनी लगाई गई है तो दूसरी तरफ खेती के लिए जरूरी उपकरणों को भी दिखाया गया है. इसके अलावा सेबों की विभिन्न वैरायटी के पौधों को भी रखा गया है. इस मामले में राष्ट्रीय सेब फेडरेशन के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद उनियाल कहते हैं कि सेब को लेकर सरकार की तरफ से अच्छा प्रयास किया गया है. समय के साथ इसे और बेहतर बनाया जा सकता है.

पढ़ें- सरोवर नगरी में नीदरलैंड के सेब का होगा उत्पादन, मात्र एक साल में पेड़ देगा फल

हालांकि उन्होंने कहा कि सेब की उन्नत किस्म को तैयार करने की जरूरत है और कई किसानों ने बेहतर प्रयास भी किए हैं. कम जगह पर ज्यादा सेब उत्पादन की भी कोशिशें की जा रही हैं. इस दौरान युवा किसानों से भी बात की गई. उन्होंने कहा कि सरकारों को किसानों को ज्यादा राहत देनी चाहिए. तभी किसान इस क्षेत्र में कुछ बेहतर कर सकते हैं.

देहरादून: राजधानी देहरादून के रेंजर्स ग्राउंड में विभिन्न किस्मों के सेब इन दिनों किसानों को भी आकर्षित कर रहे हैं. यहां देश में उत्पादित होने वाले सेबों से लेकर चीन और दूसरे देशों के सेब भी मौजूद हैं. इस सबके बावजूद सबसे ज्यादा आकर्षण किसानों में भारत के ही सेबों को लेकर दिख रहा है.

अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव पर प्रदर्शित की गई सेबों की कई किस्में किसानों को लुभा रही हैं. उद्यान विभाग का यह पहला प्रयास है. लिहाजा उम्मीदों के अनुसार विदेशों के सेबों की बहुत ज्यादा किस्मों को नहीं लाया जा सका है. बावजूद इसके सेबों की कई वैरायटी से किसान उत्साहित दिखे.

किसानों को लुभा रही हैं सेबों की कई किस्में

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शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव का दूसरा दिन था. इस मौके पर कार्यक्रम स्थल पर किसानों ने पहुंचकर उत्पादन को लेकर जानकारियां लीं. साथ ही उन्नत पौधों के लिए जरूरी बातों को भी जाना. सबसे पहले जानिए कि महोत्सव में मुख्य रूप से सेबों की कौन-कौन सी किस्में मौजूद थी. रेड डिलीशियस, रॉयल डिलीशियस रेड गोल्ड, रिच-ए-रेड, गोल्डन डिलीशियस, ऑरगन स्पर, रेड चीफ, रेड फ्यूजी, गेल गाला, राइमर, ग्रैनी स्मिथ, सिल्वर स्पर, रेड वेलॉक्सस्टार, क्रीमसनसुपर, चीफवांस और डिलीशियस मौजूद थे.

महोत्सव में खास बात यह है कि एक तरफ सेबों की प्रदर्शनी लगाई गई है तो दूसरी तरफ खेती के लिए जरूरी उपकरणों को भी दिखाया गया है. इसके अलावा सेबों की विभिन्न वैरायटी के पौधों को भी रखा गया है. इस मामले में राष्ट्रीय सेब फेडरेशन के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद उनियाल कहते हैं कि सेब को लेकर सरकार की तरफ से अच्छा प्रयास किया गया है. समय के साथ इसे और बेहतर बनाया जा सकता है.

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हालांकि उन्होंने कहा कि सेब की उन्नत किस्म को तैयार करने की जरूरत है और कई किसानों ने बेहतर प्रयास भी किए हैं. कम जगह पर ज्यादा सेब उत्पादन की भी कोशिशें की जा रही हैं. इस दौरान युवा किसानों से भी बात की गई. उन्होंने कहा कि सरकारों को किसानों को ज्यादा राहत देनी चाहिए. तभी किसान इस क्षेत्र में कुछ बेहतर कर सकते हैं.

Last Updated : Sep 25, 2021, 8:07 PM IST
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