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कोरोना की तीसरी लहरः बाल रोग विशेषज्ञों को दिया गया प्रशिक्षण

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Published : Jun 21, 2021, 10:56 PM IST

कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों का इलाज करने के दौरान कोई समस्या ना हो, इसको लेकर दून मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें गढ़वाल रीजन के विभिन्न जिलों से आए बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया.

Doon Medical College
Doon Medical College

देहरादूनः विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक बताई है. ऐसे में उत्तराखंड में सबसे बड़ी समस्या बाल रोग विशेषज्ञों की कमी को लेकर है, जिसको देखते हुए शासन ने समूचे गढ़वाल में सुदूरवर्ती क्षेत्रों में तैनात बाल रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने का फैसला लिया है, ताकि आकस्मिक परिस्थितियों में बच्चों के जीवन को बचाया जा सके.

इसी कड़ी में उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में सोमवार को गढ़वाल रीजन के बाल रोग विशेषज्ञों को बुलाया गया. प्रशिक्षण में हिस्सा लेने वाले सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों को कोविड मैनेजमेंट के तौर-तरीके बताए गए. कोरोना की तीसरी लहर में पीडियाट्रिशियन को बच्चों का इलाज करने के दौरान कोई समस्या ना हो, इसको लेकर दून मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें गढ़वाल रीजन के विभिन्न जिलों से आए बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया.

बाल रोग विशेषज्ञों को दिया गया प्रशिक्षण.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड बोर्ड ने तैयार किया 10वीं-12वीं के रिजल्ट का फॉर्मूला, शासन से मंजूरी का इंतजार

क्या कहते हैं बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक

डॉ. अशोक कुमार के मुताबिक तीसरी लहर की संभावना को लेकर सरकार की तरफ से कुमाऊं और गढ़वाल रीजन के बाल रोग विशेषज्ञों को कोविड मैनेजमेंट ट्रीटमेंट के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है. इसमें यदि कोई बच्चा संक्रमित होकर अस्पताल में आता है, तो डॉक्टरों को वेंटीलेटर चलाने से लेकर रेस्पिरेटरी सपोर्ट देने की तकनीक बताई जा रही है. उन्होंने बताया कि कुमाऊं रीजन समेत जौलीग्रांट स्थित हिमालयन हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. लेकिन परीक्षाएं होने के चलते आज से समस्त गढ़वाल रीजन के बाल रोग विशेषज्ञों को तीसरी लहर से निपटने के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं.

दरअसल, प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य तीसरी लहर से निपटने को लेकर है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आकस्मिक चिकित्सा अधिकारियों समेत 8 बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हुए. प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषकर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे बाल रोग विशेषज्ञों को तीसरी लहर की संभावना को लेकर मैनेजमेंट के तौर-तरीके तकनीक रूप से बताए गए, ताकि किसी भी परिस्थिति में बच्चों का जीवन बचाया जा सके.

देहरादूनः विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक बताई है. ऐसे में उत्तराखंड में सबसे बड़ी समस्या बाल रोग विशेषज्ञों की कमी को लेकर है, जिसको देखते हुए शासन ने समूचे गढ़वाल में सुदूरवर्ती क्षेत्रों में तैनात बाल रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने का फैसला लिया है, ताकि आकस्मिक परिस्थितियों में बच्चों के जीवन को बचाया जा सके.

इसी कड़ी में उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में सोमवार को गढ़वाल रीजन के बाल रोग विशेषज्ञों को बुलाया गया. प्रशिक्षण में हिस्सा लेने वाले सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों को कोविड मैनेजमेंट के तौर-तरीके बताए गए. कोरोना की तीसरी लहर में पीडियाट्रिशियन को बच्चों का इलाज करने के दौरान कोई समस्या ना हो, इसको लेकर दून मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें गढ़वाल रीजन के विभिन्न जिलों से आए बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया.

बाल रोग विशेषज्ञों को दिया गया प्रशिक्षण.

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क्या कहते हैं बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक

डॉ. अशोक कुमार के मुताबिक तीसरी लहर की संभावना को लेकर सरकार की तरफ से कुमाऊं और गढ़वाल रीजन के बाल रोग विशेषज्ञों को कोविड मैनेजमेंट ट्रीटमेंट के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है. इसमें यदि कोई बच्चा संक्रमित होकर अस्पताल में आता है, तो डॉक्टरों को वेंटीलेटर चलाने से लेकर रेस्पिरेटरी सपोर्ट देने की तकनीक बताई जा रही है. उन्होंने बताया कि कुमाऊं रीजन समेत जौलीग्रांट स्थित हिमालयन हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. लेकिन परीक्षाएं होने के चलते आज से समस्त गढ़वाल रीजन के बाल रोग विशेषज्ञों को तीसरी लहर से निपटने के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं.

दरअसल, प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य तीसरी लहर से निपटने को लेकर है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आकस्मिक चिकित्सा अधिकारियों समेत 8 बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हुए. प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषकर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे बाल रोग विशेषज्ञों को तीसरी लहर की संभावना को लेकर मैनेजमेंट के तौर-तरीके तकनीक रूप से बताए गए, ताकि किसी भी परिस्थिति में बच्चों का जीवन बचाया जा सके.

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