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UPCL से बिजली खरीदने वाली बकायदार कंपनी के खिलाफ ऊर्जा विभाग सख्त, अन्य राज्यों को लिखा पत्र

यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली कंपनी द्वारा करोड़ों की बकाया धनराशि का भुगतान नहीं कर दिया जाता. ऐसे में ऊर्जा सचिव राधिका झा ने सभी पड़ोसी राज्यों को पत्र भेजकर उक्त कंपनी ( M/S KEIPL ) के डिफॉल्टर होने की जानकारी दी.

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Published : Oct 24, 2020, 8:12 AM IST

देहरादून: यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली कंपनी पर मेहरबानी बरसाने वाले 21 अधिकारियों पर आखिरकार गुरुवार को गाज गिर चुकी है. वहीं शुक्रवार को इस पूरे मामले में ऊर्जा सचिव राधिका झा ने सभी पड़ोसी राज्यों को पत्र भेजकर उक्त कंपनी ( M/S KEIPL ) के डिफॉल्टर होने की जानकारी दी. साथ ही कंपनी को किए जाने वाला भुगतान रोकने का भी अनुरोध किया.

इस पूरे मामले में ऊर्जा सचिव राधिका झा की ओर से यह भी साफ किया गया है कि जब तक कंपनी द्वारा करोड़ों के बकाये धनराशि का भुगतान नहीं कर दिया जाता तब तक राज्य सरकार कंपनी के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखेगी. बता दें कि यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली यह कंपनी दिल्ली की है. इस पूरे मामले में कंपनी द्वारा यूपीसीएल से बिजली खरीदी गई थी, जिसके तहत वर्ष 2016 से लेकर जून 2020 के बीच कंपनी पर यूपीसीएल का बकाया तकरीबन 61 करोड़ था.

यह भी पढ़ें-केंद्रीय सड़क निधि कार्यों की समीक्षा बैठक, समयसीमा में कार्य पूरा करने के निर्देश

यहां सबसे बड़ी ताजुब की बात यह है की करोड़ों की रकम कंपनी पर बकाया होने के बावजूद कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के स्थान पर यूपीसीएल के कर्मचारी और अधिकारी लगातार कंपनी पर मेहरबान होते रहे.

देहरादून: यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली कंपनी पर मेहरबानी बरसाने वाले 21 अधिकारियों पर आखिरकार गुरुवार को गाज गिर चुकी है. वहीं शुक्रवार को इस पूरे मामले में ऊर्जा सचिव राधिका झा ने सभी पड़ोसी राज्यों को पत्र भेजकर उक्त कंपनी ( M/S KEIPL ) के डिफॉल्टर होने की जानकारी दी. साथ ही कंपनी को किए जाने वाला भुगतान रोकने का भी अनुरोध किया.

इस पूरे मामले में ऊर्जा सचिव राधिका झा की ओर से यह भी साफ किया गया है कि जब तक कंपनी द्वारा करोड़ों के बकाये धनराशि का भुगतान नहीं कर दिया जाता तब तक राज्य सरकार कंपनी के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखेगी. बता दें कि यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली यह कंपनी दिल्ली की है. इस पूरे मामले में कंपनी द्वारा यूपीसीएल से बिजली खरीदी गई थी, जिसके तहत वर्ष 2016 से लेकर जून 2020 के बीच कंपनी पर यूपीसीएल का बकाया तकरीबन 61 करोड़ था.

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यहां सबसे बड़ी ताजुब की बात यह है की करोड़ों की रकम कंपनी पर बकाया होने के बावजूद कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के स्थान पर यूपीसीएल के कर्मचारी और अधिकारी लगातार कंपनी पर मेहरबान होते रहे.

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