देहरादून: राज्य में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अब तक पूरे उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के 192 मरीज मिले हैं, जबकि इस संक्रमण से 15 मरीजों की अब तक जान जा चुकी है. इसकी वजह से लोगों के बीच डर का माहौल है. इस बीमारी की वजह से लोग कोरोना की रिकवरी के बाद भी अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं, जिसने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है.
विशेषज्ञों की राय
देहरादून के वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े डॉ. बीएस जज ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए कहा कि ब्लैक फंगस इससे पहले भी था, लेकिन पहले यह अनकॉमन हुआ करता था. अचानक ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने लगे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण होने पर कई मरीजों ने ज्यादा मात्रा में जिंक लेना शुरू कर दिया. जिंक का अत्यधिक इस्तेमाल करना भी ब्लैक फंगस की वजह बनती है.
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इम्यूनिटी का कम होना भी ब्लैक फंगस की वजह
चिकित्सकों के मुताबिक यह संक्रमण उन्हें ज्यादा हो रहा है. जिनको विशेषकर डायबिटीज या अन्य बीमारियों के अलावा जनरल इम्यूनिटी लो होने के दौरान कोरोना हो गया था. ऐसे में कोरोना पूरे सिस्टम को पैरालाइज्ड कर देता है और इससे ब्लैक फंगस के ग्रो करने के मौके बढ़ जाते हैं.
ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
इसके शुरुआती लक्षणों की बात करें तो अगर आप कोरोना से ठीक हुए हैं उसके बाद आपको अचानक सिर दर्द होता है, आंखों के पास या आंखों के पीछे की तरफ दर्द होता है या फिर नाक बंद हो जाती है, नाक से खून आने लगना, काले रंग का पानी आना, चेहरे पर सूजन आना, पलकें गिरना ऐसा कुछ होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
ब्लैक फंगस से बचने के तरीके क्या हैं?
अगर आपको डायबटीज है तो अपनी शुगर कंट्रोल में रखें. लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहें, खुद से इलाज करने की कोशिश बिल्कुल ना करें. शुगर पर नियंत्रण बहुत जरूरी है. इसके साथ ही साफ सफाई भी बहुत जरूरी है. आप जो मास्क लगा रहे हैं, उसमें लगातार साफ सफाई रखें. साथ ही परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क लें.