देहरादून: केंद्र सरकार ने बजट 2020-21 को सदन में पेश कर दिया है. हालांकि इस बजट में केंद्र सरकार ने सभी क्षेत्रों को छूने की कोशिश की है. बजट में टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए हैं, जिससे मिडिल क्लास फैमिली के साथ-साथ 15 लाख तक इनकम वालों को टैक्स में छूट दी गई है. यही नहीं बैंक खातों में जमा राशि की सिक्योरिटी को एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है. वहीं एक्सपर्ट इस बजट को मिलाजुला बता रहे हैं. उनके अनुसार बजट कुछ खास नहीं रहा. जनता ने जो उम्मीद की थी उस पर केंद्र सरकार का ये बजट खरा नहीं उतर पाया.
सीए पारमिता भट्ट ने बताया कि केंद्र सरकार ने बजट में जो टैक्स की छूट का प्रावधान किया है उससे लोगों को फायदा होगा, यही नहीं इस टैक्स प्रावधान से मिडिल क्लास फैमिली को रिलीफ मिलेगा, इसके साथ ही स्टार्टअप बिजनेस के लिए जो प्रवधान किया गया है, इससे लोगों को फायदा मिलेगा. हालांकि जीएसटी को लेकर केंद्र सरकार से जनता को उम्मीदें थी की जीएसटी में कुछ अन्य छूट मिलेगी. लेकिन इस बजट में जीएसटी में कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
केंद्र सरकार ने एलआईसी का एक बड़ा हिस्सा और आईडीबीआई का छोटा हिस्सा, इस बजट के दौरान बेचने का निर्णय लिया है. जिस पर सीए पारमिता ने बताया कि सरकार के इस फैसले का एलआईसी में काम करने वाले कर्मचारियों के इनकम पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि जब एक बड़ा हिस्सा प्राइवेट हाथों में होगा तो उसमें काम करने वाले एजेंटों की रोटी- रोजी पर असर जरूर आएगा.
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साथ ही बताया की एक तरह से देखा जाए तो बजट ठीक है, लेकिन दूसरी तरह से बजट कुछ खास नहीं है. लिहाजा ओवरऑल अगर बजट को देखें तो सरकार अपना वह जादू नहीं दिखा पाई, जिसकी उम्मीद जनता ने की थी. साथ ही बताया कि केंद्र सरकार ने आगामी 2020-21 में 10% तक आर्थिक विकास दर करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखें तो 10 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर सरकार नहीं बढ़ा पाएगी. हो सकता है दो-तीन फीसदी की आर्थिक विकास दर बढ़ पाए.