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शिक्षकों की पेंशन से जुड़ी सालों पुरानी मांग होगी पूरी, शिक्षा मंत्री ने दिया भरोसा

प्रदेश के शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है. शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षकों की पेंशन से जुड़ी मांग पूरी करने का भरोसा दिलाया है. इसके लिए मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है.

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Published : Aug 18, 2020, 11:42 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में शिक्षक संगठन की एक पुरानी मांग पूरी होने जा रही है. शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षकों की पेंशन से जुड़ी इस मांग को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर पूरा करने का भरोसा दिलाया है.

शिक्षकों की पेंशन से जुड़ी सालों पुरानी मांग होगी पूरी.

दरअसल, शिक्षक संगठन अपनी कई सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के पास पहुंचे थे. इसमें खासतौर पर तबादला सत्र शून्य न करने और 2005 में कुछ शिक्षकों के पेंशन के लटके हुए मामलों का निपटारा करना था. एक तरफ शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शून्य सत्र पर शिक्षक संगठनों को तबादला एक्ट में 10% शिक्षकों के तबादले की बात बताई तो दूसरी तरफ अति आवश्यक होने पर ही एक्ट में प्रावधान होने की बात कही.

सत्र शून्य करने पर लग चुकी है मुहर

गौर हो कि इस वर्ष तबादला सत्र शून्य करने पर प्रदेश सरकार मुहर लगा चुकी है. इसका प्रदेश के शिक्षक पुरजोर विरोध कर रहे हैं. शिक्षक संगठनों का मानना है कि सरकार ने बिना व्यवहारिक पक्ष जाने एकतरफा फैसला लिया है. शिक्षक संगठन मानते हैं कि तबादला सत्र शून्य होने से सबसे ज्यादा प्रभावित वो शिक्षक हैं, जो सालों से अपने तबादलों का इंतजार कर रहे हैं.

उधर, शिक्षा मंत्री ने अक्टूबर 2005 में चयनित शिक्षकों की पेंशन की मांग को भी पूरा करने के लिए आश्वस्त किया है. दरअसल, जिन शिक्षकों का चयन 2005 में हो गया था वह कोटद्वार उपचुनाव की वजह से 31 अक्टूबर से पहले ज्वाइन नहीं कर पाए. इस वजह से शिक्षा विभाग ने 400 से ज्यादा शिक्षकों को पेंशन का पात्र नहीं माना था.

पढ़ें- मजदूरों के लिए खुशखबरी, अब कॉमन सर्विस सेंटर में भी बनेंगे 'लेबर कार्ड'

हालांकि, यह मामला कोर्ट में चल रहा है और इस मामले पर हाईकोर्ट के बाद अब सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई है. इस मामले में शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को वित्त विभाग से परामर्श करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेने के लिए कहा है. ताकि शिक्षकों को पेंशन का लाभ मिल सके.

देहरादून: उत्तराखंड में शिक्षक संगठन की एक पुरानी मांग पूरी होने जा रही है. शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षकों की पेंशन से जुड़ी इस मांग को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर पूरा करने का भरोसा दिलाया है.

शिक्षकों की पेंशन से जुड़ी सालों पुरानी मांग होगी पूरी.

दरअसल, शिक्षक संगठन अपनी कई सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के पास पहुंचे थे. इसमें खासतौर पर तबादला सत्र शून्य न करने और 2005 में कुछ शिक्षकों के पेंशन के लटके हुए मामलों का निपटारा करना था. एक तरफ शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शून्य सत्र पर शिक्षक संगठनों को तबादला एक्ट में 10% शिक्षकों के तबादले की बात बताई तो दूसरी तरफ अति आवश्यक होने पर ही एक्ट में प्रावधान होने की बात कही.

सत्र शून्य करने पर लग चुकी है मुहर

गौर हो कि इस वर्ष तबादला सत्र शून्य करने पर प्रदेश सरकार मुहर लगा चुकी है. इसका प्रदेश के शिक्षक पुरजोर विरोध कर रहे हैं. शिक्षक संगठनों का मानना है कि सरकार ने बिना व्यवहारिक पक्ष जाने एकतरफा फैसला लिया है. शिक्षक संगठन मानते हैं कि तबादला सत्र शून्य होने से सबसे ज्यादा प्रभावित वो शिक्षक हैं, जो सालों से अपने तबादलों का इंतजार कर रहे हैं.

उधर, शिक्षा मंत्री ने अक्टूबर 2005 में चयनित शिक्षकों की पेंशन की मांग को भी पूरा करने के लिए आश्वस्त किया है. दरअसल, जिन शिक्षकों का चयन 2005 में हो गया था वह कोटद्वार उपचुनाव की वजह से 31 अक्टूबर से पहले ज्वाइन नहीं कर पाए. इस वजह से शिक्षा विभाग ने 400 से ज्यादा शिक्षकों को पेंशन का पात्र नहीं माना था.

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हालांकि, यह मामला कोर्ट में चल रहा है और इस मामले पर हाईकोर्ट के बाद अब सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई है. इस मामले में शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को वित्त विभाग से परामर्श करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेने के लिए कहा है. ताकि शिक्षकों को पेंशन का लाभ मिल सके.

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