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Uttarakhand Politics: उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन का विस्तार, केदार रावत उपाध्यक्ष तो देशराज कर्णवाल बने महामंत्री

देहरादून में उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन का विस्तार किया गया है. इस दौरान केदार रावत को उपाध्यक्ष और देशराज कर्णवाल को महामंत्री बनाया गया है. वहीं, पूर्व विधायक संगठन ने राज्य सरकार को 15 बिंदुओं पर सुझाव भेजा है.

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Published : Jan 24, 2023, 5:57 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन ने अपनी कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए यमुनोत्री विधानसभा के पूर्व विधायक केदार सिंह रावत को संगठन में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. जबकि झबरेड़ा से पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल को महामंत्री बनाया गया है. इस दौरान पूर्व विधायक संगठन के अध्यक्ष लाखीराम जोशी ने 15 सूत्रीय मांगों को उठाया. उन्होंने कहा तीन दिन पहले पूर्व विधायक सम्मेलन में लिए गए सुझाव सरकार को सौंपे गए हैं.

लाखीराम जोशी ने कहा 15 बिंदुओं को लेकर सरकार को सुझाव भेजे गए हैं. साथ ही उन्होंने पेपर लीक करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई. उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को विभिन्न आयोगों, सार्वजनिक निगमों, प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति दिए जाने की परंपरा सी बन गई है. जिसके परिणाम स्वरूप अधिकारी कभी भी सेवानिवृत्त नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में प्रदेश हित में यह परंपरा समाप्त होनी चाहिए और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत पूर्व जनप्रतिनिधियों को समाहित किया जाना चाहिए.

उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन का कहना है कि सरकारी और निजी संस्थानों में विभिन्न रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग एजेंसियों को बिचौलिया बनाकर गड़बड़ी की जा रही है. जिससे नियुक्ति पाने वाले युवाओं को मिलने वाले वेतन का अधिकतर हिस्सा बिचौलिया बनी आउटसोर्स एजेंसी खा जा रही है. ऐसे में यह परंपरा भी समाप्त की जानी चाहिए और सीधी भर्ती की न्याय संगत व्यवस्था अपनाई जानी चाहिए.
ये भी पढ़ें: Ankita Murder Case: अंकिता की मां ने CM धामी को याद दिलाया वादा, विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति से नाराज

उन्होंने कहा जोशीमठ प्रभावितों को विस्थापित नीति के तहत ही बसाया जाना चाहिए. राज्य में घटित होने वाली दैवीय आपदा के प्रभावितों को विश्व प्रसिद्ध टिहरी बांध की विस्थापन और पुनर्वास नीति के तहत ही बसाया जाए. भले ही उन्हें पहाड़ों पर ही विस्थापित क्यों ना करना पड़े. इसके साथ ही संगठन ने पलायन पर ठोस रणनीति बनाए जाने की भी मांग की.

उन्होंने कहा पलायन पर ठोस रणनीति बनाने की मांग सरकार के समक्ष उठाई गई है. इसके साथ ही प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण पर ठोस रणनीति अख्तियार किए जाने और मूल निवास अनिवार्य रूप से लागू किए जाने की मांग उठाई है. संगठन ने सरकार से हिमाचल की भांति उत्तराखंड में भी शत्रु कानून लागू किए जाने की मांग उठाई है. ताकि भू-माफियाओं पर लगाम लगाई जा सके. इसके अलावा उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन ने प्रदेश में चकबंदी लागू किए जाने का सुझाव भी सरकार को दिया है. ताकि किसानों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ प्राप्त हो सके.

वहीं, गन्ना मूल्य की घोषणा और किसानों की बकाया राशि भुगतान में हो रही देरी को लेकर पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. कर्णवाल ने कहा है कि किसानों की आय दोगुनी हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. किसानों की हर परेशानी दूर हो, उसको लेकर प्रदेश और केंद्र की सरकार लगातार प्रयासरत है. उन्हें पूरा भरोसा है कि सरकार इसका संज्ञान जल्द ही लेगी. जोशीमठ में जो आपदा आई है, उसके कारण इसमें विलंब हुआ है. सरकार जल्द ही गन्ना मूल्य की घोषणा करेगी. अन्य प्रदेशों की भांति उत्तराखंड के किसानों को भी गन्ने का उचित मूल्य मिलेगा.

देहरादून: उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन ने अपनी कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए यमुनोत्री विधानसभा के पूर्व विधायक केदार सिंह रावत को संगठन में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. जबकि झबरेड़ा से पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल को महामंत्री बनाया गया है. इस दौरान पूर्व विधायक संगठन के अध्यक्ष लाखीराम जोशी ने 15 सूत्रीय मांगों को उठाया. उन्होंने कहा तीन दिन पहले पूर्व विधायक सम्मेलन में लिए गए सुझाव सरकार को सौंपे गए हैं.

लाखीराम जोशी ने कहा 15 बिंदुओं को लेकर सरकार को सुझाव भेजे गए हैं. साथ ही उन्होंने पेपर लीक करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई. उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को विभिन्न आयोगों, सार्वजनिक निगमों, प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति दिए जाने की परंपरा सी बन गई है. जिसके परिणाम स्वरूप अधिकारी कभी भी सेवानिवृत्त नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में प्रदेश हित में यह परंपरा समाप्त होनी चाहिए और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत पूर्व जनप्रतिनिधियों को समाहित किया जाना चाहिए.

उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन का कहना है कि सरकारी और निजी संस्थानों में विभिन्न रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग एजेंसियों को बिचौलिया बनाकर गड़बड़ी की जा रही है. जिससे नियुक्ति पाने वाले युवाओं को मिलने वाले वेतन का अधिकतर हिस्सा बिचौलिया बनी आउटसोर्स एजेंसी खा जा रही है. ऐसे में यह परंपरा भी समाप्त की जानी चाहिए और सीधी भर्ती की न्याय संगत व्यवस्था अपनाई जानी चाहिए.
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उन्होंने कहा जोशीमठ प्रभावितों को विस्थापित नीति के तहत ही बसाया जाना चाहिए. राज्य में घटित होने वाली दैवीय आपदा के प्रभावितों को विश्व प्रसिद्ध टिहरी बांध की विस्थापन और पुनर्वास नीति के तहत ही बसाया जाए. भले ही उन्हें पहाड़ों पर ही विस्थापित क्यों ना करना पड़े. इसके साथ ही संगठन ने पलायन पर ठोस रणनीति बनाए जाने की भी मांग की.

उन्होंने कहा पलायन पर ठोस रणनीति बनाने की मांग सरकार के समक्ष उठाई गई है. इसके साथ ही प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण पर ठोस रणनीति अख्तियार किए जाने और मूल निवास अनिवार्य रूप से लागू किए जाने की मांग उठाई है. संगठन ने सरकार से हिमाचल की भांति उत्तराखंड में भी शत्रु कानून लागू किए जाने की मांग उठाई है. ताकि भू-माफियाओं पर लगाम लगाई जा सके. इसके अलावा उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन ने प्रदेश में चकबंदी लागू किए जाने का सुझाव भी सरकार को दिया है. ताकि किसानों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ प्राप्त हो सके.

वहीं, गन्ना मूल्य की घोषणा और किसानों की बकाया राशि भुगतान में हो रही देरी को लेकर पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. कर्णवाल ने कहा है कि किसानों की आय दोगुनी हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. किसानों की हर परेशानी दूर हो, उसको लेकर प्रदेश और केंद्र की सरकार लगातार प्रयासरत है. उन्हें पूरा भरोसा है कि सरकार इसका संज्ञान जल्द ही लेगी. जोशीमठ में जो आपदा आई है, उसके कारण इसमें विलंब हुआ है. सरकार जल्द ही गन्ना मूल्य की घोषणा करेगी. अन्य प्रदेशों की भांति उत्तराखंड के किसानों को भी गन्ने का उचित मूल्य मिलेगा.

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