ETV Bharat / state

ED की जांच में खुलासा, कुंभ में टेस्टिंग लैब्स ने 5.3 की जगह 0.18% दिखाया पॉजिटिविटी रेट

author img

By

Published : Aug 7, 2021, 2:20 PM IST

Updated : Aug 7, 2021, 5:12 PM IST

छापेमारी के ईडी के अधिकारियों ने बताया कि इन प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए नकली कोविड टेस्ट के कारण उस समय हरिद्वार में कोरोना की पॉजिटिविटी रेट वास्तविक 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत थी.

Dehradun Prem Hospital
Dehradun Prem Hospital

हरिद्वार: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक कुंभ एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक राज्य में आयोजित किया गया था. इस दौरान फर्जी कोविड जांच को लेकर कई मामले सामने आए, जिसपर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन के सिलसिले में शुक्रवार को कई छापे मारे. जांच में सामने आया है कि कुंभ के समय फर्जी कोविड जांच की गई थीं, जिस वजह से उस समय हरिद्वार में कोरोना पॉजिटिविटी रेट वास्तविक 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत रहा.

एजेंसी ने एक बयान में बताया कि नोवस पाथ लैब्स, डीएनए लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ लाल चांदनी लैब्स प्राइवेट लिमिटेड और नलवा लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालयों और देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली, नोएडा और हिसार में उनके निदेशकों के आवासीय परिसरों में भी छापेमारी की गई.

इसके साथ ही हरिद्वार में प्रेम हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट और मनी लॉन्ड्रिंग सहित कई मामलों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा. ईडी ने इस दौरान घंटों छापेमारी की. बता दें कि यह हॉस्पिटल हरिद्वार की जानी-मानी डॉक्टर संध्या शर्मा का है. इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई उत्तराखंड सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में की गई थी. जिसके बाद ईडी के अधिकारियों ने जांच के बाद कई खुलासे किये हैं.

ईडी ने दावा किया है कि, 'हरिद्वार में कुंभ मेले में कभी नहीं जाने वाले लोगों के नाम पर जांच किए जाने का दावा किया गया था.' ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं द्वारा झूठी नकारात्मक जांच के कारण, उस समय हरिद्वार में संक्रमण दर वास्तविक 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत थी.

पढ़ें- Kumbh Fake Corona Test: अब इन 22 डॉक्टरों पर कार्रवाई की तलवार, 26 जून तक पेशी के आदेश

ईडी ने कहा कि उसने छापेमारी के दौरान, 'आपत्तिजनक दस्तावेज, फर्जी बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और संपत्ति के दस्तावेज और 30.9 लाख रुपये नकद' जब्त किए हैं. एजेंसी ने हाल में आरोपी कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है. इसके बाद छापेमारी की गई.

ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं को उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के दौरान कोरोना वायरस के लिए तेजी से एंटीजन और आरटी-पीसीआर जांच करने का ठेका दिया था. एजेंसी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं ने शायद कोविड-19 की कोई जांच की हो और जांच के लिए 'फर्जी प्रविष्टियां' कीं और अवैध वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए 'फर्जी' बिल बनाये. ईडी ने कहा, 'उन्हें (प्रयोगशालाओं) उत्तराखंड सरकार से आंशिक भुगतान के रूप में 3.4 करोड़ रुपये पहले ही मिल चुके हैं.'

पढ़ें- Kumbh Covid Test Scam: हिसार नलवा लैब पर ED का छापा, 18 अधिकारी जांच में जुटे

ईडी ने बताया कि वास्तविक टेस्ट के बिना संख्याओं को बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों के लिए एक ही मोबाइल नंबर, पते और एक नमूना रेफरल फॉर्म (एसआरएफ) का उपयोग किया गया. टेस्ट उन व्यक्तियों के नाम पर किया गया था, जो कुंभ मेले के लिए हरिद्वार भी नहीं गए थे. प्रवर्तन निदेशालय और खुफिया एजेंसी ने उत्तराखंड पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर मनी-लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की है. प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, जांच से पता चला है कि इन प्रयोगशालाओं से इस साल कुंभ मेले के दौरान COVID परीक्षण के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर परीक्षण करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा एक अनुबंध किया गया था.

एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि 'इन प्रयोगशालाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली यह थी कि उन्होंने बिना कोरोना वायरस जांच की बढ़ी हुई संख्या दिखाने के लिए एकल मोबाइल नंबर या झूठे मोबाइल नंबर, एकल पते या एक ही नमूना रेफरल फॉर्म (एसआरएफ) का इस्तेमाल किया. ईडी और एसआईटी दोनों मिलकर इसमें जांच कर रही हैं, जो भी दोषी होगा उन पर कार्रवाई की जाएगी.

हरिद्वार: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक कुंभ एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक राज्य में आयोजित किया गया था. इस दौरान फर्जी कोविड जांच को लेकर कई मामले सामने आए, जिसपर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन के सिलसिले में शुक्रवार को कई छापे मारे. जांच में सामने आया है कि कुंभ के समय फर्जी कोविड जांच की गई थीं, जिस वजह से उस समय हरिद्वार में कोरोना पॉजिटिविटी रेट वास्तविक 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत रहा.

एजेंसी ने एक बयान में बताया कि नोवस पाथ लैब्स, डीएनए लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ लाल चांदनी लैब्स प्राइवेट लिमिटेड और नलवा लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालयों और देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली, नोएडा और हिसार में उनके निदेशकों के आवासीय परिसरों में भी छापेमारी की गई.

इसके साथ ही हरिद्वार में प्रेम हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट और मनी लॉन्ड्रिंग सहित कई मामलों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा. ईडी ने इस दौरान घंटों छापेमारी की. बता दें कि यह हॉस्पिटल हरिद्वार की जानी-मानी डॉक्टर संध्या शर्मा का है. इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई उत्तराखंड सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में की गई थी. जिसके बाद ईडी के अधिकारियों ने जांच के बाद कई खुलासे किये हैं.

ईडी ने दावा किया है कि, 'हरिद्वार में कुंभ मेले में कभी नहीं जाने वाले लोगों के नाम पर जांच किए जाने का दावा किया गया था.' ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं द्वारा झूठी नकारात्मक जांच के कारण, उस समय हरिद्वार में संक्रमण दर वास्तविक 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत थी.

पढ़ें- Kumbh Fake Corona Test: अब इन 22 डॉक्टरों पर कार्रवाई की तलवार, 26 जून तक पेशी के आदेश

ईडी ने कहा कि उसने छापेमारी के दौरान, 'आपत्तिजनक दस्तावेज, फर्जी बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और संपत्ति के दस्तावेज और 30.9 लाख रुपये नकद' जब्त किए हैं. एजेंसी ने हाल में आरोपी कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है. इसके बाद छापेमारी की गई.

ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं को उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के दौरान कोरोना वायरस के लिए तेजी से एंटीजन और आरटी-पीसीआर जांच करने का ठेका दिया था. एजेंसी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं ने शायद कोविड-19 की कोई जांच की हो और जांच के लिए 'फर्जी प्रविष्टियां' कीं और अवैध वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए 'फर्जी' बिल बनाये. ईडी ने कहा, 'उन्हें (प्रयोगशालाओं) उत्तराखंड सरकार से आंशिक भुगतान के रूप में 3.4 करोड़ रुपये पहले ही मिल चुके हैं.'

पढ़ें- Kumbh Covid Test Scam: हिसार नलवा लैब पर ED का छापा, 18 अधिकारी जांच में जुटे

ईडी ने बताया कि वास्तविक टेस्ट के बिना संख्याओं को बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों के लिए एक ही मोबाइल नंबर, पते और एक नमूना रेफरल फॉर्म (एसआरएफ) का उपयोग किया गया. टेस्ट उन व्यक्तियों के नाम पर किया गया था, जो कुंभ मेले के लिए हरिद्वार भी नहीं गए थे. प्रवर्तन निदेशालय और खुफिया एजेंसी ने उत्तराखंड पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर मनी-लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की है. प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, जांच से पता चला है कि इन प्रयोगशालाओं से इस साल कुंभ मेले के दौरान COVID परीक्षण के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर परीक्षण करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा एक अनुबंध किया गया था.

एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि 'इन प्रयोगशालाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली यह थी कि उन्होंने बिना कोरोना वायरस जांच की बढ़ी हुई संख्या दिखाने के लिए एकल मोबाइल नंबर या झूठे मोबाइल नंबर, एकल पते या एक ही नमूना रेफरल फॉर्म (एसआरएफ) का इस्तेमाल किया. ईडी और एसआईटी दोनों मिलकर इसमें जांच कर रही हैं, जो भी दोषी होगा उन पर कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Aug 7, 2021, 5:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.