देहरादून: उत्तराखंड में शिक्षा के नाम पर हो रही लूट को रोकने के लिए किये गए सरकार के दावे खोखले साबित हुए हैं. आज भी किताबों के नाम पर एनसीआरटी की बजाए बच्चों को महंगी-महंगी किताबे खरीदने के लिए विवश होना पढ़ता है. जिस पर लगाम लगाने के लिए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने एक बार फिर प्राइवेट स्कूलों को चेताया है.
शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे ने प्राइवेट स्कूलों के मालिकों को एनसीईआरटी के अलावा दूसरी किताबों को स्कूलों में ना पढ़ाए जाने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई रेफरेंस बुक लगाता भी तो वो हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार एनसीईआरटी सिलेबस के समकक्ष मूल्य वाली ही किताब होनी चाहिए.
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शिक्षा मंत्री का कहना है कि यह देवभूमि है, यहां शिक्षा को निशुल्क देने की संस्कृति है. सोसाइटी एक्ट में इसका प्रावधान भी है. लेकिन आज के समय की मांग को देखते हुए निःशुल्क शिक्षा संभव नहीं है. लेकिन देवभूमि में शिक्षा का बाजारीकरण भी नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा एनसीईआरटी कम दाम का सबसे बेहतर पाठ्यक्रम है. साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी स्कूल ऐसा नहीं करेगा उसके खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.
अरविंद पांडे का कहना है कि 12वीं कक्षा के बाद जब भी कोई छात्र सरकारी नौकरी की तैयारी करता है तो उसे एनसीईआरटी पाठ्यक्रम ही पढ़ना होता है. वहीं देश की नई शिक्षा नीति में भी एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को अनिवार्य करने को लेकर पूरे देश भर से सुझाव आये हैं. उन्होंने कहा कि जिस किताब को गरीब का बेटा पढ़ रहा है, उसी को अमीर का बेटा भी पड़ेगा.