देहरादून: आज के इस आधुनिक युग में नई-नई तकनीकी का इजाद होता जा रहा है, जिससे मेहनत भरे कामों में काफी सहूलियत मिल जाती है. ऐसा ही एक तकनीकी ड्रोन है, जिसके माध्यम से समय की बचत करते हुए तमाम काम किए जा सकते हैं. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ड्रोन के जरिए जहां एक ओर मेडिसिन को डोर टू डोर पहुंचाने के प्लान पर काम कर रही है, तो वहीं, दूसरी ओर ड्रोन के माध्यम से किसानों को भी लाभ पहुंचाने की कवायद में आईटीडीए जुट गया है.
वर्तमान समय में छोटे-छोटे सामानों को एक जगह से दूसरे जगहों पर पहुंचे में ड्रोन काफी कारागार साबित हो रहे है. भारत में भी ड्रोन को बढ़ावा के लिए केंद्र सरकार तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. ताकि ड्रोन का इस्तेमाल बेहतर ढंग से किया जा सके. कोविड काल के दौरान देश के दुरुस्त क्षेत्रों में दवाइयां और वैक्सीन को भेजने का प्रयोग किया गया था, जोकि सफल रहा था. इसी क्रम में आईसीएमआर ने हाल ही में ड्रोन के माध्यम से ब्लड सैंपल को भी हॉस्पिटल से लैब तक पहुंचाने का सफल परीक्षण किया.
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कुल मिलाकर आज के इस आधुनिक दौर में ड्रोन मेडिकल के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति ला सकता है, जिसका लगातार परीक्षण किया जा रहा है. हाल ही में उत्तराखंड सरकार में जीवनदायनी मेडिसिन को भी घर-घर तक पहुंचने के लिए ड्रोन का सफल प्रशिक्षण किया था, तो वही, अब उत्तराखंड सरकार किसानों को ड्रोन का फायदा मिल सके इस दिशा में काम कर रही है. इसके साथ ही ड्रोन का बेहतर इस्तेमाल हो सके, इसके लिए आईटीडीए ड्रोन पॉलिसी तैयार कर रही है.
इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि एग्रीकल्चर ड्रोन को भारत सरकार प्रमोट कर रही है. हालांकि एग्रीकल्चर ड्रोन का किसानों को बड़ा फायदा मिल सकता है, इसके लिए जरूरी है कि किसानों को ड्रोन के फायदे से अवगत कराया जाए. लिहाजा आईटीडीए ने निर्णय लिया है कि प्रदेश भर के किसानों को ड्रोन के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए जिलावार किसानों का बैच तैयार कर ट्रेनिंग का कार्यक्रम तय किया गया है, जिससे किसान ड्रोन का इस्तेमाल कर पाएंगे.
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केंद्र सरकार ने ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी का भी प्रावधान किया है, जिसका लाभ किसानों को मिल सकेगा. साथ ही निदेशक नितिका ने कहा कि ड्रोन ट्रैफिक क्राउड मोनेट्रिंग और ट्रैफिक कंट्रोलिंग के काफी सहायता करता है. इसके साथ ही अन्य टेक्नोलॉजी की बात करे तो स्मार्ट सिटी में भी आईओटी बेस्ड टेक्नोलॉजी और हाईटेक कैमरा लगाए गए है, जो स्मार्ट सॉल्यूशन और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का पार्ट है,. लिहाजा ये सभी चीजे मिलकर ही इको सिस्टम बनाती है, जिसके तहत ड्रोन अगर वीडियो कैप्चर करता है तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से ऑटोमैटिक चालान जेनरेट हो जाता है. यही वजह है कि आईटीडीए इस पर काम कर रह है.
एग्रीकल्चर ड्रोन से किसानों को काफी फायदा मिल सकता है. यही वजह है कि आईटीडीए किसानों को एग्रीकल्चर ड्रोन का प्रशिक्षण देने जा रहा है, ताकि किसान कम मेहनत में भी बेहतर फसल उगा सके. दरअसल, किसान एग्रीकल्चर ड्रोन के जरिए फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव और खेतो में बुवाई कर सकते है. इसके अलावा किसान घर बैठे ही अपने खेतों को निगरानी भी कर सकते है. जिससे किसान कम मेहनत के साथ ही समय भी बचा सकते है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में एग्रीकल्चर ड्रोन किसानों के लिए कितना कारागार साबित होगी?