देहरादून: उत्तराखंड देवभूमि की पहचान अपनी संस्कृति और लोक विद्या कलाकारों की वजह से जाना जाती है. जिनकी मधुर आवाज में ढोल दमोह की थाप, तुरई रणसिंगें की गूंज, बांसुरी की मधुर आवाज और वेशभूषा की चमक दमक ने अपनी अलग पहचान देश-दुनिया में बनाई है. वहीं, लोक कलाकारों द्वारा समय-समय पर अपने कला के माध्यम से सरकार की नीतियों का प्रचार-प्रसार भी किया है. लेकिन, कोरोना महामारी के कारण अब इन कालाकारों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है.
कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के चलते चार माह से ना तो सरकार की नीतियों का प्रचार-प्रसार हो सका है, ना ही कलाकार अन्य गतिविधियों में प्रतिभाग ही कर पा रहे हैं. ऐसे में कलाकारों के पास आजीविका चलाने का कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. जिस कारण उत्तराखंड के लोक कलाकारों को वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में उत्तराखंड की लोक गायिका और धूमसू मंच की अध्यक्ष शांति वर्मा ने सरकार से कलाकारों की सुध लेने की बात कही है. इसके साथ ही कलाकारों को सरकार से आर्थिक पैकेज देने की भी मांग की है, जिससे कलाकार अपनी आजीविका चला सकें.
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लोक गायिका शांति वर्मा ने कहा कि कोविड-19 और लॉकडाउन के चलते 4 माह से कलाकार आर्थिक संकट झेल रहे हैं. लोक कलाकार संस्कृति के संवाहक होते हैं. इसके बावजूद सरकार द्वारा कलाकारों के हित के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. जबकि, पिछले दिनों सरकार द्वारा कलाकारों को ₹1000 देने की बात कही गई थी. लेकिन, 4 माह में 1000 मात्र से क्या कलाकारों की आर्थिक स्थिति में कुछ लाभ मिल सकेगा. ऐसे में सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के कलाकारों को एक आर्थिक राहत पैकेज के रूप में दिया जाना चाहिए, जिससे कलाकारों को कुछ राहत मिल सके.