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Backdoor Recruitment: विधानसभा भर्ती घोटालों की जांच करने वाली समिति की नसीहत, मजबूत करें RTI - उत्तराखंड ताजा खबर

उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाले की जांच करने वाली विशेषज्ञ समिति ने अहम नसीहत दी है. समिति ने विधानसभा में सूचना का अधिकार को मजबूती से लागू करने को कहा है. साथ ही रिक्त पदों पर लोक सेवा आयोग या राजकीय प्रतिष्ठित संस्था से भर्ती करने के सुझाव दिए हैं. इन सुझावों का खुलासा आरटीआई से हुआ है. जानिए इसके अलावा समिति ने क्या-क्या सुझाव दिए हैं.

Uttarakhand Assembly Recruitment Scam
उत्तराखंड विधानसभा भर्ती
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Published : Feb 3, 2023, 5:09 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला काफी चर्चा में रहा है. अब इन नियुक्तियों की जांच और भविष्य में सुधार के लिए सुझाव देने वाली विशेषज्ञ समिति ने अहम सुझाव दिए हैं. समिति ने उत्तराखंड विधानसभा में सूचना का अधिकार लागू करने की व्यवस्था मजबूत करने समेत 15 सुझाव दिए हैं. इसका खुलासा नदीमउद्दीन की सूचना का अधिकार अपील के बाद विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से हुआ है.

दरअसल, काशीपुर निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट नदीमउद्दीन ने अपने सूचना प्रार्थना पत्र से विधानसभा सचिवालय के लोक सूचना अधिकारी से विधानसभा में नियुक्तियों के परीक्षण के संबंध में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और इस पर कार्रवाई की सूचना मांगी थी. पहले तो इस सूचना प्रार्थना पत्र का उत्तर ही नहीं दिया गया. जब नदीम ने पहली अपील की तो विशेषज्ञ समिति की 217 पृष्ठों की रिपोर्ट विधानसभा की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई.

वहीं, 6 जनवरी को लोक सूचना अधिकारी/अनु सचिव मनोज कुमार ने अपने पत्रांक 28 में उत्तर उपलब्ध कराया. नदीम को उपलब्ध रिपोर्ट के अध्ययन से स्पष्ट है कि विशेषज्ञ समिति ने नियुक्तियों की वैधता आदि पर सुझाव के अतिरिक्त विधानसभा में भविष्य में सुधार के लिए 15 सुझाव भी दिए हैं. इन सुझावों में क्रमांक 12 पर विधानसभा सचिवालय में सूचना के अधिकार अधिनियम को लागू करने की व्यवस्था मजबूत करने का सुझाव है. ताकि, कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सके.
ये भी पढ़ेंः Backdoor Recruitment: कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को घेरा, कहा- छीनने के बजाय रोजगार देने की नीति हो

पूर्व आईएएस दिलीप कोटिया (अध्यक्ष), सुरेंद्र सिंह रावत और अवनेंद्र सिंह नयाल की विशेषज्ञ समिति ने भविष्य में सुधार के लिए सुझाव दिए हैं. जिसमें सूचना अधिकार को मजबूत करने से लेकर अन्य सुझावों में विधानसभा के प्रमुख सचिव पद पर न्यायिक सेवा के अनुभवी एवं योग्य अधिकारी की नियुक्ति, पदों की आवश्यकता का निरीक्षण कर विधानसभा सचिवालय के संगठनीय ढांचे की राइट साइजिंग के लिए जल्द कार्रवाई, रिक्त पद को लोक सेवा आयोग या अन्य कोई राजकीय प्रतिष्ठित संस्था से भर्ती कराने को कहा है.

इसके अलावा कार्मिकों के मूल्यांकन के लिए वार्षिक चरित्र पंजिका लिखे जाने और संरक्षित किए जाने की मजबूत व्यवस्था, विधानसभा सचिवालय सेवा नियमावली को नए सिरे से विचार करके वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में दोबारा बनाया जाना शामिल है. जबकि, विधानसभा सचिवालय में बड़े स्तर पर आईटी (सूचना तकनीक) का प्रयोग, साल 2016 से पूर्व की भांति विधानसभा सचिवालय को प्रशासकीय विभाग के स्थान पर संसदीय कार्य विभाग को ही विधानसभा का प्रशासनिक विभाग बनाए जाने का सुझाव दिए हैं.

वहीं, पत्रावली खोलने, टीप लिखने, आदेश प्राप्त करने और उनको सुरक्षित रखने संबंधी नियम बनाने को भी कहा है. विधानसभा सचिवालय की वेबसाइट में सुधार करके मजबूत रूप प्रदान करने, विधानसभा सचिवालय के समस्त कार्मिकों का कार्य के प्रति उत्साह एवं मनोबल बढ़ाए जाने के लिए समुचित पुरस्कार योजनाएं लागू करने के सुझाव दिए गए हैं.

पदोन्नति सहित कार्मिकों के सेवा संबंधी सभी विषयों के समय से निस्तारण की व्यवस्था और वाहन चालक व परिचालक के कार्मिक आउटसोर्सिंग से भर्ती करने के सुझाव भी समिति ने दिए हैं. वहीं, अध्यक्ष, प्रमुख सचिव, नेता प्रतिपक्ष आदि के लिए उक्त कार्मिकों के स्थायी पद रखने के सुझाव भी समिति की रिपोर्ट में शामिल हैं.
ये भी पढ़ेंः कई दिनों से आंदोलन पर डटे बर्खास्त कर्मी, अब मिला बसपा का समर्थन

गौर हो कि उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में 228 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था, जो बहाली की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर धरने पर डटे हैं. ये वही कर्मचारी हैं, जिनकी साल 2016 के बाद नियुक्तियां हुई हैं. ऐसे में उनकी मांग है कि कि 2016 के पहले हुई नियुक्तियों पर भी एक्शन हो या फिर उनकी बहाली हो. इससे पहले मामला सुर्खियों में आने के बाद स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने इन कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था. जिस पर हाईकोर्ट ने पहले स्टे लगाया फिर बाद में हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को जायज ठहराया था.

देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला काफी चर्चा में रहा है. अब इन नियुक्तियों की जांच और भविष्य में सुधार के लिए सुझाव देने वाली विशेषज्ञ समिति ने अहम सुझाव दिए हैं. समिति ने उत्तराखंड विधानसभा में सूचना का अधिकार लागू करने की व्यवस्था मजबूत करने समेत 15 सुझाव दिए हैं. इसका खुलासा नदीमउद्दीन की सूचना का अधिकार अपील के बाद विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से हुआ है.

दरअसल, काशीपुर निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट नदीमउद्दीन ने अपने सूचना प्रार्थना पत्र से विधानसभा सचिवालय के लोक सूचना अधिकारी से विधानसभा में नियुक्तियों के परीक्षण के संबंध में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और इस पर कार्रवाई की सूचना मांगी थी. पहले तो इस सूचना प्रार्थना पत्र का उत्तर ही नहीं दिया गया. जब नदीम ने पहली अपील की तो विशेषज्ञ समिति की 217 पृष्ठों की रिपोर्ट विधानसभा की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई.

वहीं, 6 जनवरी को लोक सूचना अधिकारी/अनु सचिव मनोज कुमार ने अपने पत्रांक 28 में उत्तर उपलब्ध कराया. नदीम को उपलब्ध रिपोर्ट के अध्ययन से स्पष्ट है कि विशेषज्ञ समिति ने नियुक्तियों की वैधता आदि पर सुझाव के अतिरिक्त विधानसभा में भविष्य में सुधार के लिए 15 सुझाव भी दिए हैं. इन सुझावों में क्रमांक 12 पर विधानसभा सचिवालय में सूचना के अधिकार अधिनियम को लागू करने की व्यवस्था मजबूत करने का सुझाव है. ताकि, कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सके.
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पूर्व आईएएस दिलीप कोटिया (अध्यक्ष), सुरेंद्र सिंह रावत और अवनेंद्र सिंह नयाल की विशेषज्ञ समिति ने भविष्य में सुधार के लिए सुझाव दिए हैं. जिसमें सूचना अधिकार को मजबूत करने से लेकर अन्य सुझावों में विधानसभा के प्रमुख सचिव पद पर न्यायिक सेवा के अनुभवी एवं योग्य अधिकारी की नियुक्ति, पदों की आवश्यकता का निरीक्षण कर विधानसभा सचिवालय के संगठनीय ढांचे की राइट साइजिंग के लिए जल्द कार्रवाई, रिक्त पद को लोक सेवा आयोग या अन्य कोई राजकीय प्रतिष्ठित संस्था से भर्ती कराने को कहा है.

इसके अलावा कार्मिकों के मूल्यांकन के लिए वार्षिक चरित्र पंजिका लिखे जाने और संरक्षित किए जाने की मजबूत व्यवस्था, विधानसभा सचिवालय सेवा नियमावली को नए सिरे से विचार करके वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में दोबारा बनाया जाना शामिल है. जबकि, विधानसभा सचिवालय में बड़े स्तर पर आईटी (सूचना तकनीक) का प्रयोग, साल 2016 से पूर्व की भांति विधानसभा सचिवालय को प्रशासकीय विभाग के स्थान पर संसदीय कार्य विभाग को ही विधानसभा का प्रशासनिक विभाग बनाए जाने का सुझाव दिए हैं.

वहीं, पत्रावली खोलने, टीप लिखने, आदेश प्राप्त करने और उनको सुरक्षित रखने संबंधी नियम बनाने को भी कहा है. विधानसभा सचिवालय की वेबसाइट में सुधार करके मजबूत रूप प्रदान करने, विधानसभा सचिवालय के समस्त कार्मिकों का कार्य के प्रति उत्साह एवं मनोबल बढ़ाए जाने के लिए समुचित पुरस्कार योजनाएं लागू करने के सुझाव दिए गए हैं.

पदोन्नति सहित कार्मिकों के सेवा संबंधी सभी विषयों के समय से निस्तारण की व्यवस्था और वाहन चालक व परिचालक के कार्मिक आउटसोर्सिंग से भर्ती करने के सुझाव भी समिति ने दिए हैं. वहीं, अध्यक्ष, प्रमुख सचिव, नेता प्रतिपक्ष आदि के लिए उक्त कार्मिकों के स्थायी पद रखने के सुझाव भी समिति की रिपोर्ट में शामिल हैं.
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गौर हो कि उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में 228 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था, जो बहाली की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर धरने पर डटे हैं. ये वही कर्मचारी हैं, जिनकी साल 2016 के बाद नियुक्तियां हुई हैं. ऐसे में उनकी मांग है कि कि 2016 के पहले हुई नियुक्तियों पर भी एक्शन हो या फिर उनकी बहाली हो. इससे पहले मामला सुर्खियों में आने के बाद स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने इन कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था. जिस पर हाईकोर्ट ने पहले स्टे लगाया फिर बाद में हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को जायज ठहराया था.

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