देहरादून: श्रमिकों के हितों को लेकर लॉकडाउन में सरकार काम कर रही है. खासतौर पर श्रमिकों के खाते में पैसा पहुंचाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. उत्तराखंड वन मंत्री हरक सिंह रावत के अनुसार 2 लाख से ज्यादा श्रमिकों को 2000 रुपये खाते में दिए जा चुके हैं. इसके साथ ही हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कई सवालों के जवाब दिए.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में प्रवासियों की वापसी को लेकर कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में आने वाले श्रमिकों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. महामारी का सबसे ज्यादा असर श्रमिकों पर ही हुआ है. तमाम श्रमिक जो विभिन्न क्षेत्रों में काम को कर रहे थे, उनके काम बंद होने से वो संकट में थे. ऐसे में हमने हजार-हजार रुपए की दो किश्त इन लोगों के खाते में भिजवायी है लेकिन अब हम एक महीने का राशन देने की तैयारी कर रहे हैं.
हरक सिंह रावत ने कहा कि राज्य में 2 लाख 36 हजार रजिस्टर्ड श्रमिक हैं, जिसमें 2 लाख से ज्यादा श्रमिकों के खातों में पैसा भेजा जा चुका है. जो रजिस्टर्ड श्रमिक नहीं हैं, उनके लिए श्रम विभाग ने प्रचार करते हुए श्रमिकों से आग्रह किया है कि वे अपना खाता नंबर दें ताकि, पैसे डाले जा सकें.
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वही, गांवों में प्रवासियों के हो रहे विरोध को लेकर कहा कि विरोध लाजमी है और ये बीमारी का डर है, लेकिन हम ऐसे लोगों को समझा कर मना सकते हैं. इसमें सजगता और सहयोग सभी को करना होगा. इस लड़ाई से अकेले सरकार और अधिकारी नहीं लड़ सकते. इसमें तालमेल बनाकर लोगों को सहयोग देना चाहिए.
उत्तराखंड के लोगों की एक आदत हो गयी थी कि हम बाहर जाकर 5 हजार की नौकरी कर रहे हैं, लेकिन अपने गांव में काम नहीं करेंगे. हरक सिंह ने कहा कि मैं खुद प्रयोग कर रहा हूं कि खेती से आमदनी बढ़ाई जाए. रिवर्स पलायन तभी होगा, जब लोग ईमानदारी से मेहनत करेंगे. हरक सिंह को जरूरत नहीं, लेकिन यदि मैं मंत्री होकर खेती कर रहा हूं और काम कर रहा हूं तो सबको करना चाहिए.
इस वायरस के आने से पहले इंसान उड़ने लगा था, लेकिन कोरोना वायरस ने सभी को जमीन पर ला दिया. उत्तराखंड में कोरोना मामला सबसे ज्यादा ठीक क्यों हो रहे हैं. क्योंकि यहां का खाना पीना, जलवायु और रहन सहन का यह असर है. आयुष के जरिये हमने किट उपलब्ध कराई ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े.