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चाइनीज प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

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Published : Jun 24, 2020, 6:23 PM IST

Updated : Jun 24, 2020, 10:38 PM IST

देशभर में चाइनीज प्रोडक्ट्स को बॉयकॉट करने की मुहिम जोर पकड़ती जा रही है. मगर क्या बीतते दिनों के साथ वाकई में हम बिना चाइनीज प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के रह सकते हैं, क्या हम इसका बॉयकॉट कर चीन को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इन्हीं सब बातों को लेकर ईटीवी भारत ने विशेषज्ञों से बात की.

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चाइनीज प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती

देहरादून: गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद से ही देश में आक्रोश है. देश के कोने-कोने में चीन की कायराना हरकत का विरोध हो रहा है. हर जगह चीनी प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट की खबरें आ रही हैं. ऐसे में सभी के जहन में सवाल उठ रहें है कि क्या हम आसानी से चाइनीज प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट कर सकते हैं या नहीं ? अगर कर सकते हैं तो उसका विकल्प क्या होगा, इससे चीन को आर्थिक नुकसान होगा या नहीं. इन सभी बातों को लेकर ईटीवी भारत ने विशेषज्ञों से बात की और मामले की गंभीरता को समझने का प्रयास किया.


गौरतलब है कि भारतीय रोजमर्रा के जीवन में बहुत से चीनी उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं. बात चाहे मोबाइल फोन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, सजावटी सामान, जूते चप्पल की करें, पूरे बाजार पर चीन की कब्जा है. देश में बिकने वाले इस तरह के 60 से 70 फीसदी आइटम कहीं न कहीं चाइना से ही आते हैं. विशेषकर अगर मोबाइल फोन की बात करें तो भारत में शाओमी, ओप्पो, जिओमी इत्यादि जैसी कई चाइनीज कंपनियां हैं जिसके मोबाइल लोग ज्यादातर इस्तेमाल कर रहे हैं. इन मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा कारण इनकी कीमत है. इसके अलावा इनके फीचर्स भी काफी हद तक लोगों को आकर्षित करते हैं.

चाइनीज प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती

पढ़ें-पतंजलि ने आयुष मंत्रालय को 11 पन्नों में दिया जवाब, बालकृष्ण बोले- सरकार ने की जल्दबाजी

वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ी गौर करने वाली बात यह है की मेक इन इंडिया भी कहीं न कहीं चीन पर ही निर्भर है. दरअसल, मेक इन इंडिया के तहत आज कई प्रोडक्ट भारत में जरूर तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन इनका कच्चा माल आज भी चीन से ही खरीदा जा रहा है. चाहे बात भारत में तैयार होने वाले मोबाइल फोन, दवाइयों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की करें तो ये सभी चीजें भारत में बनकर तो जरूर तैयार होती हैं, लेकिन इनके कच्चे माल के लिए हम चीन पर ही निर्भर हैं.

पढ़ें-चमोली: शहीद सुरेंद्र सिंह नेगी का सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार


चाइनीज प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट के बारे में ब्रिगेडियर के जी बहल कहते हैं कि चाइनीज प्रोडक्ट को इतनी आसानी से बॉयकॉट नहीं किया जा सकता है, ना ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा इससे दोनों देशों के संबंध और अधिक बिगड़ेंगे. उन्होंने कहा अगर सरकार चाहे तो चाइनीज प्रोडक्ट्स की इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर इन प्रोडक्ट्स को महंगा कर सकती है. जिससे अपने आप लोग इन चाइनीज प्रोडक्ट की कम खरीदारी करेंगे. इससे मेक इन इंडिया के साथ ही भारतीय प्रोडक्ट्स को भी बढ़ावा मिलेगा.

पढ़ें-पिथौरागढ़: वैली ब्रिज टूटने की होगी जांच, ठेकेदार के खिलाफ दर्ज हुई FIR

वहीं, चाइनीज प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट को लेकर डीआरडीओ के रिटायर्ड अधिकारी संजीव शर्मा कहते हैं कि भारतीयों के लिए बॉयकॉट चाइनीज प्रोडक्ट्स कहना तो आसान है, लेकिन इसे कर पाना एक बड़ी चुनौती साबित होगा. उन्होंने कहा अगर हमें ऐसा करना है तो पहले देश में उस तरह के प्रोडक्ट्स, कम दाम पर उपलब्ध करवाने होंगे.

पढ़ें-उत्तराखंड: 2022 के चुनावी दंगल के लिए घमासान तेज, तैयारी में जुटी पार्टियां

चाइनीज प्रोडक्ट्स और चाइनीज मोबाइल फोन की डिमांड को लेकर राजधानी देहरादून में मोबाइल दुकान चलाने वाले गौरव बताते हैं कि वर्तमान में चाइनीज मोबाइल या फिर चाइनीज कंपनी ने पूरे भारतीय मार्केट को कैप्चर किया हुआ है. लगभग 70% लोग आज भी चाइनीज मोबाइल या फिर चाइनीज कंपनी के मोबाइल खरीदना पसंद करते हैं.

पढ़ें- तरे में है उच्च हिमालयी जैव विविधता, शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

चाइनीज प्रोडक्ट्स को बॉयकॉट का समर्थन करते हुए समाजसेवी साधना शर्मा कहती हैं कि भारतीय चाइनीज प्रोडक्ट्स का तभी पूर्ण विरोध कर सकते हैं जब हम निश्चय कर लें कि अब अपने देश में ही बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगे. मगर यह तभी संभव है जब हम चाइना पर निर्भरता को छोड़ते हुए अपने देश में नए प्रोडक्ट्स का उत्पादन शुरू करें.

देहरादून: गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद से ही देश में आक्रोश है. देश के कोने-कोने में चीन की कायराना हरकत का विरोध हो रहा है. हर जगह चीनी प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट की खबरें आ रही हैं. ऐसे में सभी के जहन में सवाल उठ रहें है कि क्या हम आसानी से चाइनीज प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट कर सकते हैं या नहीं ? अगर कर सकते हैं तो उसका विकल्प क्या होगा, इससे चीन को आर्थिक नुकसान होगा या नहीं. इन सभी बातों को लेकर ईटीवी भारत ने विशेषज्ञों से बात की और मामले की गंभीरता को समझने का प्रयास किया.


गौरतलब है कि भारतीय रोजमर्रा के जीवन में बहुत से चीनी उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं. बात चाहे मोबाइल फोन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, सजावटी सामान, जूते चप्पल की करें, पूरे बाजार पर चीन की कब्जा है. देश में बिकने वाले इस तरह के 60 से 70 फीसदी आइटम कहीं न कहीं चाइना से ही आते हैं. विशेषकर अगर मोबाइल फोन की बात करें तो भारत में शाओमी, ओप्पो, जिओमी इत्यादि जैसी कई चाइनीज कंपनियां हैं जिसके मोबाइल लोग ज्यादातर इस्तेमाल कर रहे हैं. इन मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा कारण इनकी कीमत है. इसके अलावा इनके फीचर्स भी काफी हद तक लोगों को आकर्षित करते हैं.

चाइनीज प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती

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वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ी गौर करने वाली बात यह है की मेक इन इंडिया भी कहीं न कहीं चीन पर ही निर्भर है. दरअसल, मेक इन इंडिया के तहत आज कई प्रोडक्ट भारत में जरूर तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन इनका कच्चा माल आज भी चीन से ही खरीदा जा रहा है. चाहे बात भारत में तैयार होने वाले मोबाइल फोन, दवाइयों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की करें तो ये सभी चीजें भारत में बनकर तो जरूर तैयार होती हैं, लेकिन इनके कच्चे माल के लिए हम चीन पर ही निर्भर हैं.

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चाइनीज प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट के बारे में ब्रिगेडियर के जी बहल कहते हैं कि चाइनीज प्रोडक्ट को इतनी आसानी से बॉयकॉट नहीं किया जा सकता है, ना ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा इससे दोनों देशों के संबंध और अधिक बिगड़ेंगे. उन्होंने कहा अगर सरकार चाहे तो चाइनीज प्रोडक्ट्स की इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर इन प्रोडक्ट्स को महंगा कर सकती है. जिससे अपने आप लोग इन चाइनीज प्रोडक्ट की कम खरीदारी करेंगे. इससे मेक इन इंडिया के साथ ही भारतीय प्रोडक्ट्स को भी बढ़ावा मिलेगा.

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वहीं, चाइनीज प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट को लेकर डीआरडीओ के रिटायर्ड अधिकारी संजीव शर्मा कहते हैं कि भारतीयों के लिए बॉयकॉट चाइनीज प्रोडक्ट्स कहना तो आसान है, लेकिन इसे कर पाना एक बड़ी चुनौती साबित होगा. उन्होंने कहा अगर हमें ऐसा करना है तो पहले देश में उस तरह के प्रोडक्ट्स, कम दाम पर उपलब्ध करवाने होंगे.

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चाइनीज प्रोडक्ट्स और चाइनीज मोबाइल फोन की डिमांड को लेकर राजधानी देहरादून में मोबाइल दुकान चलाने वाले गौरव बताते हैं कि वर्तमान में चाइनीज मोबाइल या फिर चाइनीज कंपनी ने पूरे भारतीय मार्केट को कैप्चर किया हुआ है. लगभग 70% लोग आज भी चाइनीज मोबाइल या फिर चाइनीज कंपनी के मोबाइल खरीदना पसंद करते हैं.

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चाइनीज प्रोडक्ट्स को बॉयकॉट का समर्थन करते हुए समाजसेवी साधना शर्मा कहती हैं कि भारतीय चाइनीज प्रोडक्ट्स का तभी पूर्ण विरोध कर सकते हैं जब हम निश्चय कर लें कि अब अपने देश में ही बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगे. मगर यह तभी संभव है जब हम चाइना पर निर्भरता को छोड़ते हुए अपने देश में नए प्रोडक्ट्स का उत्पादन शुरू करें.

Last Updated : Jun 24, 2020, 10:38 PM IST
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