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'ग्राउंड जीरो के हीरो' SDRF कमांडेंट नवनीत भुल्लर EXCLUSIVE, ऐसे चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

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Published : Feb 9, 2021, 4:02 PM IST

Updated : Feb 9, 2021, 5:17 PM IST

ईटीवी भारत ने रेस्क्यू अभियान में एसडीआरएफ की कमान संभाल रहे कमांडेंट नवनीत भुल्लर से बात की. नवनीत भुल्लर ने हमें बताया कि कैसे वे इन मुश्किल हालातों में 'ऑल इज वेल' की उम्मीद लिये दिन-रात रेस्क्यू अभियान में जुटे हैं.

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ग्राउंड जीरो पर कैसे रेसक्यू ऑपरेशन कर रही है SDRF

देहरादून/जोशीमठ: चमोली के रैणी गांव में आई जल प्रलय के बाद से यहां लगातार राहत-बचाव कार्य जोरों पर है. सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान दिन-रात हालातों को हराकर रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हैं. ताजा मिली जानकारी के अनुसार अभी तक रैणी गांव में आई जल प्रलय में अब तक 31 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है. अभी भी ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में काम करने वाले कई मजदूर और अधिकारी टनल के मलबे में फंसे हैं. जिन्हें निकालने की जद्दोजहद जारी है. ग्राउंड जीरो पर राहत बचाव कार्यों और हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत रैणी गांव पहुंचा. जहां हमने रेस्क्यू अभियान में एसडीआरएफ की कमान संभाल रहे कमांडेंट नवनीत भुल्लर से बात की. नवनीत भुल्लर ने हमें बताया कि कैसे वे इन मुश्किल हालातों में 'ऑल इज वेल' की उम्मीद लिये दिन-रात रेस्क्यू अभियान में जुटे हैं.

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मलबा हटाने में जुटे मजदूर.

सवाल: अभी रेस्क्यू ऑपरेशन का क्या अपडेट है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): रैणी गांव में फिलहाल रिलीफ का काम चल रहा है. पल्ली रैणी गांव का एक ब्रिज टूट गया है. जिसके कारण गांव का संपर्क कट गया है. इंजीनियर लगातार इसे बनाने में जुटे हुए हैं. एसडीआरएफ फौरी तौर पर ग्रामीणों को राहत पहुंचाने का काम कर रही है. इमरजेंसी, मेडिकल सेवाओं, खाने-पीने की आपूर्ति के लिए एसडीआरएफ काम कर रही है. इसके लिए यहां एक जिफ लाइन फिक्स की गई है. जिससे ग्रामीणों को एक छोर से दूसरे छोर पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा अन्य तक जरूरी चीजों को भी वहां तक पहुंचाया जा रहा है.

'ग्राउंड जीरो के हीरो' SDRF कमांडेंट नवनीत भुल्लर EXCLUSIVE

पढ़ें- जोशीमठ रेस्क्यू LIVE: युद्ध स्तर पर जुटी सेना-NDRF

सवाल: जिप लाइन क्या होती है और इससे एसडीआरफ कैसे राहत पहुंचा रहा है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): जिप लाइन रिवर को क्रास करने के लिए लगाई जाती है. इसमें नदी या पहाड़ के दोनों छोरों पर एंकर प्वाइंट लगाये जाते हैं. जिसमें रस्सियों के माध्यम से लोगों, राहत सामग्री को एक ओर से दूसरे छोर पहुंचाया जाता है. ये एक तरह की डायनमिक रोप होती है. इसमें हारनेस का इस्तेमाल किया जाता है. जिप लाइन में सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है. ये पुल टूटने, बाढ़ आने, माउंटेनिंग में खास तौर से प्रयोग किया जाता है. आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों में जिप लाइन खासी उपयोगी होती है.

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रेसक्यू ऑपरेशन कर रही है SDRF

सवाल: शवों को लेकर क्या अपडेट है, उनकी जानकारी जैसी जरूरी सूचनाएं जुटाई जा रही हैं क्या?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): फिलहाल यहां पर तीन शव बरामद किये गये हैं. जिसमें एक पुलिस के जवान बलवीर गड़िया हैं, जो कि यहां पोस्टेड थे, उनकी शिनाख्त हुई है. बाकी की जानकारी जुटाई जा रही है. अभी यहां पर ब्रिज को बनाने का काम जारी है. उसके लिए मलबा हटाया जा रहा है. जैसे-जैसे मलबा हटाया जा रहा है वैसे-वैसे बॉडीज रिकवर हो रही हैं.

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मलबा हटाता जेसीबी.

सवाल: इस जल प्रलय में काम करने का कैसा अनुभव रहा, क्या कुछ किया जाना बाकी है, जिससे इस तरह की घटनाओं में जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): हर आपदा की प्रकृति और स्वरूप अलग होता है. सभी जगह अलग तरह की चुनौतियां होती हैं. हर जगह हालातों के हिसाब से काम करने की जरूरत होती है. रैणी गांव में मल्टी एजेंसी एप्रोच है. यहां पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, गढ़वाल स्काउट्स, लोकल पुलिस, डॉग यूनिट लगातार रेस्क्यू अभियान में लगी हुई हैं. यहां पर हर तरह की स्पेशल यूनिट काम कर रही है. जिससे ऑपरेशन में आसानी होती है. सभी एजेंसियां मिलकर कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. इस तरह के हालातों में सभी में कोओर्डिनेशन होना बहुत ही जरूरी है. आपदा किसी एक जगह को प्रभावित नहीं करती. इसका क्षेत्र बहुत बड़ा होता है. इसलिए सभी को मिलकर जानकारियां साझा करते हुए काम करने की जरूरत होती है.

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रैणी गांव में मेडिकल सेवाएं.
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पल्ली रैणी गांव

पढ़ें- EXCLUSIVE: ड्रोन से टनल का जियोग्राफिकल मैपिंग कर रहा NDRF, मिलेगी जिंदा लोगों की जानकारी

सवाल: राहत वचाव कार्य में आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): यहां पर बेसिक चैलेंज मलबा है, जो कि मशीन से ही हटाया जा सकता है. अगर इसे मैन्वली किया जाता है तो इसमें काफी समय लग जाता है, जिससे जिदंगियों के बचने के आसार कम होते हैं. इसलिए फोर्स को बड़ी ही एहतियात बरतते हुए मलबे को हटाना होता है.

देहरादून/जोशीमठ: चमोली के रैणी गांव में आई जल प्रलय के बाद से यहां लगातार राहत-बचाव कार्य जोरों पर है. सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान दिन-रात हालातों को हराकर रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हैं. ताजा मिली जानकारी के अनुसार अभी तक रैणी गांव में आई जल प्रलय में अब तक 31 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है. अभी भी ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में काम करने वाले कई मजदूर और अधिकारी टनल के मलबे में फंसे हैं. जिन्हें निकालने की जद्दोजहद जारी है. ग्राउंड जीरो पर राहत बचाव कार्यों और हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत रैणी गांव पहुंचा. जहां हमने रेस्क्यू अभियान में एसडीआरएफ की कमान संभाल रहे कमांडेंट नवनीत भुल्लर से बात की. नवनीत भुल्लर ने हमें बताया कि कैसे वे इन मुश्किल हालातों में 'ऑल इज वेल' की उम्मीद लिये दिन-रात रेस्क्यू अभियान में जुटे हैं.

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मलबा हटाने में जुटे मजदूर.

सवाल: अभी रेस्क्यू ऑपरेशन का क्या अपडेट है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): रैणी गांव में फिलहाल रिलीफ का काम चल रहा है. पल्ली रैणी गांव का एक ब्रिज टूट गया है. जिसके कारण गांव का संपर्क कट गया है. इंजीनियर लगातार इसे बनाने में जुटे हुए हैं. एसडीआरएफ फौरी तौर पर ग्रामीणों को राहत पहुंचाने का काम कर रही है. इमरजेंसी, मेडिकल सेवाओं, खाने-पीने की आपूर्ति के लिए एसडीआरएफ काम कर रही है. इसके लिए यहां एक जिफ लाइन फिक्स की गई है. जिससे ग्रामीणों को एक छोर से दूसरे छोर पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा अन्य तक जरूरी चीजों को भी वहां तक पहुंचाया जा रहा है.

'ग्राउंड जीरो के हीरो' SDRF कमांडेंट नवनीत भुल्लर EXCLUSIVE

पढ़ें- जोशीमठ रेस्क्यू LIVE: युद्ध स्तर पर जुटी सेना-NDRF

सवाल: जिप लाइन क्या होती है और इससे एसडीआरफ कैसे राहत पहुंचा रहा है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): जिप लाइन रिवर को क्रास करने के लिए लगाई जाती है. इसमें नदी या पहाड़ के दोनों छोरों पर एंकर प्वाइंट लगाये जाते हैं. जिसमें रस्सियों के माध्यम से लोगों, राहत सामग्री को एक ओर से दूसरे छोर पहुंचाया जाता है. ये एक तरह की डायनमिक रोप होती है. इसमें हारनेस का इस्तेमाल किया जाता है. जिप लाइन में सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है. ये पुल टूटने, बाढ़ आने, माउंटेनिंग में खास तौर से प्रयोग किया जाता है. आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों में जिप लाइन खासी उपयोगी होती है.

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रेसक्यू ऑपरेशन कर रही है SDRF

सवाल: शवों को लेकर क्या अपडेट है, उनकी जानकारी जैसी जरूरी सूचनाएं जुटाई जा रही हैं क्या?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): फिलहाल यहां पर तीन शव बरामद किये गये हैं. जिसमें एक पुलिस के जवान बलवीर गड़िया हैं, जो कि यहां पोस्टेड थे, उनकी शिनाख्त हुई है. बाकी की जानकारी जुटाई जा रही है. अभी यहां पर ब्रिज को बनाने का काम जारी है. उसके लिए मलबा हटाया जा रहा है. जैसे-जैसे मलबा हटाया जा रहा है वैसे-वैसे बॉडीज रिकवर हो रही हैं.

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मलबा हटाता जेसीबी.

सवाल: इस जल प्रलय में काम करने का कैसा अनुभव रहा, क्या कुछ किया जाना बाकी है, जिससे इस तरह की घटनाओं में जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): हर आपदा की प्रकृति और स्वरूप अलग होता है. सभी जगह अलग तरह की चुनौतियां होती हैं. हर जगह हालातों के हिसाब से काम करने की जरूरत होती है. रैणी गांव में मल्टी एजेंसी एप्रोच है. यहां पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, गढ़वाल स्काउट्स, लोकल पुलिस, डॉग यूनिट लगातार रेस्क्यू अभियान में लगी हुई हैं. यहां पर हर तरह की स्पेशल यूनिट काम कर रही है. जिससे ऑपरेशन में आसानी होती है. सभी एजेंसियां मिलकर कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. इस तरह के हालातों में सभी में कोओर्डिनेशन होना बहुत ही जरूरी है. आपदा किसी एक जगह को प्रभावित नहीं करती. इसका क्षेत्र बहुत बड़ा होता है. इसलिए सभी को मिलकर जानकारियां साझा करते हुए काम करने की जरूरत होती है.

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रैणी गांव में मेडिकल सेवाएं.
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पल्ली रैणी गांव

पढ़ें- EXCLUSIVE: ड्रोन से टनल का जियोग्राफिकल मैपिंग कर रहा NDRF, मिलेगी जिंदा लोगों की जानकारी

सवाल: राहत वचाव कार्य में आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): यहां पर बेसिक चैलेंज मलबा है, जो कि मशीन से ही हटाया जा सकता है. अगर इसे मैन्वली किया जाता है तो इसमें काफी समय लग जाता है, जिससे जिदंगियों के बचने के आसार कम होते हैं. इसलिए फोर्स को बड़ी ही एहतियात बरतते हुए मलबे को हटाना होता है.

Last Updated : Feb 9, 2021, 5:17 PM IST
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