देहरादून: जाने माने समाजसेवी एवं पद्मश्री से सम्मानित अवधेश कौशल का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. बताया जा रहा है कि वो लंबे समय से बीमार थे और सोमवार से उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. उन्होंने तड़के पांच बजे अंतिम सांस ली. सीएम पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम हरीश रावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.
सीएम धामी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सामाजिक हितों को लेकर सदैव संघर्षशील रहे प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री से अलंकृत अवधेश कौशल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें.
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सामाजिक हितों को लेकर सदैव संघर्षशील रहे प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री से अलंकृत श्री अवधेश कौशल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति: शांति: शांति:
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ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति: शांति: शांति:सामाजिक हितों को लेकर सदैव संघर्षशील रहे प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री से अलंकृत श्री अवधेश कौशल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 12, 2022
ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति: शांति: शांति:
प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री अवधेश कौशल गैर सरकारी संगठन 'रूरल लिटिगेशन एंड एनलाइटनमेंट केंद्र'(रूलक) के संस्थापक थे. साथ ही मानवाधिकारों और पर्यावरण के लिए आजीवन काम करते रहे. बताते चलें कि अस्सी के दशक में मसूरी में खनन पर रोक लगवाने का श्रेय इन्हीं को जाता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में काफी लाभ मिला. अवधेश कौशल ने घुमंतू जनजाति गुर्जर के अधिकारों के लिए एक लंबी प्रशासनिक और कानूनी लड़ाई लड़ी.
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देहरादून के सुप्रसिद्ध समाजसेवी, संघर्ष के प्रतीक एवं पद्मश्री से सम्मानित श्री #अवधेश_कौशल जी नहीं रहे, उनका निधन हम सबके लिए एक अपूरणीय क्षति है। मैं, उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके परिजनों तक अपनी संवेदनाएं संप्रेषित करता हूंँ।
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) July 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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वहीं संघर्ष करते हुए उन्हें 2015 में जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उनका संघर्ष कमी थमा नहीं और चलता गया. भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले कौशल कुछ वर्ष पूर्व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित दी जाने वाली अन्य सुविधाओं पर होने वाले व्यय की वसूली के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट तक गए थे.