देहरादूनः उत्तराखंड में प्रतिभा और हुनर कमी नहीं है, लेकिन खिलाड़ी आर्थिक प्रोत्साहन की वजह से कहीं न कहीं आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. सूबे में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो आज भी सरकार से नौकरी की आस लगाए बैठे हैं. ऐसे ही कुछ पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर सीएम धामी ने सम्मानित किया, लेकिन ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उनका दर्द छलका. उनका ये भी कहना था कि वो अपने खर्चों पर टूर्नामेंट में हिस्सा लेने जाते हैं. आर्थिक तंगी की वजह से वो आगे खेल नहीं पाते हैं.
दरअसल, देहरादून में राष्ट्रीय खेल दिवस एवं मेजर ध्यान चंद की जयंती के मौके पर 'मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना' का शुभारंभ किया गया. इस योजना के तहत खिलाड़ियों को सरकार की तरफ से मदद की जाएगी. ताकि, वो अपने हुनर को और तराश सके. साथ ही उसके बीच में कोई आर्थिक समस्या न हो. अभी तक एक समस्या उत्तराखंड के उन खिलाड़ियों के लिए भी बनी हुई थी, जो उत्तराखंड से खेलते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करते थे, लेकिन उनकी आर्थिकी को लेकर कोई ठोस व्यवस्था सरकार नहीं करती थी.
वहीं, उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेताओं को सीधे नौकरी दिए जाने को लेकर कैबिनेट में मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी भी लंबे समय से इंतजार कर रहे खिलाड़ियों को यह फैसला एक कल्पना से कम नहीं लग रहा है. खेल दिवस के मौके पर ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उम्दा प्रदर्शन कर मेडल हासिल किए. इन मेडलों को जीतकर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है.
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ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी प्रेमा विश्वास, नीरजा गोयल और निर्मला का दर्द साफ झलक रहा था. उन्होंने बताया कि तीनों खिलाड़ियों ने जापान में हुए पैरा ओलंपिक में उत्तराखंड की ओर से प्रतिभाग किया. इसके अलावा प्रदेश का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया, लेकिन उन्हें आर्थिकी का सामना करना पड़ा. उनका कहना था कि उन्हें टूर्नामेंट खेलने के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाने पड़े. वो अपने खर्चे पर ही खेलने जाते हैं. ऐसे में जब आर्थिकी की समस्याएं सामने आती है तो उनका हिम्मत जवाब दे जाता है.
सरकार की ओर से हाल ही में खिलाड़ियों को नौकरियां को लेकर लिए गए फैसले पर इन महिला दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि यह फैसला स्वागत योग्य तो है, लेकिन जिस तरह से कई सालों से इस तरह की बातें की जा रही है, उन्हीं बातों की तरह यह फैसला भी एक हवा हवाई साबित न हो. जब यह फैसला धरातल पर उतरेगा, तभी उन्हें यकीन होगा. अगर सरकार की ओर से मदद मिलेगी तो वो देश और प्रदेश के लिए मेडल लेकर आएंगे.
वहीं, सीएम धामी ने नेशनल पावर लिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीतने पर आईपीएस अधिकारी अमित सिन्हा को सम्मानित किया. ईटीवी भारत ने अमित सिन्हा से बातचीत की. इस दौरान अमित सिन्हा ने कहा कि आज खेलों के प्रति हर वर्ग का खिलाड़ी निकल कर सामने आ रहा है. खेल में अमीरी-गरीबी, नौकरी पैसे वाले लोग या फिर किसी भी व्यवसाय से जुड़े लोगों का कोई फर्क नहीं रहा है. जिसके अंदर हुनर है, वो अपने हुनर को आजमा सकता है. इसी हुनर को तराशने के लिए सरकार भी लगातार काम कर रही है.
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उत्तराखंड खेल प्रमुख सचिव अभिनव कुमार ने कहा कि सरकार का पूरा प्रयास है कि खेलों को लेकर ऐसा माहौल बनाया जाए. ताकि यहां का हुनर और यहां की प्रतिभा पूरे देश में अपना लोहा मनवा सके. उन्होंने कहा कि अगले साल उत्तराखंड में नेशनल गेम्स होने हैं. उससे पहले प्रदेश में लगातार खिलाड़ियों और खेल को लेकर के सरकार की ओर से फैसले लिए जा रहे हैं. जो यह दर्शाते हैं कि किस तरह से उत्तराखंड सरकार अपने खिलाड़ियों और खेल के प्रति गंभीर है.