देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मतदान हो चुका है. अब सबको 10 मार्च को आने वाले चुनाव परिणाम का इंतजार है. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में त्रिवेंद्र रावत ने हरक सिंह रावत पर तंज कसते हुए कहा कि दोनों रावत में अंतर है. एक रावत वो हैं जोकि भाजपा से निकाले गए हैं. दूसरे रावत वह रावत हैं, जिन्होंने पार्टी को अपना समर्पण दिया है.
हरीश रावत को आपकी इतनी चिंता क्यों: त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि कांग्रेस नेता हरीश रावत अब काफी अनुभवी और वरिष्ठ हो गए हैं और कांग्रेस के थिंक टैंक को हरीश रावत की जरूरत है. जहां तक बात हरीश रावत की चिंता की है तो वास्तव में उनकी चिंता उनकी आंतरिक चिंता है. उनके संगठन को लेकर चिंता है उन्हें चिंता है कि उनका संगठन में आगे क्या होगा? कहीं पे निगाहें- कहीं पे निशाना हरीश रावत के लिए ठीक बैठता है. ये सभी लोग जानते हैं.
करीबियों को चुन-चुनकर किया किनारे: हरीश रावत ने हाल ही में बयान दिया कि भाजपा ने त्रिवेंद्र रावत की हालत इतनी खराब कर दी है कि उनके करीबियों को चुन-चुन कर खत्म कर दिया है. उनके लोगों को टिकट नहीं दिया है. इस पर त्रिवेंद्र रावत ने जवाब दिया कि मेरे करीबी बीजेपी के 57 के 57 विधायक थे. मेरे करीबी हरीश रावत भी हैं और मेरे करीबी प्रीतम सिंह भी हैं. तो ऐसे में यह सब बातें केवल राजनीतिक चर्चाओं को गर्म करने के लिए हरीश रावत कर रहे हैं. उन्हें अपने परिवार में ध्यान देना चाहिए उनके परिवार की स्थिति किसी से छिपी नहीं है.
पुष्कर धामी व भाजपा नेता लगा रहे त्रिवेंद्र के चक्कर: त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि यह एक सामान्य सी मुलाकात थी और हम मिलते रहते हैं. यह पहली बार नहीं है, जब पुष्कर सिंह धामी उनसे मिलने के लिए उनके आवास पर आए थे. पुष्कर सिंह धामी जब लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति में थे तब से उनके करीबी हैं और वह तब से उनके आवास पर आते रहते हैं. उन्होंने कहा कि पुष्कर सिंह धामी 2012 में पहली बार विधायक बने थे और उसके बाद कई बार उनसे मिलने के लिए उनके आवास पर आए होंगे. लेकिन अब वह मुख्यमंत्री हैं तो शायद लोगों को लगता है कि क्यों मिलने गए हैं. क्या विषय रहा होगा, जबकि यह एक सामान्य सी प्रक्रिया है.
जब चुनाव थे तब साइड लाइन कर दिया: त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि वो न तो भाजपा को भूले हैं और न कभी भूलेंगे. तो यह कैसे हो सकता है कि भाजपा त्रिवेंद्र रावत को भूल जाएगी. उन्होंने कहा कि यह सारी चर्चाएं केवल सियासी चर्चाओं तक सीमित हैं. उन्होंने कहा है कि यह सब बातें जनता को उलझाने के लिए होती हैं लेकिन अब सब जानते हैं इस तरह की कोई बात नहीं है.
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इन चुनावों में दोनों तरफ दो "रावत" चुनाव नहीं लड़ रहे, कितना अंतर है: इन विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस से दो बड़े चेहरे चुनावी मैदान में नहीं थे. भाजपा से त्रिवेंद्र रावत और कांग्रेस की तरफ से हरक सिंह रावत. ऐसे में त्रिवेंद्र रावत ने हरक सिंह रावत पर तंज कसते हुए कहा कि दोनों रावत में अंतर है. एक रावत वो हैं जोकि भाजपा से निकाले गए हैं. दूसरे रावत वह रावत हैं जिन्होंने पार्टी को अपना समर्पण दिया है. अपने नए कार्यकर्ताओं को आगे आने का मौका दिया है. उन्होंने कहा कि हरक सिंह रावत के चुनाव में लड़ने की परिस्थितियां अलग हैं लेकिन उनके चुनाव न लड़ने की परिस्थितियां उससे बिल्कुल इतर हैं.
बहुमत से छेड़छाड़ को लेकर क्यों डरे हुए हैं हरीश रावत: बहुमत से छेड़छाड़ को लेकर हरीश रावत की चिंता पर त्रिवेंद्र रावत ने चुटकी लेते हुए कहा कि हरीश रावत की चिंता बहुमत से छेड़छाड़ की नहीं बल्कि चुनाव परिणामों को लेकर है. जहां तक बात सरकारी तंत्र का दुरुपयोग या फिर अन्य किसी हथकंडे को अपनाने की है, तो उन्होंने हरीश रावत को याद दिलाया कि वह उनकी ही सरकार थी जब इलेक्शन कमिशन का भी दुरुपयोग हुआ था. त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि एक समय में हरिद्वार जिले के जिलाधिकारी रहे और बाद में इलेक्शन कमीशन के चेयरमैन रहे अधिकारी ने बताया था कि हरिद्वार में कांग्रेस हार रही थी लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जिलाधिकारी पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में घोषणा करवाई थी और अधिकारी को घोषणा करनी पड़ी थी.