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बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि को संरक्षित करना बना चुनौती, मंदिर समिति और सांस्कृतिक विभाग के बीच फंसा पेंच - उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र

बदरीनाथ की आरती से जुड़ी पांडुलिपि को संरक्षित करने के लिए पांडुलिपि के रचयिता ठाकुर धन सिंह के प्रपौत्र महेंद्र सिंह से सहमति ली जा रही है. लेकिन वे पांडुलिपि को संस्कृति विभाग में सुरक्षित नहीं करवाना चाहते, बल्कि वह इन पांडुलिपियों को मंदिर समिति को देना चाहते हैं. जिसे लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है.

यूसेक निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट के साथ महेंद्र सिंह
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Published : Jun 16, 2019, 5:59 PM IST

देहरादून: बदरीनाथ की आरती से जुड़ी पांडुलिपियों को संरक्षित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसेक) इसकी प्रमाणिकता को भी जांचा जा चुका है. ऐसे में अब संस्कृति विभाग को ठाकुर धन सिंह के प्रपौत्र की सहमति का इंतजार है, ताकि बदरीनाथ की आरती को संरक्षित किया जा सके.

बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि को संरक्षित करना बना चुनौती

बदरीनाथ की आरती से जुड़ी पांडुलिपि को मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद संस्कृति विभाग संरक्षित करने की दिशा में तैयारी कर रहा है. हालांकि पांडुलिपि को खराब होने से बचाने के लिये संस्कृति विभाग द्वारा केमिकल के माध्यम से इसे सुरक्षित किया गया है. लेकिन अभी इसे पूरी तरह संरक्षित करने का काम बाकी है. बता दें कि भगवान बदरी विशाल की आरती को लेकर यह तय हो चुका है कि इसे किसी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति ने नहीं बल्कि रुद्रप्रयाग के ठाकुर धन सिंह बर्थवाल ने साल 1881 में लिखा था.

पढे़ं- बदरीनाथ की आरती पर फिर गहराया विवाद, सरकार के दावों को विशेषज्ञों ने दी चुनौती

पांडुलिपि के रचयिता ठाकुर धन सिंह के प्रपौत्र महेंद्र सिंह इसे संस्कृति विभाग में सुरक्षित नहीं करवाना चाहते, बल्कि वह इन पांडुलिपियों को मंदिर समिति को देना चाहते हैं. संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने जानकारी देते हुए कहा कि उनके द्वारा महेंद्र सिंह से संपर्क किया गया है. उनसे पांडुलिपि के संरक्षण को लेकर सहमति मांगी गई है. लेकिन महेंद्र सिंह इसे मंदिर समिति को देने के पक्ष में हैं.

वहीं पांडुलिपि की प्रमाणिकता स्पष्ट होने के बाद बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि कार्बन डेटिंग से तय हो गया है कि पांडुलिपि सही है और यह ठाकुर धन सिंह द्वारा ही लिखी गई है.
पांडुलिपि को लेकर धन सिंह के प्रपौत्र महेंद्र सिंह बताते हैं कि बदरीनाथ की आरती में जिन शब्दों को रखा गया है, वही पांडुलिपि में मौजूद है.

बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट बताते हैं कि हाल ही में मुख्यमंत्री के सामने इस पांडुलिपि को ले जाया गया था. जांच के बाद यह तय हो गया कि बदरीनाथ की आरती ठाकुर धन सिंह ने ही लिखी थी. सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस पांडुलिपि को लेकर यदि संस्कृति विभाग को सहमति नहीं मिल पाती है तो भविष्य में मंदिर समिति को ही इस पांडुलिपि को संरक्षित करना होगा.

देहरादून: बदरीनाथ की आरती से जुड़ी पांडुलिपियों को संरक्षित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसेक) इसकी प्रमाणिकता को भी जांचा जा चुका है. ऐसे में अब संस्कृति विभाग को ठाकुर धन सिंह के प्रपौत्र की सहमति का इंतजार है, ताकि बदरीनाथ की आरती को संरक्षित किया जा सके.

बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि को संरक्षित करना बना चुनौती

बदरीनाथ की आरती से जुड़ी पांडुलिपि को मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद संस्कृति विभाग संरक्षित करने की दिशा में तैयारी कर रहा है. हालांकि पांडुलिपि को खराब होने से बचाने के लिये संस्कृति विभाग द्वारा केमिकल के माध्यम से इसे सुरक्षित किया गया है. लेकिन अभी इसे पूरी तरह संरक्षित करने का काम बाकी है. बता दें कि भगवान बदरी विशाल की आरती को लेकर यह तय हो चुका है कि इसे किसी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति ने नहीं बल्कि रुद्रप्रयाग के ठाकुर धन सिंह बर्थवाल ने साल 1881 में लिखा था.

पढे़ं- बदरीनाथ की आरती पर फिर गहराया विवाद, सरकार के दावों को विशेषज्ञों ने दी चुनौती

पांडुलिपि के रचयिता ठाकुर धन सिंह के प्रपौत्र महेंद्र सिंह इसे संस्कृति विभाग में सुरक्षित नहीं करवाना चाहते, बल्कि वह इन पांडुलिपियों को मंदिर समिति को देना चाहते हैं. संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने जानकारी देते हुए कहा कि उनके द्वारा महेंद्र सिंह से संपर्क किया गया है. उनसे पांडुलिपि के संरक्षण को लेकर सहमति मांगी गई है. लेकिन महेंद्र सिंह इसे मंदिर समिति को देने के पक्ष में हैं.

वहीं पांडुलिपि की प्रमाणिकता स्पष्ट होने के बाद बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि कार्बन डेटिंग से तय हो गया है कि पांडुलिपि सही है और यह ठाकुर धन सिंह द्वारा ही लिखी गई है.
पांडुलिपि को लेकर धन सिंह के प्रपौत्र महेंद्र सिंह बताते हैं कि बदरीनाथ की आरती में जिन शब्दों को रखा गया है, वही पांडुलिपि में मौजूद है.

बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट बताते हैं कि हाल ही में मुख्यमंत्री के सामने इस पांडुलिपि को ले जाया गया था. जांच के बाद यह तय हो गया कि बदरीनाथ की आरती ठाकुर धन सिंह ने ही लिखी थी. सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस पांडुलिपि को लेकर यदि संस्कृति विभाग को सहमति नहीं मिल पाती है तो भविष्य में मंदिर समिति को ही इस पांडुलिपि को संरक्षित करना होगा.

Intro:Summary- बदरीनाथ की आरती से जुड़ी पांडुलिपियों को संरक्षित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं... संस्कृति विभाग को जहां मुख्यमंत्री ने इसकी जिम्मेदारी दी है वही फिलहाल पांडुलिपि लिखने वाले ठाकुर धन सिंह बर्थवाल के प्रपौत्र महेंद्र सिंह पांडुलिपि को मंदिर समिति को देने के पक्ष में हैं।

भगवान बद्री विशाल की आरती को लेकर यह तय हो चुका है की इसे किसी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति ने नहीं बल्कि रुद्रप्रयाग के ठाकुर धर्म सिंह बर्थवाल ने साल 1881 में लिखा था। यूसेक माध्यम से इसकी प्रमाणिकता को भी जांचा जा चुका है.. ऐसे में अब संस्कृति विभाग को ठाकुर धन सिंह के प्रपौत्र की सहमति का इंतज़ार है ताकि बदरीनाथ की आरती को संरक्षित किया जा सके। Body:बदरीनाथ की आरती से जुड़ी पांडुलिपि को मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद संस्कृति विभाग संरक्षित करने की दिशा में तैयारी कर रहा है... हालांकि पांडुलिपि की प्रमाणिकता के स्पष्ट होने के बाद इसे खराब होने से बचाने के लिये संस्कृति विभाग द्वारा केमिकल के माध्यम से पांडुलिपि को सुरक्षित किया जा चुका है। लेकिन अभी इसके संरक्षण का काम बाकी है। खास बात ये है कि संस्कृति विभाग इसे संरक्षित करने के लिए प्रयासरत है तो पांडुलिपि के रचयिता ठाकुर धन सिंह के प्रपौत्र महेंद्र सिंह इसे संस्कृति विभाग में सुरक्षित नहीं करवाना चाहते बल्कि वह इन पांडुलिपियों को मंदिर समिति को देना चाहते हैं। संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने दूरभाष पर जानकारी देते हुए कहा कि उनके द्वारा महेंद्र सिंह से संपर्क किया गया है और उनसे पांडुलिपि के संरक्षण को लेकर सहमति मांगी गई है लेकिन महेंद्र सिंह इसे मंदिर समिति को देने के पक्ष में है। उधर पांडुलिपि की प्रमाणिकता स्पष्ट होने के बाद बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि कार्बन डेटिंग से तय हो गया है कि पांडुलिपि सही है और यह ठाकुर धन सिंह द्वारा ही लिखी गई है ऐसे में वह बधाई देते हैं कि परिवार द्वारा संस्कृति को बचाया गया।

बाइट महेंद्र प्रसाद थपलियाल, अध्यक्ष बद्री केदार
मंदिर समिति(पहाड़ी टोपी पहने हुए)

पांडुलिपि को लेकर धन सिंह के प्रपौत्र महेंद्र सिंह बताते हैं कि बदरीनाथ की आरती में जिन शब्दों को रखा गया है वहीं पांडुलिपि में मौजूद है। महेंद्र सिंह पांडुलिपि में मौजूद आरती की विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए इस आरती के महत्व को भी बयां कर रहे हैं

बाइट महेंद्र सिंह बर्थवाल, प्रपौत्र, ठाकुर धन सिंह(कैप पहने कुर्सी में बैठे हुए, विसुअल में पूरा शरीर आ रहा है)

उधर बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट बताते हैं कि हाल ही में मुख्यमंत्री के समक्ष इस पांडुलिपि को ले जाया गया था और अब बदरीनाथ की आरती को लेकर चल रही विभिन्न भारतीय खत्म हो गई है और यह तय हो गया है कि ठाकुर धन सिंह नहीं बद्रीनाथ की आरती लिखी थी।

बाइट महेंद्र भट्ट बद्रीनाथ विधायक(मटमैला कुर्ता पहने, खड़े होकर बोलते हुए )Conclusion:वैज्ञानिक आधार पर अब तक हुई जांच के बाद इस पांडुलिपि की प्रमाणिकता सही साबित हुई है लेकिन अब सवाल यह है कि कब तक इस पांडुलिपि को संरक्षित किया जाएगा.. सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस पांडुलिपि को लेकर यदि संस्कृति विभाग को सहमति नहीं मिल पाती है तो भविष्य में मंदिर समिति कोही इस पांडुलिपि को संरक्षित करना होगा।
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