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केदारघाटी में बढ़ते एवलॉन्च पर एक्सपर्ट कमेटी का सुझाव, केदारधाम में कंस्ट्रक्शन पर लगे रोक

केदारघाटी में पिछले बीते दिनों तीन एवलॉन्च की एक के बाद एक घटना को देखने मिली. जिसके बाज सरकार ने धरातलीय निरीक्षण एवं अध्यनन के लिए टीम गठित की थी. अब हिमस्खलन क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण और अध्ययन करने के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. कमेटी ने रिपोर्ट में भविष्य में केदारधाम में कोई भी कंस्ट्रक्शन ना करने का सुझाव दिया है.

Avalanche kedarghati kedarnath
एवलॉन्च पर एक्सपर्ट कमेटी का सुझाव
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Published : Oct 28, 2022, 4:12 PM IST

Updated : Oct 28, 2022, 5:04 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में एवलॉन्च (Avalanche in High Himalayan Regions) एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. बीते सितंबर और अक्टूबर महीने में केदारघाटी में तीन हिमस्खलन की घटना (Incident of three avalanches in Kedar Ghati) देखी गई. कुछ ही दिनों के भीतर केदारघाटी में तीन हिमस्खलन की घटना के बाद उत्तराखंड सरकार जागी है. जिसके बाद सरकार ने धरातलीय निरीक्षण एवं अध्यनन के लिए टीम गठित की. हिमस्खलन क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण (terrestrial inspection of avalanche zone) और अध्ययन करने के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.

एवलॉन्च पर एक्सपर्ट कमेटी का सुझाव

रिपोर्ट में कमेटी ने बड़ा खुलासा करने के साथ ही सरकार को भविष्य में केदारधाम में कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाने के सुझाव (Suggestions to ban construction in Kedardham) दिए हैं. बता दें कि सितंबर और अक्टूबर महीने में केदारघाटी के ऊपरी क्षेत्र में चोराबाड़ी ग्लेशियर के समीप तीन एवलॉन्च देखने को मिले. एवलॉन्च की तस्वीरों से लोगों में डर देखने को मिला. 2013 में आई केदारनाथ आपदा की तस्वीरें कोई भी नहीं भूला है. ऐसे में सभी को यह किसी बड़े खतरे का अंदेशा लग रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने एक्सपर्ट की एक कमेटी अध्ययन के लिए केदारनाथ भेजी थी.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार में छठ पूजा कार्यक्रम आयोजित, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी हुईं शामिल

एवलॉन्च को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यह हिमालय पर हो रही गतिविधियों का एक सामान्य हिस्सा है. वैज्ञानिकों ने इसकी वजह इस बार सामान्य से ज्यादा हुई बरसात बताई जा रही है. वैज्ञानिकों ने बताया कि उत्तराखंड में मानसून सीजन में सामान्य से 22 फीसदी ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गयी. जिसकी वजह से निचले इलाकों में बरसात होने पर उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी उतनी ही मात्रा में ज्यादा होती है. जिसके बाद हिमालय के ग्लेशियरों पर ताजी बर्फ की मात्रा बेहद ज्यादा बढ़ जाती है. ग्लेशियर पर बर्फ की कैरिंग कैपेसिटी से ज्यादा होने पर यह बर्फ नीचे गिरने लगती है, जो एक बड़े एवलॉन्च का रूप ले लेती है.

एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को लेकर उत्तराखंड आपदा प्राधिकरण (Uttarakhand Disaster Authority) के अपर सचिव मोहम्मद ओबेदुल्ला अंसारी ने कहा कि एवलॉन्च से किसी भी तरह के खतरे की फिलहाल कोई बात नहीं है. कमेटी ने यह भी सुझाव दिए हैं कि मंदिर के पीछे की ओर यानी उत्तर दिशा में मोरेन मौजूद हैं. इसलिए क्षेत्र में भविष्य में भी कोई बड़ा कंस्ट्रक्शन ना हो. एक्सपर्ट कमेटी ने यह भी कहा है कि केदारधाम में ज्यादा कंस्ट्रक्शन भी भविष्य में दिक्कतें पैदा कर सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में एवलॉन्च (Avalanche in High Himalayan Regions) एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. बीते सितंबर और अक्टूबर महीने में केदारघाटी में तीन हिमस्खलन की घटना (Incident of three avalanches in Kedar Ghati) देखी गई. कुछ ही दिनों के भीतर केदारघाटी में तीन हिमस्खलन की घटना के बाद उत्तराखंड सरकार जागी है. जिसके बाद सरकार ने धरातलीय निरीक्षण एवं अध्यनन के लिए टीम गठित की. हिमस्खलन क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण (terrestrial inspection of avalanche zone) और अध्ययन करने के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.

एवलॉन्च पर एक्सपर्ट कमेटी का सुझाव

रिपोर्ट में कमेटी ने बड़ा खुलासा करने के साथ ही सरकार को भविष्य में केदारधाम में कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाने के सुझाव (Suggestions to ban construction in Kedardham) दिए हैं. बता दें कि सितंबर और अक्टूबर महीने में केदारघाटी के ऊपरी क्षेत्र में चोराबाड़ी ग्लेशियर के समीप तीन एवलॉन्च देखने को मिले. एवलॉन्च की तस्वीरों से लोगों में डर देखने को मिला. 2013 में आई केदारनाथ आपदा की तस्वीरें कोई भी नहीं भूला है. ऐसे में सभी को यह किसी बड़े खतरे का अंदेशा लग रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने एक्सपर्ट की एक कमेटी अध्ययन के लिए केदारनाथ भेजी थी.
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एवलॉन्च को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यह हिमालय पर हो रही गतिविधियों का एक सामान्य हिस्सा है. वैज्ञानिकों ने इसकी वजह इस बार सामान्य से ज्यादा हुई बरसात बताई जा रही है. वैज्ञानिकों ने बताया कि उत्तराखंड में मानसून सीजन में सामान्य से 22 फीसदी ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गयी. जिसकी वजह से निचले इलाकों में बरसात होने पर उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी उतनी ही मात्रा में ज्यादा होती है. जिसके बाद हिमालय के ग्लेशियरों पर ताजी बर्फ की मात्रा बेहद ज्यादा बढ़ जाती है. ग्लेशियर पर बर्फ की कैरिंग कैपेसिटी से ज्यादा होने पर यह बर्फ नीचे गिरने लगती है, जो एक बड़े एवलॉन्च का रूप ले लेती है.

एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को लेकर उत्तराखंड आपदा प्राधिकरण (Uttarakhand Disaster Authority) के अपर सचिव मोहम्मद ओबेदुल्ला अंसारी ने कहा कि एवलॉन्च से किसी भी तरह के खतरे की फिलहाल कोई बात नहीं है. कमेटी ने यह भी सुझाव दिए हैं कि मंदिर के पीछे की ओर यानी उत्तर दिशा में मोरेन मौजूद हैं. इसलिए क्षेत्र में भविष्य में भी कोई बड़ा कंस्ट्रक्शन ना हो. एक्सपर्ट कमेटी ने यह भी कहा है कि केदारधाम में ज्यादा कंस्ट्रक्शन भी भविष्य में दिक्कतें पैदा कर सकता है.

Last Updated : Oct 28, 2022, 5:04 PM IST
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