देहरादून: त्रिवेंद्र कैबिनेट ने उपनल के माध्यम से युवाओं को रोजगार देने का फैसला किया है. जिसका प्रदेश में विरोध तेज हो गया है. फैसले के विरोध में राज्य आंदोलनकारी, पूर्व सैनिक और बेरोजगार संगठन ने सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है.
गुरुवार को उत्तराखंड की आवाज के तत्वाधान में आयोजित एक संयुक्त प्रेसवार्ता में पूर्व सैनिकों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से युवाओं को कोई लाभ नहीं होने वाला है. इस फैसले से ठीक उलट राज्य में अपने चहेतों को नौकरी लगाने का काम शुरू हो जाएगा. राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने कहा सरकार बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराए लेकिन, यह रोजगार उपनल की बजाय अन्य माध्यमों से उपलब्ध कराए जाना चाहिए.
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उन्होंने कहा उपनल की स्थापना पूर्व सैनिक और उनके आश्रितों को रोजगार देने के लिए हुई थी. सैनिक 30, 31, 32 वर्ष की आयु में रिटायर होना शुरू हो जाते हैं. उस दौरान उनपर परिवार पालने, बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी होती है. उन्होंने कहा सरकार अगर बेरोजगारों का हित चाहती है तो राज्य के विभिन्न विभागों में रिक्त लगभग 45 हजार पदों को भरने के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाए.
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वहीं, पूर्व आईएएस एसएस पांगती का कहना है कि पूर्व के अनुभव प्रमाणित कर रहे हैं कि उपनल भर्ती में जमकर भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद होता रहा है. जिसके कारण वे इसका विरोध कर रहे हैं.
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इस दौरान उत्तराखंड की आवाज के मुख्य संयोजक रविंद्र जुगरान ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने ये फैसला वापस नहीं लिया तो उन्हें विधानसभा के घेराव के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
बता दें कि राज्य में अभी तक उपनल के माध्यम से पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को ही रोजगार मिलता था. मगर कोविड-19 महामारी के चलते राज्य के बेरोजगार और प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराने के लिए उपनल में अन्य युवाओं को भी मौका दिया गया है.