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Etv भारत से बोले निर्भया के डॉक्टर, 'हैवानियत पर इंसानियत की हुई जीत'

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए निर्भया का इलाज करने वाले डॉ. विपुल कंडवाल ने कहा कि आज निश्चित तौर से हैवानियत पर इंसानियत की जीत हुई है. सफदरगंज अस्पताल की काली रात को वो कभी नहीं भुल सकते हैं.

nirbhaya case
विपुल कंडवाल
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Published : Mar 20, 2020, 7:53 PM IST

Updated : Mar 20, 2020, 9:07 PM IST

देहरादूनः दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में सात साल, तीन महीने से ज्यादा समय के बाद आखिर इंसाफ हो गया है. तमाम कानून दांव-पेंच के बाद निर्भया के चारों दोषियों को आज तड़के 5.30 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया. जिसके बाद पूरे देशभर से तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. इसी कड़ी में निर्भया के डॉक्टर रहे डॉ. विपुल कंडवाल ने ईटीवी भारत ने खास बातचीत कर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

निर्भया के इलाज करने वाले डॉ. विपुल कंडवाल से खास बातचीत.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए डॉ. विपुल कंडवाल ने बताया कि सफदरगंज अस्पताल की वो रात उनके जीवन की एक ऐसी रात है, जिसे वो कभी नहीं भुला सकते हैं. जो एक भयावह मंजर जैसा था. उन्होंने कहा कि निर्भया को इलाज के लिए सफदरगंज अस्पताल लाया गया था. उसकी हालत देखकर उनका कलेजा कांप उठा था. निर्भया को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि उसके साथ एक घिनौना काम किसी इंसान ने किया हो. ऐसा लग रहा था जैसे किसी जंगली जानवर ने उस पर हमला किया हो.

ये भी पढ़ेंः तिहाड़ में फांसी के बाद निर्भया को इंसाफ, मां ने सरकार और न्यायपालिका का आभार जताया

डॉ. विपुल कंडवाल ने भावुक होते हुए कहा कि आज निश्चित तौर से हैवानियत पर इंसानियत की जीत हुई है. न्यायपालिका का यह फैसला समाज में एक महिला सुरक्षा के मद्देनजर एक मिसाल कायम बनेगा. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि जब भी इस केस में फांसी टाली गई, तब वे काफी दुखी हुए, लेकिन आखिरकार निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया है. जिससे न्यायपालिका ने अपने वर्चस्व को कायम रखा है.

क्या था मामला?

आज से 7 साल, 3 महीने और तीन दिन पहले यानी 16 दिसंबर 2012 को राजधानी दिल्ली के मुनिरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की एक छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था. इतना ही नहीं आरोपियों ने दरिंदगी की वो सारी हदें पार भी कर दी थी, जिसे देख और सुनकर रूह कांप जाए. वारदात के दौरान पीड़िता का दोस्त भी बस में था. आरोपियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी. जिसके बाद पीड़िता और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया था.

वहीं, पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज किया गया, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया. जहां पर इलाज के दौरान 29 दिसंबर को पीड़िता ने दम तोड़ दिया. इस शर्मनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. युवा सड़कों पर इंसाफ मांगने के लिए निकले. इस दौरान कई जगहों पर पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा.

उधर, मामला तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया. जिसमें एक नाबालिग भी शामिल था. निर्भया के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई चलती रही. इस दौरान एक आरोपी ने जेल में भी आत्महत्या कर ली. जिसके बाद चारों आरोपियों ने स्थानीय अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिका डाली. मामले में कई बार फांसी भी टली, लेकिन 20 मार्च को निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया.

देहरादूनः दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में सात साल, तीन महीने से ज्यादा समय के बाद आखिर इंसाफ हो गया है. तमाम कानून दांव-पेंच के बाद निर्भया के चारों दोषियों को आज तड़के 5.30 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया. जिसके बाद पूरे देशभर से तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. इसी कड़ी में निर्भया के डॉक्टर रहे डॉ. विपुल कंडवाल ने ईटीवी भारत ने खास बातचीत कर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

निर्भया के इलाज करने वाले डॉ. विपुल कंडवाल से खास बातचीत.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए डॉ. विपुल कंडवाल ने बताया कि सफदरगंज अस्पताल की वो रात उनके जीवन की एक ऐसी रात है, जिसे वो कभी नहीं भुला सकते हैं. जो एक भयावह मंजर जैसा था. उन्होंने कहा कि निर्भया को इलाज के लिए सफदरगंज अस्पताल लाया गया था. उसकी हालत देखकर उनका कलेजा कांप उठा था. निर्भया को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि उसके साथ एक घिनौना काम किसी इंसान ने किया हो. ऐसा लग रहा था जैसे किसी जंगली जानवर ने उस पर हमला किया हो.

ये भी पढ़ेंः तिहाड़ में फांसी के बाद निर्भया को इंसाफ, मां ने सरकार और न्यायपालिका का आभार जताया

डॉ. विपुल कंडवाल ने भावुक होते हुए कहा कि आज निश्चित तौर से हैवानियत पर इंसानियत की जीत हुई है. न्यायपालिका का यह फैसला समाज में एक महिला सुरक्षा के मद्देनजर एक मिसाल कायम बनेगा. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि जब भी इस केस में फांसी टाली गई, तब वे काफी दुखी हुए, लेकिन आखिरकार निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया है. जिससे न्यायपालिका ने अपने वर्चस्व को कायम रखा है.

क्या था मामला?

आज से 7 साल, 3 महीने और तीन दिन पहले यानी 16 दिसंबर 2012 को राजधानी दिल्ली के मुनिरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की एक छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था. इतना ही नहीं आरोपियों ने दरिंदगी की वो सारी हदें पार भी कर दी थी, जिसे देख और सुनकर रूह कांप जाए. वारदात के दौरान पीड़िता का दोस्त भी बस में था. आरोपियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी. जिसके बाद पीड़िता और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया था.

वहीं, पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज किया गया, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया. जहां पर इलाज के दौरान 29 दिसंबर को पीड़िता ने दम तोड़ दिया. इस शर्मनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. युवा सड़कों पर इंसाफ मांगने के लिए निकले. इस दौरान कई जगहों पर पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा.

उधर, मामला तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया. जिसमें एक नाबालिग भी शामिल था. निर्भया के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई चलती रही. इस दौरान एक आरोपी ने जेल में भी आत्महत्या कर ली. जिसके बाद चारों आरोपियों ने स्थानीय अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिका डाली. मामले में कई बार फांसी भी टली, लेकिन 20 मार्च को निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया.

Last Updated : Mar 20, 2020, 9:07 PM IST
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