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योजनाओं के नाम पर चल रही बंदरबांट पर देखिए ईटीवी भारत की EXCLUSIVE रिपोर्ट

उत्तराखंड के लिए घपले और घोटालों के बढ़ते मामले चिंता का सबब हैं. खासतौर पर जन कल्याणकारी योजनाओं में होने वाली धांधली न केवल आम लोगों के हक पर डाका है. बल्कि इससे सरकार को भी करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि भी हो रही है.

देहरादून सचिवालय
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Published : Apr 26, 2019, 3:04 PM IST

Updated : Apr 26, 2019, 7:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में ऐसी बहुत सारी योजनाएं हैं, जो सीधे-सीधे आम लोगों से जुड़ी हुई हैं. निर्बल और गरीब वर्ग को लाभ देने के मकसद से कुछ योजनाएं राज्य सरकार चला रही हैं, तो कुछ के लिए केंद्र सरकार धन आवंटित करती है. चिंता की बात ये है कि उत्तराखंड में जनकल्याणकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. सैकड़ों शिकायतों के बीच कई मामलों में जांच में ये साफ हो चुका है कि अपात्र लोगों को योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, तो कई जगह अधिकारी भी इनका फायदा उठा रहे हैं. आपको आज हम बताएंगे इन घपलों की चाभी आखिर क्या है-

दरअसल, गड़बड़ियों और घपले की शुरुआत सबसे पहले प्रमाण-पत्र से होती है. जिसके जरिए योजनाओं का लाभार्थी बनाया जाता है. जी हां, आय प्रमाण-पत्र ही एक ऐसा जरिया है. जिससे अपात्र को भी पात्र बनाया जाता है. चौंकाने वाली बात यह है कि आजतक उत्तराखंड में आय प्रमाण-पत्र बनाने की कोई गाइडलाइन ही तैयार नहीं हुई है, जिसका फायदा उठाकर हजारों लोग फर्जी आय प्रमाण-पत्र बनाकर योजनाओं का लाभ लेते हैं.

समाज कल्याण विभाग आय प्रमाण-पत्र के आधार पर ही जरूरतमंदों को पेंशन देता है. इसमें वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन शामिल हैं. इसके अलावा बेटी की शादी के लिए अनुदान भी आय प्रमाण-पत्र के आधार पर मिलता है. छात्रों को छात्रवृत्ति की सुविधा भी परिवार के आय प्रमाण-पत्र के आधार पर मिलती है. शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री शिक्षा भी आय प्रमाण-पत्र के आधार पर दी जाती है. इसके अलावा विभिन्न विभागों में सब्सिडी की योजनाओं के लिए भी आय प्रमाण-पत्र जरूरी होता है. आंगनबाड़ी में नौकरी के लिए भी आय प्रमाण-पत्र अनिवार्य है.

इससे साफ होता है कि आय प्रमाण-पत्र का होना किसी भी लाभार्थी के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में घपले और गड़बड़ियों की शुरुआत भी आय प्रमाण-पत्र के बनाए जाने से ही होती है. बताया जाता है कि उत्तराखंड में करीब 300 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला हो चुका है. उत्तराखंड सरकार इसके जांच के आदेश भी दे चुकी है और कई मामले पकड़े भी गए हैं.

कल्याणकारी योजनाओं में हो रहे घपले.

राज्य में शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों में फर्जी आय प्रमाण-पत्र के जरिए एडमिशन के मामले का भी खुलासा हुआ है. बताया जाता है कि उत्तराखंड में ऐसे सैकड़ों मामले हैं जिसमें फर्जी आय प्रमाण पत्र का उपयोग किया गया है.

गौर करने वाली बातें

  • बेटी की शादी के लिए अनुदान तब मिलता है जब परिवार की मासिक आय 1250 रुपए हो. लेकिन इतनी कम रकम सीमा के बाद भी करीब 4000 लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं, जो संदेह के घेरे में है.
  • समाज कल्याण विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में यह साफ हो चुका है कि राज्य में 11700 फर्जी पेंशन धारक है. इसमें 5952 लाभार्थी तो इस योजना का लाभ लेने के योग्य ही नहीं है.
  • साल 2018 के दौरान आंगनबाड़ी में देशभर में 1 करोड़ नौकरी फर्जी तरीके से लेने की बात सामने आई थी.
  • ईटीवी भारत से बात करते हुए खुद राजस्व उपनिरीक्षक इस बात को मान रहे हैं कि आय प्रमाण-पत्रों के लिए जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों का पूरा ख्याल रखा जाता है. उनके कहने पर आय प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं जिससे गरीब लोगों को लाभ न मिलकर फर्जी लाभार्थियों को लाभ दिया जाता है.

आय प्रमाण पत्रों को लेकर राजस्व उप निरीक्षक ने प्रमाण पत्रों के फर्जी तरीके से बनने की बात कुबूल की है. खास बात यह है कि ऐसे मामलों में कई लेखपालों पर कार्रवाई भी हुई है, जिसके बाद अब आय प्रमाण-पत्र बनने का काम ही बंद कर दिया गया है. सचिव राजस्व सुशील कुमार की मानें तो आय प्रमाण-पत्रों को लेकर कोई भी गाइडलाइन सरकार के पास नहीं है, लेकिन जल्द ही इसके लिए खाका तैयार किया जा जाएगा.

अब इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सैकड़ों और हजारों करोड़ के घोटाले सामने आने के बाद भी इन घोटालों की जड़ तक सरकार नहीं पहुंच पा रही है. उल्टा घपलेबाजों को आय प्रमाण पत्र की कोई गाइडलाइन न होने के चलते उन्हें गड़बड़ियां करने का मौका दिया जा रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड में ऐसी बहुत सारी योजनाएं हैं, जो सीधे-सीधे आम लोगों से जुड़ी हुई हैं. निर्बल और गरीब वर्ग को लाभ देने के मकसद से कुछ योजनाएं राज्य सरकार चला रही हैं, तो कुछ के लिए केंद्र सरकार धन आवंटित करती है. चिंता की बात ये है कि उत्तराखंड में जनकल्याणकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. सैकड़ों शिकायतों के बीच कई मामलों में जांच में ये साफ हो चुका है कि अपात्र लोगों को योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, तो कई जगह अधिकारी भी इनका फायदा उठा रहे हैं. आपको आज हम बताएंगे इन घपलों की चाभी आखिर क्या है-

दरअसल, गड़बड़ियों और घपले की शुरुआत सबसे पहले प्रमाण-पत्र से होती है. जिसके जरिए योजनाओं का लाभार्थी बनाया जाता है. जी हां, आय प्रमाण-पत्र ही एक ऐसा जरिया है. जिससे अपात्र को भी पात्र बनाया जाता है. चौंकाने वाली बात यह है कि आजतक उत्तराखंड में आय प्रमाण-पत्र बनाने की कोई गाइडलाइन ही तैयार नहीं हुई है, जिसका फायदा उठाकर हजारों लोग फर्जी आय प्रमाण-पत्र बनाकर योजनाओं का लाभ लेते हैं.

समाज कल्याण विभाग आय प्रमाण-पत्र के आधार पर ही जरूरतमंदों को पेंशन देता है. इसमें वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन शामिल हैं. इसके अलावा बेटी की शादी के लिए अनुदान भी आय प्रमाण-पत्र के आधार पर मिलता है. छात्रों को छात्रवृत्ति की सुविधा भी परिवार के आय प्रमाण-पत्र के आधार पर मिलती है. शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री शिक्षा भी आय प्रमाण-पत्र के आधार पर दी जाती है. इसके अलावा विभिन्न विभागों में सब्सिडी की योजनाओं के लिए भी आय प्रमाण-पत्र जरूरी होता है. आंगनबाड़ी में नौकरी के लिए भी आय प्रमाण-पत्र अनिवार्य है.

इससे साफ होता है कि आय प्रमाण-पत्र का होना किसी भी लाभार्थी के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में घपले और गड़बड़ियों की शुरुआत भी आय प्रमाण-पत्र के बनाए जाने से ही होती है. बताया जाता है कि उत्तराखंड में करीब 300 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला हो चुका है. उत्तराखंड सरकार इसके जांच के आदेश भी दे चुकी है और कई मामले पकड़े भी गए हैं.

कल्याणकारी योजनाओं में हो रहे घपले.

राज्य में शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों में फर्जी आय प्रमाण-पत्र के जरिए एडमिशन के मामले का भी खुलासा हुआ है. बताया जाता है कि उत्तराखंड में ऐसे सैकड़ों मामले हैं जिसमें फर्जी आय प्रमाण पत्र का उपयोग किया गया है.

गौर करने वाली बातें

  • बेटी की शादी के लिए अनुदान तब मिलता है जब परिवार की मासिक आय 1250 रुपए हो. लेकिन इतनी कम रकम सीमा के बाद भी करीब 4000 लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं, जो संदेह के घेरे में है.
  • समाज कल्याण विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में यह साफ हो चुका है कि राज्य में 11700 फर्जी पेंशन धारक है. इसमें 5952 लाभार्थी तो इस योजना का लाभ लेने के योग्य ही नहीं है.
  • साल 2018 के दौरान आंगनबाड़ी में देशभर में 1 करोड़ नौकरी फर्जी तरीके से लेने की बात सामने आई थी.
  • ईटीवी भारत से बात करते हुए खुद राजस्व उपनिरीक्षक इस बात को मान रहे हैं कि आय प्रमाण-पत्रों के लिए जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों का पूरा ख्याल रखा जाता है. उनके कहने पर आय प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं जिससे गरीब लोगों को लाभ न मिलकर फर्जी लाभार्थियों को लाभ दिया जाता है.

आय प्रमाण पत्रों को लेकर राजस्व उप निरीक्षक ने प्रमाण पत्रों के फर्जी तरीके से बनने की बात कुबूल की है. खास बात यह है कि ऐसे मामलों में कई लेखपालों पर कार्रवाई भी हुई है, जिसके बाद अब आय प्रमाण-पत्र बनने का काम ही बंद कर दिया गया है. सचिव राजस्व सुशील कुमार की मानें तो आय प्रमाण-पत्रों को लेकर कोई भी गाइडलाइन सरकार के पास नहीं है, लेकिन जल्द ही इसके लिए खाका तैयार किया जा जाएगा.

अब इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सैकड़ों और हजारों करोड़ के घोटाले सामने आने के बाद भी इन घोटालों की जड़ तक सरकार नहीं पहुंच पा रही है. उल्टा घपलेबाजों को आय प्रमाण पत्र की कोई गाइडलाइन न होने के चलते उन्हें गड़बड़ियां करने का मौका दिया जा रहा है.

Intro:Note-ये स्पेशल भेजा गया है...जिसकी फीड ftp पर भेजी गई है।
Folder name-UK_ddn_26 april 2019_Ghaplon ki chabi special

उत्तराखंड के लिए घपले घोटालों के बढ़ते मामले चिंता का सबब बन गए हैं। खासतौर पर जन कल्याणकारी योजनाओं में हो रहे घपले न केवल आम लोगों के हक पर डाका डाल रहे हैं बल्कि सरकार को इससे करोड़ों करोड़ रुपयों की राजस्व हानि भी हो रही है। ईटीवी भारत आज योजनाओं में हो रहे घपले और गड़बड़ियों की उस चाबी का खुलासा करेगा जिस पर आज तक ना तो किसी सरकार की नजर पड़ी और ना ही इसके लिए सरकारों ने कोई कदम उठाया। देखिए ईटीवी भारत की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट......


Body:उत्तराखंड में ऐसी बहुत सारी योजनाएं हैं जो सीधे-सीधे आम लोगों से जुड़ी हुई हैं निर्बल और गरीब वर्ग को लाभ देने के मकसद से कुछ योजनाएं राज्य सरकार चला रही है तो कुछ के लिए केंद्र सरकार द्वारा धन आवंटित किया जाता है... चिंता की बात यह है कि उत्तराखंड में यह जनकल्याणकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। सैकड़ों शिकायतों के बीच कई मामलों में जांच से यह पुख्ता हो चुका है कि कई जगह अपात्र लोगों को योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है तो कई जगह अधिकारी भी इसका फायदा उठा रहे हैं। गरीब और असहाय लोगों के लिए समाज कल्याण विभाग समेत दूसरे कुछ विभाग कल्याणकारी योजनाएं चला रहे हैं। जिसमें गरीबों को आर्थिक रुप से मदद देने के लिए विभाग विशेष मदद करता है। ऐसे में गड़बड़ियों और घपले की शुरुआत सबसे पहले उस प्रमाण पत्र से होती है जिसके जरिए इन योजनाओं का लाभार्थी बना जाता है। जी हां आय प्रमाण पत्र एक ऐसा जरिया है जिसके जरिए अपात्र को भी पात्र बनाया जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि आज तक उत्तराखंड में आय प्रमाण पत्र बनाने की कोई गाइडलाइन ही तैयार नहीं है जिसका फायदा उठाकर सैकड़ों और हजारों लोग फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाकर योजनाओं का लाभ लेते हैं।

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समाज कल्याण विभाग आय प्रमाण पत्र के आधार पर ही जरूरतमंदों को पेंशन देता है

वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन

पुत्री की शादी के लिए अनुदान भी आय प्रमाण पत्र के आधार पर मिलता है

छात्रों को छात्रवृत्ति की सुविधा भी परिवार के आय प्रमाण पत्र के आधार पर मिलती है

शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों के निजी स्कूलों में फ्री शिक्षा कल आप भी आय प्रमाण पत्र के आधार पर दिया जाता है।

इसके अलावा विभिन्न विभागों में सब्सिडी की योजनाओं के लिए भी आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।

आंगनवाड़ी में नौकरी के लिए भी आय प्रमाण पत्र अनिवार्य शर्त है।
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यानी साफ है कि आय प्रमाण पत्र का होना किसी भी लाभार्थी के लिए बेहद जरूरी है ऐसे में घपले और गड़बड़ियों की शुरुआत भी आय प्रमाण पत्र के बनाए जाने से ही होती है। बताया जाता है कि उत्तराखंड में करीब 300 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला हो चुका है। जिस पर उत्तराखंड सरकार जांच के आदेश भी दे चुकी है और कई मामले पकड़े भी जा चुके हैं।

राज्य में शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों में फर्जी आय प्रमाण पत्र के जरिए एडमिशन के भी मामले खुले हैं एक आकलन के अनुसार उत्तराखंड में ऐसे सैकड़ों मामले हैं जिसमें फर्जी आय प्रमाण पत्र का उपयोग किया गया है।

पुत्री की शादी के लिए अनुदान तब मिलता है जब परिवार की मासिक आय 1250 रुपए हो, लेकिन इतनी कम रकम सीमा के बाद भी करीब 4000 लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं। जो संदेह के घेरे में है।

समाज कल्याण विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में यह साफ हो चुका है कि राज्य में 11700 फर्जी पेंशन धारक है। जिसमें 5952 लाभार्थी तो इस योजना का लाभ लेने के योग्य ही नहीं है।

साल 2018 के दौरान आंगनवाड़ी में देशभर में 1 करोड़ नौकरी फर्जी तरीके से लिए जाने की बात सामने आई थी।

उत्तराखंड में यूं तो आय प्रमाण पत्र को लेकर अभी योजनाओं में पूरी तरह से गहन जांच नहीं की गई है लेकिन बताया जाता है कि राज्य में ऐसे सैकड़ों आय प्रमाण पत्र हैं जो गलत तथ्यों के आधार पर बनाए गए हैं खास बात यह है कि ईटीवी भारत पर खुद राजस्व उपनिरीक्षक इस बात को मान रहे हैं कि आय प्रमाण पत्रों के लिए जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों का पूरा ख्याल रखा जाता है और उनके कहने पर आय प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं जिससे हकीकत में निर्मल और गरीब वर्ग के लोगों को लाभ ना मिल कर ऐसे फर्जी लाभार्थियों को लाभ दिया जाता है।

बाइट- राधेश्याम पैन्यूली, राजस्व उप निरीक्षक

आय प्रमाण पत्रों को लेकर खुद राजस्व निरीक्षक का यह खुलासा चौंकाने वाला है जिसमें उन्होंने आय प्रमाण पत्रों के फर्जी तरीके से बनने की बात कुबूल की है खास बात यह है कि ऐसे मामलों में कई लेखपालों पर कार्यवाही भी हुई है जिसके बाद अब आय प्रमाण पत्र बनने का काम ही बंद कर दिया गया है सचिव राजस्व सुशील कुमार की मानें तो आय प्रमाण पत्रों को लेकर कोई भी गाइडलाइन सरकार के पास नहीं है लेकिन जल्द ही इसके लिए खाका तैयार किया जा रहा है।

बाइट -सुशील कुमार, सचिव, राजस्व


Conclusion:अब इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सैकड़ों और हजारों करोड़ के घोटाले सामने आने के बाद भी इन घोटालों की जड़ तक सरकार नहीं पहुंच पा रही है। उल्टा घपलेबाजों को आय प्रमाण पत्र की कोई गाइडलाइन ना होने के चलते उन्हें गड़बड़ियां करने का मौका दिया जा रहा है।

पीटीसी नवीन उनियाल, देहरादून
Last Updated : Apr 26, 2019, 7:26 PM IST
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