ETV Bharat / state

खतरे के मुहाने पर खड़े पहाड़ी पर्यटन स्थल, गिन रहे बड़ी तबाही के दिन!, जानें वजह

Experts gave statement on Joshimath disaster उत्तराखंड का आपदा से पुराना नाता है. यही वजह है कि आए दिन किसी न किसी जगह पर आपदा देखने को मिलती है. हाल ही में उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसा हुआ है. इसी बीच अब उत्तराखंड के कई क्षेत्र, जोशीमठ के मुहाने पर खड़े हो गए हैं. आखिर क्या है इसके पीछे की असल स्थिति, देखिए इस रिपोर्ट में.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 30, 2023, 10:05 PM IST

Updated : Nov 30, 2023, 10:54 PM IST

जोशीमठ के मुहाने पर खड़े पहाड़ी पर्यटन स्थल

देहरादून: प्रदेश के तमाम कस्बे और गांव संवेदनशील क्षेत्रों में बसे हुए हैं. यही वजह है कि हर साल इन क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग, भूकंप, भू धंसाव और भूस्खलन के चलते काफी नुकसान होता है. जोशीमठ शहर में भू धंसाव का मामला लंबे समय से चल रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार जोशीमठ के 760 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदेश के नैनीताल, मसूरी और अल्मोड़ा समेत अन्य तमाम पर्यटक स्थलों पर भी जोशीमठ जैसी घटना के बादल मंडरा रहे हैं.

Joshimath disaster
उत्तराखंड का आपदा से पुराना नाता

प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए चिन्हित हुई जगह: यूएनडीपी के हाउसिंग एडवाइजर डॉ. पीके दास ने बताया कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों को पुनर्वास करना पड़ेगा, इसलिए पांच जगह चिन्हित की गई हैं. जिसमें चमोली की गौचर, पीपलकोटी और उद्यान विभाग की भूमि शामिल है. इन तीन जगहों पर जियोलॉजिस्ट ने अध्ययन के बाद सहमति जताई है. लोग दूसरे जगह पर जाना तो चाहते हैं, लेकिन उनका मानना है कि जिस जगह पर उनको बसाया जाएगा, वहां पर बिजली, पानी समेत मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो. उन्होंने कहा उस जगह से जोशीमठ शहर के लिए बस सेवाएं भी शुरू की जाए, ताकि बच्चे स्कूल और लोग अपने काम पर जा सके.

Joshimath disaster
जोशीमठ में घरों में आईं दरारें

जोशीमठ का रिडेवलपमेंट करना संभव: डॉ. पीके दास ने बताया कि उससे पहले जरूरी है कि जो पीडीएनए (पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट) की रिपोर्ट है, उसको ट्रांसलेट करके प्रभावित लोगों को देना चाहिए, क्योंकि अगर ट्रांसपेरेंसी रहेगी तो लोगों में आत्मविश्वास आएगा. जोशीमठ का रिडेवलपमेंट करना संभव है, अगर कोई भी निर्णय लेने से पहले लोगों को शामिल किया जाए. उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय क्षेत्रों में क्षमता से अधिक लोग बस गए हैं, जो भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं. इस पर पीके दास ने कहा कि "ये सभी शहर अपने दिन गिन रहे हैं'', क्योंकि ऐसे में अगर इन क्षेत्रों में कुछ भी हुआ, तो नुकसान को गिना नहीं जा सकेगा. लिहाजा, इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच जाकर उन्हें पूरी जानकारी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए डेवलपमेंट और बिल्डिंग प्लान को तत्काल प्रभाव से लागू करना चाहिए.

Joshimath disaster
दहरों से दहशत

ये भी पढ़ें: Joshimath Crisis: वो पांच कारण जिनकी वजह से धंस रहा जोशीमठ, NIT ने स्टडी रिपोर्ट में किया जिक्र

लैंडस्लाइड के मलबे पर जोशीमठ बसा: एशियन सीस्मोलॉजिकल कमीशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. परमेश बनर्जी ने कहा कि जोशीमठ में भू धंसाव ग्लोबल वार्मिंग और भूकंप का कंबाइंड इफेक्ट की वजह से हुआ है. भूकंप आने के बाद हुए लैंडस्लाइड के मलबे पर जोशीमठ शहर बसा हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रदेश पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादातर शहर इस तरह के मलबे पर बसे हुए हैं. हालांकि, जोशीमठ में मेजर फॉल्ट अन्य क्षेत्रों से ज्यादा है. जिसके चलते उसका स्लोप भी बदलता है, लेकिन अभी तक किसी ने उसको ठीक से अध्ययन नहीं किया. इसके साथ ही जोशीमठ क्षेत्र में हाइड्रोलॉजीकल इफेक्ट भी एक वजह है.

ये भी पढ़ें: जोशीमठ के पगनो गांव में भूस्खलन से 11 मकान क्षतिग्रस्त, विस्थापन की मांग को लेकर गरजे ग्रामीण

जोशीमठ के मुहाने पर खड़े पहाड़ी पर्यटन स्थल

देहरादून: प्रदेश के तमाम कस्बे और गांव संवेदनशील क्षेत्रों में बसे हुए हैं. यही वजह है कि हर साल इन क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग, भूकंप, भू धंसाव और भूस्खलन के चलते काफी नुकसान होता है. जोशीमठ शहर में भू धंसाव का मामला लंबे समय से चल रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार जोशीमठ के 760 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदेश के नैनीताल, मसूरी और अल्मोड़ा समेत अन्य तमाम पर्यटक स्थलों पर भी जोशीमठ जैसी घटना के बादल मंडरा रहे हैं.

Joshimath disaster
उत्तराखंड का आपदा से पुराना नाता

प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए चिन्हित हुई जगह: यूएनडीपी के हाउसिंग एडवाइजर डॉ. पीके दास ने बताया कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों को पुनर्वास करना पड़ेगा, इसलिए पांच जगह चिन्हित की गई हैं. जिसमें चमोली की गौचर, पीपलकोटी और उद्यान विभाग की भूमि शामिल है. इन तीन जगहों पर जियोलॉजिस्ट ने अध्ययन के बाद सहमति जताई है. लोग दूसरे जगह पर जाना तो चाहते हैं, लेकिन उनका मानना है कि जिस जगह पर उनको बसाया जाएगा, वहां पर बिजली, पानी समेत मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो. उन्होंने कहा उस जगह से जोशीमठ शहर के लिए बस सेवाएं भी शुरू की जाए, ताकि बच्चे स्कूल और लोग अपने काम पर जा सके.

Joshimath disaster
जोशीमठ में घरों में आईं दरारें

जोशीमठ का रिडेवलपमेंट करना संभव: डॉ. पीके दास ने बताया कि उससे पहले जरूरी है कि जो पीडीएनए (पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट) की रिपोर्ट है, उसको ट्रांसलेट करके प्रभावित लोगों को देना चाहिए, क्योंकि अगर ट्रांसपेरेंसी रहेगी तो लोगों में आत्मविश्वास आएगा. जोशीमठ का रिडेवलपमेंट करना संभव है, अगर कोई भी निर्णय लेने से पहले लोगों को शामिल किया जाए. उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय क्षेत्रों में क्षमता से अधिक लोग बस गए हैं, जो भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं. इस पर पीके दास ने कहा कि "ये सभी शहर अपने दिन गिन रहे हैं'', क्योंकि ऐसे में अगर इन क्षेत्रों में कुछ भी हुआ, तो नुकसान को गिना नहीं जा सकेगा. लिहाजा, इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच जाकर उन्हें पूरी जानकारी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए डेवलपमेंट और बिल्डिंग प्लान को तत्काल प्रभाव से लागू करना चाहिए.

Joshimath disaster
दहरों से दहशत

ये भी पढ़ें: Joshimath Crisis: वो पांच कारण जिनकी वजह से धंस रहा जोशीमठ, NIT ने स्टडी रिपोर्ट में किया जिक्र

लैंडस्लाइड के मलबे पर जोशीमठ बसा: एशियन सीस्मोलॉजिकल कमीशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. परमेश बनर्जी ने कहा कि जोशीमठ में भू धंसाव ग्लोबल वार्मिंग और भूकंप का कंबाइंड इफेक्ट की वजह से हुआ है. भूकंप आने के बाद हुए लैंडस्लाइड के मलबे पर जोशीमठ शहर बसा हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रदेश पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादातर शहर इस तरह के मलबे पर बसे हुए हैं. हालांकि, जोशीमठ में मेजर फॉल्ट अन्य क्षेत्रों से ज्यादा है. जिसके चलते उसका स्लोप भी बदलता है, लेकिन अभी तक किसी ने उसको ठीक से अध्ययन नहीं किया. इसके साथ ही जोशीमठ क्षेत्र में हाइड्रोलॉजीकल इफेक्ट भी एक वजह है.

ये भी पढ़ें: जोशीमठ के पगनो गांव में भूस्खलन से 11 मकान क्षतिग्रस्त, विस्थापन की मांग को लेकर गरजे ग्रामीण

Last Updated : Nov 30, 2023, 10:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.