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धूमधाम से मनाया गया ईस्टर पर्व, गिरिजाघरों में हुई विशेष प्रार्थना

फादर मनोज ने बताया की ईसाई धर्म के अनुसार जब यीशु को सूली पर लटकाया गया था तो उसके तीसरे दिन वह पुनर्जीवित हो गये थे. जिसके बाद से ही इस दिन को ईसाई ईस्टर दिवस और ईस्टर सन्डे के रूप से मनाते हैं. उन्होंने बताया कि गुडफ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था.

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Published : Apr 21, 2019, 11:53 PM IST

Updated : Apr 22, 2019, 11:39 AM IST

धूमधाम से मनाया गया ईस्टर पर्व.

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में ईस्टर पर्व का त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनाया गया. इस मौके पर मसूरी में इसाई समुदाय के लोगों ने ईसा मसीह के पुनः जीवित होने की खुशी में कैंडल मार्च निकाला. साथ ही मैथोडिस्ट चर्च में विषेश प्रार्थना भी की. ईसाई समुदाय के लोगों ने बताया कि यह दिन उनके लिए खुशी का दिन होता है.

फादर मनोज ने बताया की ईसाई धर्म के अनुसार जब यीशु को सूली पर लटकाया गया था तो उसके तीसरे दिन वह पुनर्जीवित हो गये थे. जिसके बाद से ही इस दिन को ईसाई ईस्टर दिवस और ईस्टर सन्डे के रूप से मनाते हैं. उन्होंने बताया कि गुडफ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था. ईस्टर से पहले आने वाले सप्ताह को पवित्र सप्ताह कहा जाता है.
इसाई समुदाय के प्रेम सिंह और नीरज बताते हैं कि ईस्टर-डे ईसाई धर्म का दूसरा सबसे बड़ा फेस्टिवल होता है. इसे रविवार को मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि यह दिन उनके लिए खुशी का दिन होता है, ईसाई इसे क्रिसमस की तरह सेलिब्रेट करते हैं. यह त्योहार जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.

पढे़ं- शर्मनाकः गर्भवती महिला दो दिनों तक '108' के इंतजार में तड़पती रही, तेल न मिलने के कारण कर्मचारियों ने किए हाथ खड़े

जीवित हो उठे थे यीशु
मान्यता के अनुसार सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन ईस्टर के दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो गए थे. जिसके बाद 40 दिनों तक प्रभु यीशु अपने शिष्यों और दोस्तों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए. अनुयायियों ने प्रभु यीशु के दोबारा जिन्दा उठने को ईस्टर घोषित किया था.

यूं करते हैं सेलिब्रेशन
ईस्टर रविवार से पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण और अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं. लोग मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपने विश्वास प्रकट करते हैं. ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाने और दोस्तों को बांटने की भी परंपरा है. ईस्टर के दिन लोग अपने घरों में रंगीन अंडे छिपा देते हैं ताकि सुबह बच्चे उन्हें ढूंढ सकें.

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में ईस्टर पर्व का त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनाया गया. इस मौके पर मसूरी में इसाई समुदाय के लोगों ने ईसा मसीह के पुनः जीवित होने की खुशी में कैंडल मार्च निकाला. साथ ही मैथोडिस्ट चर्च में विषेश प्रार्थना भी की. ईसाई समुदाय के लोगों ने बताया कि यह दिन उनके लिए खुशी का दिन होता है.

फादर मनोज ने बताया की ईसाई धर्म के अनुसार जब यीशु को सूली पर लटकाया गया था तो उसके तीसरे दिन वह पुनर्जीवित हो गये थे. जिसके बाद से ही इस दिन को ईसाई ईस्टर दिवस और ईस्टर सन्डे के रूप से मनाते हैं. उन्होंने बताया कि गुडफ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था. ईस्टर से पहले आने वाले सप्ताह को पवित्र सप्ताह कहा जाता है.
इसाई समुदाय के प्रेम सिंह और नीरज बताते हैं कि ईस्टर-डे ईसाई धर्म का दूसरा सबसे बड़ा फेस्टिवल होता है. इसे रविवार को मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि यह दिन उनके लिए खुशी का दिन होता है, ईसाई इसे क्रिसमस की तरह सेलिब्रेट करते हैं. यह त्योहार जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.

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जीवित हो उठे थे यीशु
मान्यता के अनुसार सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन ईस्टर के दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो गए थे. जिसके बाद 40 दिनों तक प्रभु यीशु अपने शिष्यों और दोस्तों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए. अनुयायियों ने प्रभु यीशु के दोबारा जिन्दा उठने को ईस्टर घोषित किया था.

यूं करते हैं सेलिब्रेशन
ईस्टर रविवार से पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण और अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं. लोग मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपने विश्वास प्रकट करते हैं. ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाने और दोस्तों को बांटने की भी परंपरा है. ईस्टर के दिन लोग अपने घरों में रंगीन अंडे छिपा देते हैं ताकि सुबह बच्चे उन्हें ढूंढ सकें.

मसूरी में इस्टर पर्व की धूम
रिपोर्टर सुनील सोनकर   21.4.2019
एकंर वीओ0
मसूरी में इस्टर पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया इस मौके पर मसूरी के इसाई समुदाय के लोगो ने सुबह मसूरी मंलिगार चैक से पिक्चर पैलेस चैक तक ईशा मसीह म के पुनः जीवित होने की खुशी में कैंडल मार्च निकाला गया व मसूरी के मैथोडिस्ट चर्च में विषेश प्रार्थना सभा आयोजित की गई। पास्टर मनोज ने बताया की ईसाई धर्म के अनुसार, जब यीशु को सूली पर लटकाया गया था तो उसके तीसरे दिन वह पुनर्जीवित हो गये थे. तभी से इस मृतोत्थान को ईसाई ईस्टर दिवस और ईस्टर,सन्डे के नाम से मनातें है। गुडफ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था। ईस्टर से पहले आने वाले सप्ताह को पवित्र सप्ताह कहा जाता है।
इसाई समुदाय के प्रेम सिंह और नीरज ने बताया की ईस्टर डे ईसाई धर्म का दूसरा सबसे बड़ा फेस्टिवल है। इसे रविवार को मनाया जा रहा है। ईसाई धर्म में ईस्टर ) खुशी का दिन होता है। ईसाई इसे क्रिसमस की तरह सेलिब्रेट करते हैं। इसे खजूर का संडे भी कहते हैं। यह त्यौहार जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। श्ईस्टरश् शब्द जर्मन के श्ईओस्टरश् शब्द से लिया गया, जिसका अर्थ है श्देवीश्। यह देवी वसंत की देवी मानी जाती थी। पुराने वक्त में ईसाई ईस्टर रविवार को ही पवित्र दिन के रूप में मानते थे, लेकिन चैथी सदी के बाद गुड फ्रायडे समेत ईस्टर से पहले आने वाले प्रत्येक दिन को पवित्र माना गया।
जीवित हो उठे थे यीशु
मान्यता के अनुसार सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन ईस्टर के दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो गए थे।फिर से जीवित होने के बाद 40 दिन तक प्रभु यीशु अपने शिष्यों और दोस्तों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए। अनुयायियों ने प्रभु यीशु के जी उठने को ईस्टर घोषित कर दिया।
यूं करते हैं सेलिब्रेशन
ईस्टर रविवार से पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण और अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं। लोग मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपने विश्वास प्रकट करते हैं। ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाने और दोस्तों को बांटने की भी परंपरा है। ईसाई इस दिन व्रत रखते हैं। ईस्टर के दिन लोग अपने घरों में रंगीन अंडे छिपा देते हैं ताकि सुबह बच्चे उन्हें ढूंढ सकें। इसके अलावा लोग अपने दोस्तों को चाकलेट, खरगोश और मार्शमेलो जैसे तोहफे देते हैं।
क्या है सनराइज सर्विस
ईस्टर की आराधना सुबह में महिलाओं द्वारा की जाती है क्योंकि इसी वक्त यीशु का पुनरुत्थान हुआ था। यीशु सबसे पहले मरियम मगदलीनी नामक महिला ने देख अन्य महिलाओं को इस बारे में बताया था। इसे सनराइज सर्विस कहते हैं। सुबह की प्रार्थना के अलावा दोपहर 12 बजे से पहले भी आराधना होती है।

Last Updated : Apr 22, 2019, 11:39 AM IST
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