देहरादून: लखनऊ की शाम-ए-अवध अपनी एक अलग पहचान रखती है. ऐसे ही शाम-ए-दून का भी कोई मुकाबला नहीं है. कोरोना संकट के बीच अनलॉक के दूसरे चरण में ईटीवी भारत आज अपनी इस रिपोर्ट में आपको शाम-ए-दून का दीदार कराने जा रहा है. जिसमें इस बात का भी आकलन किया जाएगा कि आखिर लॉकडाउन के बाद कितनी बदल चुकी है शाम-ए-दून.
बता दें कि प्रदेश की राजधानी में देहरादून एक ऐसा शहर है जहां शाम होते-होते ही खाने के शौकीन लोगों की भीड़ उमड़ने लगती है. देहरादून की पहचान कहे जाने वाले राजपुर रोड शहर का वो मुख्य मार्ग है, जहां पर कई ब्रांडेड शोरूम होने के साथ ही कई जाने-माने फूड स्टॉल्स और रेस्टोरेंट भी मौजूद हैं. ऐसे में पूरे शहर की यही एकमात्र सड़क है. जहां देर रात तक चहलकदमी रहती है.
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए लॉकडाउन चल रहा था. हालांकि, इन दिनों अनलॉक 2 चल रहा है. ऐसे में अब सरकार ने फूड स्टॉल और रेस्टोरेंट को खोले जाने की अनुमति दे दी है. जिसके बाद ईटीवी भारत राजपुर रोड पर 40 सालों से संचालित होने रहे बर्गर हाउस में पहुंचा. ईटीवी भारत से बात करते हुए बर्गर हाउस के संचालक मोहन जोशी ने बताया कि अनलॉक के बीच अब लोग एक बार फिर उनके बर्गर और मिल्क शेक का स्वाद चखने के लिए पहुंचने लगे हैं लेकिन पहले के मुकाबले ग्राहकों की संख्या 70 फीसदी से कम है. उन्हें लगता है कि अगले 6 महीनों के बाद ही उनका व्यापार पहले जैसा हो पाएगा.
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वहीं, दूसरी तरफ राजधानी के नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में भी कई ऐसे फूड स्टॉल हैं. जहां शाम होते ही खाने के शौकीनों की भीड़ उमड़ने लगती है. ईटीवी भारत ने नेहरू कॉलोनी के कुछ फूड स्टॉल का भी जायजा लिया. इस दौरान ईटीवी भारत ने पाया यहां भी ग्राहकों की संख्या पहले के मुकाबले बेहद कम है. जबकि, सामान्य दिनों में नेहरू कॉलोनी के सभी फूड स्टॉल से ग्राहक अपनी बारी का इंतजार करते हुए कतार में खड़े नजर आते थे. ईटीवी भारत से बात करते हुए नेहरू कॉलोनी के स्थानीय फूड स्टॉल संचालकों ने बताया कि उनके द्वारा हर तरह की एहतियात बरती गई है. बावजूद इसके लोगों में कोरोना का खौफ कुछ इस कदर है कि वह सामान्य दिनों की तर्ज पर अभी भी फूड स्टॉल का रुख करने से कतरा रहे हैं.
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बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो अनलॉक के बीच फूड स्टॉल और रेस्टोरेंट इत्यादि खुले तो जरूर हैं, लेकिन कोरोना के कहर के चलते यहां ग्राहकों की संख्या अभी भी पहले के मुकाबले 70 से 80% तक कम है. ऐसे में स्थानीय व्यापारियों को ये उम्मीद है कि शायद अगले कुछ महीनों में उनके फूड स्टॉल और रेस्टोरेंट ग्राहकों से एक बार फिर गुलजार हो पाएंगे.