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उल्टा दौड़ता है सेना का ये रिटायर जवान, 60 मिनट में 10 किलोमीटर दूरी तय कर बनाया रिकॉर्ड

गोरखा राइफल से साल 2014 में सेवानिवृत्त होने के बाद मोहन सिंह गुरुंग ने पर्यावरण की जागरुकता को लेकर उल्टा दौड़ने का फैसला किया. मोहन सिंह गुरुंग 60 मिनट में लगभग 10 किलोमीटर की उल्टी दौड़ लगाने में सक्षम हैं.

मोहन सिंह गुरुंग, पूर्व सैनिक
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Published : Feb 13, 2019, 9:57 AM IST

देहरादून: कहते हैं एक सैनिक के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होता, फिर चाहे वह सेना में अपनी सेवा दे रहा हो या फिर रिटायर हो. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पिथौरागढ़ के एक गोरखा राइफल से सेवानिवृत मोहन सिंह गुरुंग ने. दरअसल, मोहन सिंह अपनी एक अजीबो-गरीब कारनामे से जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं.

पढ़ें- कैसा ये प्यार हैः एक छात्र से दोस्ती को लेकर आपस में भिड़ीं स्‍कूल की छात्राएं, देखें वीडियो

दरअसल, गोरखा राइफल से साल 2014 में सेवानिवृत्त होने के बाद मोहन सिंह गुरुंग ने पर्यावरण की जागरुकता को लेकर उल्टा दौड़ने का फैसला किया. सेवानिवृत्त होने के बाद मोहन सिंह ने सबसे पहले उल्टा दौड़ने का अभ्यास आरंभ कर दिया. आज उनकी मेहनत और पर्यावरण के प्रति संकल्प और उनके जज्बे की बदौलत मोहन सिंह गुरुंग 60 मिनट में लगभग 10 किलोमीटर की उल्टी दौड़ लगाने में सक्षम हैं. गुरुंग के कड़े अभ्यास और मेहनत का ही नजीता है कि वो इस अनोखी दौड़ में सफलता प्राप्त की है.

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जानकारी देते पूर्व सैनिक मोहन सिंह गुरुंग
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मोहन सिंह का कहना है कि उल्टा दौड़ते हुए ट्रैफिक कंट्रोल करने के साथ-साथ लोगों की सुविधा का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है. जिससे वजह से उनकी इस दौड़ से किसी को कोई परेशानी न हो. उन्होंने बताया कि वे नियमित रूप से खड़ी चढ़ाई और पहाड़ी ढलानों पर रोज एक घंटे तक अभ्यास करते हैं. इसके साथ ही पर्यावरण की जागरूकता के लिए समय-समय पर वृक्षारोपण करते रहते हैं, ताकि समाज को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक किया जा सके.

देहरादून: कहते हैं एक सैनिक के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होता, फिर चाहे वह सेना में अपनी सेवा दे रहा हो या फिर रिटायर हो. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पिथौरागढ़ के एक गोरखा राइफल से सेवानिवृत मोहन सिंह गुरुंग ने. दरअसल, मोहन सिंह अपनी एक अजीबो-गरीब कारनामे से जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं.

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दरअसल, गोरखा राइफल से साल 2014 में सेवानिवृत्त होने के बाद मोहन सिंह गुरुंग ने पर्यावरण की जागरुकता को लेकर उल्टा दौड़ने का फैसला किया. सेवानिवृत्त होने के बाद मोहन सिंह ने सबसे पहले उल्टा दौड़ने का अभ्यास आरंभ कर दिया. आज उनकी मेहनत और पर्यावरण के प्रति संकल्प और उनके जज्बे की बदौलत मोहन सिंह गुरुंग 60 मिनट में लगभग 10 किलोमीटर की उल्टी दौड़ लगाने में सक्षम हैं. गुरुंग के कड़े अभ्यास और मेहनत का ही नजीता है कि वो इस अनोखी दौड़ में सफलता प्राप्त की है.

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जानकारी देते पूर्व सैनिक मोहन सिंह गुरुंग
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मोहन सिंह का कहना है कि उल्टा दौड़ते हुए ट्रैफिक कंट्रोल करने के साथ-साथ लोगों की सुविधा का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है. जिससे वजह से उनकी इस दौड़ से किसी को कोई परेशानी न हो. उन्होंने बताया कि वे नियमित रूप से खड़ी चढ़ाई और पहाड़ी ढलानों पर रोज एक घंटे तक अभ्यास करते हैं. इसके साथ ही पर्यावरण की जागरूकता के लिए समय-समय पर वृक्षारोपण करते रहते हैं, ताकि समाज को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक किया जा सके.

जहाँ चाह, वहाँ राह" इस कहावत को चरितार्थ करते हुए पूर्व सैनिक मोहन सिंह गुरुंग ने पर्यावरण जागरूकता के लिए पहाड़ी रास्तों पर केवल 60 मिनट में 10 किलोमीटर की दूरी उल्टा दौड़ कर पूरी की है। पिथौरागढ़ के रहने वाले पूर्व सैनिक मोहन सिंह ने अपने उल्टा दौड़ने के शौक को जूनून बदल दिया है। दरअसल गोरखा राइफल से वर्ष 2014 में सेवानिवृत्त होने के बाद मोहन सिंह गुरु ने पर्यावरण की जागरुकता को लेकर उल्टा दौड़ने का फैसला किया। सेवानिवृत्त होने के बाद मोहन सिंह ने सर्वप्रथम उल्टा दौड़ने का अभ्यास आरंभ कर दिया। आज उनकी मेहनत और पर्यावरण के प्रति संकल्प और उनके जज्बे की बदौलत मोहन सिंह गुरुंग 60 मिनट में लगभग 10 किलोमीटर की उल्टी दौड़ लगा लेते हैं। यह उनके कठिन परिश्रम और अभ्यास का नतीजा ही है कि वे इस अनोखी  दौड़ में सफलता प्राप्त करते हैं। मोहन सिंह का कहना है कि उल्टा दौड़ते हुए ट्रेफिक कंट्रोल करने के साथ-साथ लोगों की सुविधा का भी विशेष ध्यान रखते हैं कि उनकी वजह से किसी को भी किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े। उन्होंने बताया कि वे नियमित रूप से खड़ी चढ़ाई और पहाड़ी ढलानो पर रोज एक घंटे तक अभ्यास करते हैं।
बाइट मोहन सिंह गुरुंग,पूर्व सैनिक

वहीं मोहन सिंह पर्यावरण की जागरूकता के लिए समय-समय पर वृक्षारोपण करते रहते हैं ताकि समाज को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सके। यही कारण है कि उनके इस जज्बे की लोग भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं।

 
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