मसूरी: शिफन कोर्ट मसूरी में सरकारी जमीन पर करीब 84 परिवारों द्वारा अवैध कब्जा किया गया है. इसको हटाने के लिए आज सुबह से ही मसूरी पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची है. हाईकोर्ट का फैसला प्रशासन के पक्ष में आने के बाद मसूरी प्रशासन ने अवैध कब्जा हटाने को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है.
बता दें, मसूरी शिफन कोर्ट में सरकारी भूमि पर करीब 84 परिवारों ने अवैध कब्जा कर रखा है. इसको लेकर साल 2018 में मसूरी नगर पालिका द्वारा अवैध कब्जा धारियों को नोटिस दिया गया था. जिसके बाद कब्जा धारी उच्च न्यायालय से स्टे लेकर आए थे. स्टे के बाद प्रशासन ने कार्रवाई रोक दी थी. अब 17 अगस्त 2020 को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद उस स्टे को खारिज कर दिया. अब प्रशासन शिफन कोर्ट से अवैध कब्जे को खाली कराने पहुंचा है.
पढ़ें- ऋषिकेश के पास कौडियाला में JCB और पोकलैंड खाई में गिरी, 3 लोगों की मौत
मसूरी एडीएम अरविंद पांडे, एसपी सिटी श्वेता चौबे, सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल राम बिनवाल के साथ आला अधिकारी और भारी पुलिस बल मौके पर मौजूद है. वहीं, कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए कई अधिकारियों और कर्मचारियों को पीपीई किट पहनाई गई है. बता दें, मसूरी के शिफन कोर्ट में मसूरी-पुरुकुल रोपवे के लिए प्लेटफॉर्म बनाया जाना है. इसको लेकर लगातार प्रशासन जमीन को खाली कराने की कोशिश कर रहा है.
अतिक्रमणकारियों ने शुरू किया विरोध
अतिक्रमण हटाने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम को अतिक्रमणकारियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मसूरी विधायक गणेश जोशी और प्रशासन की टीम ने अतिक्रमणकारियों को 15 दिन का समय देने की बात की, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने मना कर दिया. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि वो प्रशासन के किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. मजदूर संगठनों की मसूरी विधायक के साथ भी तीखी नोकझोंक हो गई है. उनका कहना है कि वो किसी भी कीमत पर यहां से नहीं हटेंगे.